स्वामी प्रसाद मौर्य का इस्तीफा से ब्राह्मणी छावनी में मचा हड़कंप..
शूद्र बहुजन छावनी में खुशी का माहौल..
नाम हिन्दू का गांव मात्र ब्राह्मणों का -क्रांतिसूर्य ज्योतिबा फुले
चन्द्र भान पाल (बी एस एस)
योगी ने उ.प्र. की लड़ाई को 80/20 की बताया गोदी मीडिया और छुटभैये भाजपा नेता खुलकर 80/20 को हिन्दू/मुस्लिम बताने लगे।
अखिलेश यादव ने कहा यह लड़ाई 15/85 की है।
कई विधायकों सहित स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफा देकर अखिलेश यादव के 15/85 की लड़ाई पर मुहर लगा दी।
दिल्ली की ब्राह्मण शाही और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उप्र की ठाकुर शाही से परेशान उप्र के एससी-एसटी ओबीसी अब किसी भी कीमत पर हिन्दू बनकर भाजपा के झांसे में आने को तैयार नहीं हैं मोदी योगी सहित सारे भाजपा नेता काशी मथुरा अयोध्या में अनेक प्रकार के आयोजन कर चुके लेकिन एससी-एसटी ओबीसी जनता टस से मस होने को तैयार नहीं , धर्म संसद के नाम पर कथित संतों जो वास्तव में ब्राह्मणी छावनी के सिपहसालार ही हैं मुसलमानों के खिलाफ यथासंभव जहरीले भाषण भी दे चुके लेकिन उप्र के एससी-एसटी ओबीसी हिन्दू बनने को तैयार ही नहीं हैं, सहानुभूति पाने के लिए पीएम मोदी ने पंजाब में जान के खतरे का ड्रामा भी कर लिया लेकिन कोई सहानुभूति लहर तो पैदा नहीं हुई उल्टे उपहास के पात्र बन गए।
वास्तव में योगी ने जिस तरह उप्र में लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाते हुए ठोको नीति चलाकर फर्जी एनकाउंटर और पुलिस हिरासत में मौतों का सिलसिला चलाया पुलिस पूरी तरह निरंकुश हो गई जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा गरीब बहुजनों को ही भुगतना पड़ा। अब उन्हें अच्छी तरह एहसास हो गया है कि भाजपा सिर्फ एससी-एसटी ओबीसी का वोट लेने के लिए उन्हें हिन्दू बनाती है और सत्ता पाने के बाद उनके साथ मनुस्मृति के नियमों के अनुसार शूद्र समझकर ही उनके संवैधानिक अधिकारों को हड़पने के साथ साथ प्रताड़ित भी करती है।
हाथरस, उन्नाव ही नहीं उप्र के हर जिले में अनेकों घटनाएं हुई हैं जो योगी की ठाकुर शाही में दलितों पिछड़ों की बहन बेटियां उत्पीड़न का शिकार हुई हैं ।
बहुजन उन घटनाओं को भूलकर हिन्दू बनने को तैयार नहीं हैं।
69000 शिक्षक भर्ती घोटाले में एससी-एसटी ओबीसी के लगभग बीस हजार पदों पर सवर्णों की भर्ती करने से आक्रोशित अभ्यर्थियों द्वारा आंदोलन करने पर लाठी डंडे से पिटाई और छः महीने आंदोलन के बाद सिर्फ छः हजार पदों पर भर्ती का आश्वासन यह सब एससी-एसटी ओबीसी की आंखें खोलने के लिए काफी है। भाजपा अभी भी यदि सोचती है कि अभी भी वे हिन्दू बनकर अपने हक अधिकार गंवाने को तैयार हो जायेंगे तो वह मुगालते में है।
ओबीसी की बहुत पुरानी मांग जाति आधारित जनगणना की है भाजपा ने सुप्रिम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया है कि वे जाति आधारित जनगणना नहीं करा सकते ।
मोदी योगी ओबीसी जनता को क्यों नहीं समझाते कि जाति आधारित जनगणना कराने से देश पर कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा?
क्यों नहीं बताते कि हिन्दू बनकर भाजपा को सत्ताधारी बनाने वाले एससी-एसटी ओबीसी विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, विश्वविद्यालयों में कितने पर्सेंट हैं?
लेटरल इंट्री से कितने एससी-एसटी ओबीसी को मंत्रालयों में संयुक्त सचिव बनाया है?
राम मंदिर ट्रस्ट में एक भी ओबीसी को क्यों नहीं रखा?
प्रधानमंत्री कार्यालय में कितने एससी-एसटी ओबीसी
संयुक्त सचिव हैं?
राष्ट्रपति कार्यालय में कितने एससी-एसटी ओबीसी सचिव हैं?
सुप्रिम कोर्ट में एससी-एसटी ओबीसी के कितने जज हैं?
देश के सारे पावर सेंटरों पर सिर्फ ब्राह्मणों का ही कब्जा क्यों है?
क्या 85% एससी-एसटी ओबीसी का उन पावर सेंटरों
पर संख्यानुपात भागीदारी नहीं मिलनी चाहिए?
यदि मिलनी चाहिए तो उसके लिए भाजपा ने आज तक क्या प्रयास किया? या भाजपा यथास्थिति बनाए रखने और उनमें बहुजनों की भागीदारी रोकने के लिए ही प्रयासरत है?
भाजपा को इन सब सवालों का जबाब देना होगा ।
क्योंकि अब एससी-एसटी ओबीसी फुले साहू अंबेडकर पेरियार ललई सिंह यादव जगदेव प्रसाद कुशवाहा महामना रामस्वरूप वर्मा महराज सिंह भारती आदि महापुरुषों के विचारों उनके संघर्षों को जान चुके हैं, उन्हें दोस्त दुश्मन की पहचान हो चुकी है, हिन्दू बनकर अब अपने हक अधिकारों को गंवाना शोषण उत्पीड़न का शिकार होना अब उन्हें मंजूर नहीं।
बाबा साहेब ने कहा था जाओ अपनी दीवारों पर लिख दो हमें भारत का शासक वर्ग बनना है अब 85% एससी एसटी ओबीसी एकजुट होकर 2022 में उत्तर प्रदेश से ठाकुर शाही को और 2024 में दिल्ली की ब्राह्मण शाही को ध्वस्त करके बहुजनों की सत्ता कायम करेगा।और भारत को महापुरुषों के सपनों का प्रबुद्ध एवं समृद्ध भारत बनाएगा।
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