अंतर्निहित प्रतिभा का प्रकटीकरण


 इतिहास खंगालने से पता चलता है। इसलिए यह मानने में कोई दो राय नहीं है कि भारतीय मिट्टी में ही कला रूपी अस्त्र निहित है, जहां जन्म लेने वाले प्रत्येक मानव में यह कला अपने आप समाहित हो जाती है!!! बस!!! जरूरत है मानव में समाहित इस अंतर्निहित प्रतिभा को पहचान कर उसे प्रकट करनें और उसका क्रियान्वयन कर उसका उपयोग अपने दैनिक जीवन से लेकर, उसका लाभ मानवीय जीवन और अर्थतंत्र में मजबूती करने की!

साथियों बात अगर हम वर्तमान परिस्थितियों, आत्मनिर्भर भारत के संकल्प, विजन 2047,  विजन 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की करें तो अब यह ज़रूरी हो गया है कि भारत माता की मिट्टी में पैतृक रूप से गॉड गिफ्टेड इस अंतर्निहित प्रतिभा को हम पहचान कर उसे बाहर प्रकट कर उसका उपयोग करें। जिसके लिए हमें एक ऊर्जावान अस्त्र की ज़रूरत है वह है। कौशलता विकास अस्त्र!

साथियों बात अगर हम आज हमारी 135 करोड़ जनसंख्या  की करें तो आज ज़रूरत है हमें इस जनसंख्यकीय पक्ष को सकारात्मकता में लेने की और कौशलता विकास का उपयोग कर हर व्यक्ति में अंतर्निहित प्रतिभा को तराश कर उसे कार्यबल के रूप में परिणित करना होगा! तो हम फिर भारत को सोने की चिड़िया बना सकते हैं!! 

हम देखते हैं कि उत्तर भारत, दक्षिण भारत, मध्य भारत इत्यादि अनेक क्षेत्रों में विभिन्न कौशलता के धनी नागरिकों में कुशल बौद्धिक क्षमता कूट-कूट कर भरी है वहां की विभिन्न वस्तुएं विश्व प्रसिद्ध हैं जिसे कौशलता विकास अस्त्र से निखार कर उसे एक वैश्विक मंच या प्लेटफार्म प्रदान कर तेज़ी के साथ विकास किया जा रहा है। 

साथियों बात अगर हम वर्तमान परिपेक्ष की करें तो सरकारों द्वारा इस लक्ष्य पर काम करना शुरू हो गया है, अलग से कौशलता विकास मंत्रालय, राष्ट्रीय सुशासन केंद्र, कई रणनीतिक साझेदारीयां, प्रोग्राम, आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव इत्यादि जो इसके सशक्त उदाहरण है, मार्ग से तीव्र गति से हर वर्गीय मनीषियों के लिए एक रणनीति के तहत उसकी अंतर्निहित प्रतिभा को पहचान कर उसे उसकी कौशलता का विभिन्न साधनों से विकास करने का कार्य किया जा रहा है। 

साथियों बात अगर हम जनसंख्यकीय तंत्र के परिपेक्ष में करें तो भारतीय जनसंख्या वैश्विक स्तर पर दूसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर विस्तारवादी देश की जनसंख्या है परंतु उस देश ने कुछ वर्ष पूर्व सिर्फ़ एक बच्चा पैदा करने का कानून पारित किया था! जिसके कारण कुछ वर्षों में उसकी जनसंख्या में भारी गिरावट हुई!! फिर इसे रेखांकित करते हुए दो बच्चे पैदा करने का कानून पास किया गया! जो अब तीन बच्चों तक कर दिया गया है फ़िर भी उस अनुपात में उसकी जनसंख्या नहीं बढ़ रही है। इसका संज्ञान हम भारत में लें तो कुछ सालों में भारत की जनसंख्या निश्चित रूप में वैश्विक रूप से प्रथम क्रमांक पर होगी! जिसके लिए अब ज़रूरी हो गया है कि हम अपने जनसंख्यकीय अंश और देश के युवाओं में अंतर्निहित प्रतिभा को प्रकट करने, कौशलता विकास रूपी ऊर्जावान अस्त्र का उपयोग तेज़ी से करें!

साथिया बात अगर हम कौशलता विकास, इस अस्त्र के उपयोग की करें तो इसमें सबसे अधिक ज़वाबदारी, दिल से  साथ, सकारात्मक सहयोग, हर उम्र के स्टेज, खासकर युवाओं को देना होगा, क्योंकि सरकार कितने भी जन जागरण अभियान चलाएं परंतु जब तक  जिसमें प्रतिभा है वह कौशलता विकास रूपी अस्त्र से उसे बाहर नहीं निकालेगा, ट्रेनिंग नहीं लेगा, तब तक पूरी रणनीति अधूरी रह जाएगी!

साथियों बात अगर हम ग्रामीण क्षेत्र की करें तो सबसे अधिक ज़रूरत इस अंतर्निहित प्रतिभा को प्रकट करने की इस क्षेत्र के युवाओं की है क्योंकि सर्वविदित है कि हमारे ग्रामीण क्षेत्र के भाई निष्ठावान, ईमानदारी से कार्य करना, सीखने में कुशल व योग्य हैं। मेरा मानना है आज वह कोयले की खदान में पड़े हीरे हैं, जिन्हें कौशता विकास रूपी अस्त्र से तराश कर अनमोल कार्यबल रूपी हीरा तैयार किया जा सकता है। जिसके कौशलता की कीमत भी अनमोल होगी!!! 

आज जो हमारे विज़न आत्मनिर्भर भारत, विज़न 2047, विज़न 5 ट्रिलियन डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था को पूरा करने में अहम भूमिका अदा करने में सक्षम होंगे!

साथियों बात अगर हम इस रणनीतिक रोडमैप में महिलाओं की करें तो महिलाओं को कौशलता विकास अस्त्र से उनकी अंतर्निहित प्रतिभा को प्रकट करनें से महिला सशक्तिकरण को ज़बरदस्त प्रतिसाद मिलेगा, महिलाएं अपने बल पर बड़े से बड़ा काम कर सकती है। वैसे भी भारतीय नारी की प्रतिभा, बौद्धिक कौशलता जग प्रसिद्ध है जिनकी कौशलता प्रसिद्धि हमने वैश्विकस्तर पर देखी है! आखिर हैं तो वे मूल भारतीय ही!

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारतीय मनीषियों में अंतर्निहित प्रतिभा का प्रकटीकरण करना तात्कालिक ज़रूरी है। तथा जनसंख्यकीय अंश और देश के युवाओं में अंतर्निहित प्रतिभा को प्रकट करने में कौशलता विकास एक जबरदस्त साधन है, विशेषकर ग्रामीण युवाओं में अंतर्निहित प्रतिभा को प्रकट करने युद्ध स्तरपर जनजागरण अभियान चलाना तात्कालिक ज़रूरी है। 

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