₹छोटा सिक्का यहाँ नहीं चलता? ₹
-पण्डित बेअदब लखनवी
जमीन चलती मगर आसमां नहीं चलता,
है चलता हुक्म मगर हुक्मरां नहीं चलता!
हमारा देश अनोखा है सारी दुनिया से,
फरेब मक्र कभी भी यहाँ नहीं चलता !
हो मोहकमा कोई अदालत क्या,
पैसा आखिर कहाँ नहीं चलता !
इश्क ऐसी बला है दुनिया में,
जिसमें बूढ़ा जवाँ नहीं चलता !
खोटा सिक्का भले ही चल जाए,
छोटा सिक्का यहाँ नहीं चलता !
काम लेता हूँ शायरी से वहां,
जोर अपना जहाँ नहीं चलता !
"बेअदब" घूमता हूँ मैं तन्हा,
ले के मैं कारवां नहीं चलता !
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