जहान है तो जान है कहने पर सृष्टि में मजबूर है मानव!
- जान है तो जहान है बनाम जहान है तो जान है!
- नागरिकों को स्वतः दीर्घकालीन व्यवहार परिवर्तन विकसित करने की ज़रूरत.
- जान है तो जहान है मुहावरे का अर्थ अब बदलकर जहान है तो जान है कहने पर सृष्टि में मजबूर है मानव!
किशन भावनानी
कोरोना महामारी की पहेली अभी भी अबूझ बनते जा रही है। कोविड-19 से डेल्टा, डेल्टा प्लस अब ओमिक्रान!!! बड़ी शिद्दत और मेहनतसे वैश्विक रूप से वैक्सिन तैयार हुई, लोगों को दो-दो डोज़ भी लगे, अब बूस्टर डोज़ (प्रकाशनरी खुराक़) की तैयारी!! अब आम आदमी से जानकारों, बुद्धिजीवियों को भी समझ में आने लगा है कि मानव के पास प्रकृति की दी हुई प्रतिरक्षा प्रणाली है जो कोरोना से भी बचा सकती है!! और अन्य बीमारियों से बचाकर स्वास्थ्य को फिट रखने में हिट है!!! वह है नागरिकों को अपना दीर्घकालीन व्यवहार परिवर्तन विकसित करने की जरूरत!!!
हमारे बड़े बुजुर्ग की दशकों पूर्व कहावत है जान है तो जहान है। याने सबसे पहली प्राथमिकता अपनेशारीरिक जीवन की सुरक्षा करना है, उसके बाद जहान है! जिसके लिए आदि अनादि काल से पैदल चलना, साइकिल से चलना, मेहनत करना, व्यायाम करना, योगा करना, रात जल्दी सोना, सुबह जल्दी उठना, इत्यादि सभी व्यवहार माननीय दिनचर्या में कूट-कूट कर भरे थे। जिसके कारण उनकी शारीरिक सुरक्षा इन बीमारियों से अधिक होती थी!!! साथियों बात अगर हम इस नए ज़माने की आधुनिक प्रणाली की करे तो उपरोक्त पौराणिक दिनचर्या का मानव जीवन से विलुप्तता के कगार पर है। आधुनिक नवयुवकों में कुछ अपवादों को छोड़ दें तो अधिकतम युवक इस दिनचर्या का पालन नहीं करते बल्कि उसका उल्टा हो गया है!! याने जहान है तो जान है!!!
वर्तमान बदलते परिवेश में यह उल्टा मुहावरा न केवल एक फैशन सा हो गया है बल्कि जीवन की ज़रूरत भी बन गया है।आज जीवन को बचाने के लिए जितनी ज़रूरत शारीरिक इम्यूनिटी की है उतनी ही आर्थिक इम्युनिटी की भी है!!! साथियों बात अगर हम पिछले वर्ष 2020 की करें तो इस मुहावरों के तार्किक उक्ति से जोड़ने को अप्रैल 2020 से ही बल मिला था जब पीएम के साथ सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की 4 घंटे चली वर्चुअल बैठक में जान भी जहांन भी का मानवीय तर्क दिया गया था ठीक उसी समय वित्तमंत्री भी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अर्थव्यवस्था को गतिमान बनाए रखने के उपायों पर गहन विचार कर रहीं थी याने आज के युग में जान के साथ जहान का चिंतन करना भी जरूरी है!!!
साथियों यह सोच कुछ हद तक ठीक भी है परंतु हमें शारीरिक इम्यूनिटी के लिए केवल दीर्घकालीन व्यवहार परिवर्तन विकसित करना है जो हमारे पूर्वज करते थे! आज की पीढ़ी का व्यवहार कुछ पाश्चात्य संस्कृति में रंगता हुआ दिख रहा है। आज के युवा दो कदम पर भी पैदल नहीं बल्कि गाड़ी घोड़े पर बैठकर जाना पसंद करेगा, सुबह देर से उठना, व्यायाम नहीं करना, मेहनत, योगा अपनी शारीरिक सुरक्षा नहीं करना एक फैशन सा बन गया है, जो हमारे शारीरिक कष्ट बीमारियों को जन्म देता है और महंगी स्वास्थ्य सेवाओं को आकर्षित कर लाखों-करोड़ों व्यर्थ में चले जाते हैं जिस पर वर्तमान समय में मनन चिंतन करना तात्कालिक ज़रूरी है एवं पौराणिक मुहावरे जान है तो जहान है को एक मजबूत स्थिति में लाकर खड़ा करके उसका पालन खुद भी करना है और दूसरों से भी करवाना है।
साथियों बात अगर हम खुद के स्वास्थ्य की करें और फिर स्वस्थ्य रहने की करें तो हमें जहान नहीं अपने निजी व्यवहार में दीर्घकालीन परिवर्तन विकसित करना है जिसे अब 1 से 26 जनवरी 2022 तक आजादी का अमृत महोत्सव के तहत नगर के नेताओं और नागरिकों को पैदल चलने और साइकिल चलाने की चुनौतियों का शुभारंभ किया गया है!!! साथियों बात अगर हम आवास व शहरी कार्य मंत्रालयद्वारा जारी पीआईबी की करें तो, 26 जनवरी, 2022 तक चलने वाले 3 सप्ताहों के दौरान, प्रतिभागियों को अपने पैदल चलने,दौड़ने और साइकिल की गतिविधियों को प्रतिदिन ट्रैक करने की आवश्यकता होगी और चुनौती के अंत में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले नगरों को पुरस्कृत किया जाएगा। फ्रीडम 2 वॉक एंड साइकिल इंटर-सिटी चैलेंज में शामिल होने के इच्छुक नागरिक वेबसाइट के माध्यम से या नगर के शहरी स्थानीय निकाय के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल द्वारा साझा किए गए पंजीकरण लिंक से अपने संबंधित शहर के लिए पंजीकरण कर सकते हैं। ये कार्यक्रम पैदल चलने और साइकिल चलाने की दिशा में नागरिकों में दीर्घकालिक व्यवहार परिवर्तन विकसित करने और प्रत्येक शहर में शहर के नेताओं को पैदल चलने और साइकिल चलाने के चैंपियन बनाने के मकसद से पहले के कार्यक्रम की गति को आगे बढ़ाएंगे। इंटर-सिटी सिटीजन चैलेंज के लिए अब तक 75 शहरों ने पंजीकरण कराया है। साथ ही 65 नगरों और 232 नेताओं, जिनमें आयुक्त, अतिरिक्त आयुक्त/संयुक्त आयुक्त/उपायुक्त, स्मार्ट सिटी के सीईओ और प्रमुख एसपीवी अधिकारी शामिल हैं, ने सिटी लीडर्स अभियान के लिए अब तक साइन अप किया है। आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के तहत 1 से 26 जनवरी 2022 के दौरान मंत्रालय का स्मार्ट सिटी मिशन फ्रीडम 2 वॉक एंड साइकल चैलेंज फॉर सिटी लीडर्स, और इंटर-सिटी फ्रीडम 2 वॉक एंड साइकिल चैलेंज फॉर सिटिजन्स नाम से दो अद्वितीय राष्ट्रीय स्तर की चुनौतियों का शुभारंभ किया है।
इन चुनौतियों का उद्देश्य 1-3 अक्टूबर, 2021 के बीच आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव- फ्रीडम 2 वॉक एंड साइकिल नामक राष्ट्रव्यापी अभियान को सफल बनाना है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि जान है तो जहान है बनाम जहान है तो जान है!!! पर मनन चिंतन करना है तथा नागरिकों में दीर्घकालीन व्यवहार परिवर्तन विकसित करने की अत्यंत तात्कालिक ज़रूरत है क्योंकि जान है तो जहान है मुहावरे का अर्थ अब बदलकर जहान है तो जान है कहने पर सृष्टि में मानव मजबूर है!!! जिसको पूर्वकालीन मुहावरे तक सीमित रखना
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