सरकारी नौकरी नहीं, बल्कि एक सेवा कर रहे हैं?
किसी योजनाओं के ईमानदार क्रियान्वयन पर, कर्तव्य पथ एक इतिहास रचता है..
आज सामूहिक शक्ति, सामर्थ्य और जीवंत लक्ष्यों से सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने का प्रोत्साहन सराहनीय..
किशन भावनानी
वैश्विक स्तरपर भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और जनसंख्या में द्वितीय क्रमांक पर है। भारत में लोकतंत्र के चार स्तंभ माने जाते हैं न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और चौथा मीडिया। हर स्तंभ अपने अपने कार्यक्षेत्र में सुचारू रूप से कार्य कर अपने अपने स्तरपर नए सकारात्मक आयाम प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।
साथियों इन चार स्तंभों में से मेरा मानना है कि कार्यपालिका के ऊपर विधाययिका द्वारा लिए गए फैसलों, कानूनों, न्यायपालिका के दिशानिर्देशों, आदेशों और मीडिया द्वारा झूठ से हटाए गए पर्दों और सच्चाई के मुद्दों पर अमल करने की ज़वाबदारी और कर्तव्य कार्यपालिका पर है। याने हम सीधे शब्दों में कहें तो, माने गए चार स्तंभों में से तीनों स्तंभों के निर्णय, सुझाव, दिशानिर्देशों इत्यादि को क्रियान्वयन करना कार्यपालिका की ही जवाबदारी और कर्तव्य है।
उसके बाद कार्यपालिका स्वयं द्वारा सुशासन, लोकहित, दूरगामी इंस्ट्रक्चर इत्यादि अनेक जनहित कार्यक्रमों, सरकारी योजनाओं को क्रियान्वयन की ज़वाबदारी कर्तव्य भी कार्यपालिका को करना होता है जिसका निर्णय शासन द्वारा रणनीतिक रोडमैप बनवाकर लिया जाता है तथा उसे प्रशासन द्वारा क्रियान्वित करने की जवाबदारी संभाली जाती है ऐसी प्रक्रिया की जानकारी जहां तक मुझे है।
आज योजनाओं, निर्णयों, दिशानिर्देशों इत्यादि को क्रियान्वयन करने की करें तो हमने आम बोलचाल में सुने होंगे कि सरकारी नौकर, सरकारी नौकरी, जनता के सेवक इत्यादि अनेक शब्दों का प्रयोग छोटे से चपरासी, पटवारी से लेकर मंत्रालयों के मुख्य सचिववों तक के पदों के लिए प्रयुक्त होते हैं परंतु मेरा मानना है कि इसके लिए सरकारी सेवक एक बहूसूचक, बहुमूल्य शब्द है इससे बोध होता है की सेवा करना है और इस सेवा में बहुमूल्य आध्यात्मिक बोध समाया होता है!! जिसका अंतिम स्तरपर अदृश्य सेवाफल ईश्वर अल्लाह से प्राप्त होने की कामना शामिल है, ऐसी मेरी भावना है!
इसलिए हमें यह भावना मन में धारण करना होगा कि हम नौकरी नहीं सेवा कर रहे हैं और सेवा से बोध निस्वार्थ सेवा का निकलता है।
साथियों बात अगर हम सेवाबोध की करें तो इसमें से विस्तृत मात्रा में कर्तव्यबोध की उत्पत्ति होती है जो भ्रष्टाचार, कुरीतियों, गैर वाज़बी कार्यों, घपला, गलतसोच इत्यादि से लड़ने में सशक्त कामकर ईमानदारी के पथपर ले जाता है इसलिए नौकरी को सेवा समझकर सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर कर्तव्य पथ का सहारा हर शासकीय कर्मचारी द्वारा जब लिया जाता है तो एक कर्तव्य पथ का एक इतिहास रचा जाएगा।
साथियों बात अगर हम दिनांक 22 ज़नवरी 2022 को माननीय पीएम द्वारा जिलाधिकारियों के साथ वर्चुअल प्रमुख सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर बातचीत की करें तो पीआईबी और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुसार जिलाधिकारियों ने अपने अनुभव साझा किए जिससे कई संकेतकों पर उनके जिलों के कार्य निष्पादन में सुधार हुआ है। पीएम ने उनसे उन प्रमुख कदमों और उस प्रयास में उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में सीधे तौर पर फीडबैक मांगा, जिनके परिणामस्वरूप जिलों में सफलता मिली है। उन्होंने उनसे यह भी पूछा कि आकांक्षी जिलों के कार्यक्रम के तहत काम करना उनके पहले किए गए काम से कैसे अलग है। अधिकारियों ने बताया कि किस प्रकार जनभागीदारी इस सफलता के पीछे एक महत्वपूर्ण घटक रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उन्होंने अपनी टीम में काम करने वाले लोगों को दैनिक आधार पर प्रेरित किया और इस भावना को विकसित करने का प्रयास किया कि वे नौकरी नहीं कर रहे हैं, बल्कि एक सेवा कर रहे हैं। उन्होंने विभागों के बीच समन्वय बढ़ाने और डेटा द्वारा संचालित शासन के लाभों के बारे में भी बताया।
अधिकारियों को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि जब दूसरों की आकांक्षाएँ, अपनी आकांक्षाएँ बन जाएँ, जब दूसरों के सपनों को पूरा करना अपनी सफलता का पैमाना बन जाए, तो फिर वो कर्तव्य पथ इतिहास रचता है। उन्होंने कहा कि आज हम देश के एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट - आकांक्षी जिलों में यही इतिहास बनते हुए देख रहे हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि आकांक्षी जिलों में विकास के लिए प्रशासन और जनता के बीच सीधा कनेक्ट, एक इमोशनल जुड़ाव बहुत जरूरी है। एक तरह से गवर्नेंस का ‘टॉप टू बॉटम’ और ‘बॉटम टू टॉप’ फ़्लो और इस अभियान का महत्वपूर्ण पहलू है - टेक्नोलॉजी और इनोवेशन। प्रधानमंत्री ने उन जिलों के बारे में भी चर्चा की, जहां कुपोषण, स्वच्छ पेयजल और टीकाकरण जैसे क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी और इनोवेशन के इस्तेमाल से बहुत अच्छी सफलता मिली है।
उन्होंने कहा कि सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों ने, अलग-अलग विभागों ने ऐसे 142 जिलों की एक लिस्ट तैयार की है जो विकास में इतने पीछे नहीं हैं लेकिन जिन एक-दो पैरामीटर्स पर ये अलग-अलग 142 जिले पीछे हैं, अब वहां पर भी हमें उसी कलेक्टिव अप्रोच के साथ काम करना है, जैसे हम एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में करते हैं। उन्होंने कहा, ये सभी सरकारों के लिए, भारत सरकार, राज्य सरकार, जिला प्रशासन, जो सरकारी मशीनरी है, उसके लिए एक नया चैलेंज है। इस चैलेंज को अब हमें मिलकर पूरा करना है।
उन्होंने कहा कि जो सिविल सर्विसेस के साथी जुड़े हैं, उनसे मैं एक और बात याद करने को कहूंगा। आप वो दिन जरूर याद करें जब आपका इस सर्विस में पहला दिन था। आप देश के लिए कितना कुछ करना चाहते थे, कितना जोश से भरे हुए थे, कितने सेवा भाव से भरे हुए थे। आज उसी जज्बे के साथ आपको फिर आगे बढ़ना है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सरकारी नौकरी नहीं बल्कि एक सेवा कर रहे हैं!!!सरकारी योजनाओं का ईमानदार क्रियान्वयन पर कर्तव्य पथ इतिहास रचता है तथा सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में सामूहिक शक्ति, सामर्थ्य और जीवन के लक्ष्यों से सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने का प्रोत्साहन सराहनीय और काबिले तारीफ है।
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