पुलिस एक सुंदर शब्द
पोरबंदर गुजरात पुलिस की नौकरी सब को पसंद है। वर्दी का खाखी रंग और मिट्टी का खाखी रंग दोनों एक ही है। खाखी रंग की वर्दी कर्तव्य जिम्मेदारी, संघर्ष का परिचायक है।
जब पुलिस कि नौकरी मिलती है, तब सबको बहुत खुशी होती है। एक जुनून होता है, एक जोश होता है, देश की सेवा और देश के लोगों के सुरक्षा के प्रति।
जीवन जबतक है, कुछ ना कुछ परेशानी आती ही रहती है। छोटे-मोटे पड़ाव जीवन में आते जाते रहते है।
परंतु कभी कभी कुछ बड़ा कुछ ऐसा जीवन में हो जाता है जिसे जीवन भर भुलाया नही जा सकता,एवं जीवन भर चुभता रहता है,दर्द देता रहता है।
कभी कभी लोग अवसाद तक के शिकार हो जाते है ,
आत्मविश्वास टुट जाता है, और वो आत्महत्या की बात सोच लेते है ,मनोबल कमजोर हो जाता है ।एक घाव जो समय के साथ भर तो जाता है मगर वो इंसान अंदर से टुट जाता है। इस परिस्थिति से निकलकर यदि कोई पुलिस की नौकरी करता है तो वह दुनियां जीत लेता है।
आप को पता है जब कोई खाखी पहनता है तो उनकी जो भावनाएं होती है खाखी से लगाव जो होता है,उसके लिए ,अन्य भावनाओं को तथा,अन्य किसी चीज के प्रति लगाव को छोड़ना पडता है।सिर्फ और सिर्फ कर्त्तव्य और जिम्मेदारी को याद रखना पड़ता है ।
जब सारी दुनिया दिपावली, होली नवरात्रि मना रही होती है ,वही पुलिस वाले सारे त्यौहार में तो डयुटी पर डटे रहते है। अपना कर्तव्य और अपनी जिम्मेदारी निभा रहे होते है।पुलिस के सारे त्यौहार उनकी ड्युटी होती है।
आप सब ने देखा ही होगा पुलिस के जवानों को जो, शहर के चौराहे पर या ,शहर या गांव के कई खास जगहों ड्यूटी देते हुए। रात दिन धूप बारिश सब में एक समान ड्युटी देते है।
जिस जगह उनको ड्युटि की जिम्मेदारी दी गई होती है, उसी जगह वे डटे रहते है।आप सब को भी कभी न कभी ये ख्याल जरूर आया होगा कि,रात दिन एक करनेवाले ये लोग भी इंसान है।
जब प्यास लगती है तब पांच मिनट बिना पानी के नही रहा जा सकता है, पर ये पुलिस के जवान एक पैर पर ड्यूटी करते है ।अपनी कर्तव्य निष्ठा से अपनी सभी जिम्मेदारी निभाते हैं।
घर में जब किसी रिश्तेदार की शादी हो तो, एक साल पहले से तैयारी शुरू हो जाती है ,पर जब किसी पुलिस के जवान की खुद कि शादी हो तो उनको जल्दी छुट्टी नही मिलती है,सिमित समय की छुट्टी में पुलिस वाले अपनी शादी समारोह को निपटाते है।
क्या उनका परिवार नही होता ? बच्चे नही होते ?उनके बच्चों को जो वक्त दिया जाना चाहिये वो वक्त पुलिस के जवान देश के लोगो की रक्षा मे लगा देते है।
पुलिस के जवानों को भी पारिवारिक और सामाजिक काम होते है पर, पर वे कभी भी अपने कर्तव्य और अपनी जिम्मेदारी से पीछे नही हटते।
सिर्फ खाखी पहनेवाला ही नही उनका पुरा परिवार भी मजबूत होता है । परिवार के लोग मजबूती से सारी जिम्मेदारी निभाते है।खासकर पुलिस के जवानों की
पत्नियां बच्चों के लिए माता पिता दोनों की जिम्मेदारी
निभाती है।
कही कही तो पति पत्नी दोनों पुलिस में होते है ,एवं बच्चों की परवरिश करते हुए शान से ड्युटी करते है।
समाज में मनाये जानेवाले सारे त्यौहार एवं समारोह से इन्हे दूर रहना पड़ता है,मन कि सारी ईच्छाओ को मन में ही दफनाना पडता है। जब कोई पुलिस का जवान पुरुष हो तो ,उनके सारे घर की जिम्मेदारी उनके घर की स्त्री संभाल लेती है।
पर जब "पुलिस"कोई महिला हो तो ,उनका बच्चा मन मे कहता होगा में कि, मेरी मां बहुत मजबूत है , मेरी मम्मी पुलिस है।
यही सोचकर उनके बच्चे बड़े हो जाते है। कहने का मतलब यह है कि ,पुलिस जवान ही नही उनका पुरा परिवार भी मजबूत होता हैं। कहने को तो वे मजबूत होते है ,पर होते तो इंसान ही है।
एक बार इनके मन को टटोल कर देखिये इनके अंदर भी एक आम इंसान मिलेगे।
खाखी का रंग जितना गहरा होता है, उतना ही गहरी जिम्मेदारी होती है ।
पुलिस की नौकरी सिर्फ नौकरी नही है, बहुत बड़ी जिम्मेदारी,कर्तव्य है ,जिसमें जीवन के कई अहम हिस्सो को खोना पड़ता है।
पुलिस की नौकरी करने के लिये हिम्मत चाहियें होती है।कभी कभी खुद को तोड़कर, सब को जोड़ना पडता है। खुद पर एक भरोसा रखना पड़ता है।
पुलिस के जवान का जीवन संघर्ष से भरा होता है।कोई चेहरा उनका अपना नही होता है, पर सब कि रक्षा करना उनका एक धर्म बन जाता है।
जब कोई महिला पुलिस जवान शाम को ड्यूटी से घर लौटती है, तब उनके बच्चे सोचते है कि, मेरी मम्मी के काम का वक्त फिक्स नही होता है, अगर फिक्स होता तो ,मैं भी दुसरे बच्चों कि तरह अपनि मां के गोद मे लेटता, कुदता , खेलता बहुत सारी कहानी सुनता।
पर जब मैं सो जाता हूं तब मां ड्युटी से आती है।
कई बार तो बच्चे पुछते ही होगें कि, कब आओगी मम्मी या पापा???? पर उनका जवाब सिर्फ ऐक मुस्कुराहट ही होता हैं।
"कहते है कि ,रास्ते भी जरुर थक जायेंगे, आप को दौड़ा दौड़ा कर, मगर शर्त बस इतनी है कि , आप को खुद पे यकीन होना चाहिए। "
इस वाक्य को सार्थक करती है, पुलिस जवान की नौकरी।
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