शासन और प्रशासन को गुमराह कर रहा लेखपाल फिर भी नहीं हो रही कार्रवाई
- जिलाधिकारी द्वारा ऊसर की अधिग्रहीत भूमि की जगह पशुचर की भूमि को बता दिया अधिग्रहीत ऊसर की भूमि
- दर्जनों शिकायतों के बाद नहीं हटे तालाब और पशुचर की भूमि से अवैध कब्जे
लेखराम मौर्य
लखनऊ। मलिहाबाद तहसील में एक ऐसा लेखपाल है जो उत्तर प्रदेश शासन और जिलाधिकारी से ऊपर हो गया है इसीलिए तो उसने जिलाधिकारी सहित सभी अधिकारियों को गुमराह कर दिया। बता दें कि यहां की ऊसर भूमि के गाटा संख्या 132 की भूमि पर 122 बी 4 एफ के तहत 10 लोगों को अलग-अलग समय पर पट्टे किये गये थे और उसके बाद इस गाटा संख्या में कुल 1.5640 हे0 भूमि बची थी। जिसमें से पूर्व लेखपाल और पूर्व प्रधान के कार्यकाल में डेढ़ बीघे जमीन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के लिए स्वास्थ्य विभाग को दे दी गयी। उसके बाद इस रकबे में 1.185 हे0 भूमि शेष रहने के बावजूद लेखपाल ने 1.564 हे0 भूमि का प्रस्ताव जिलाधिकारी के पास भेज दिया। इस मामले में तहसील में तैनात रहे तत्कालीन अधिकारियों ने भी बिना जानकारी किये आंख बंद कर प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिये जिलाधिकारी ने उस प्रस्ताव के आधार पर उत्तर प्रदेश शासन के पशुपालन विभाग के लिए ग्राम पंचायत महदोइया के ऊसर की गाटा संख्या 132 जमि0 की 1.5640 हे0 भूमि 3 मार्च 2021 को पुनग्र्रहीत कर हस्तान्तरित कर दी थी।
तब से लगातार जमीन नापने के लिए विभाग के अधिकारी कह रहे थे लेकिन लेखपाल टालमटोल करने के बाद अब अपनी कमी और लापरवाही को छिपाने के लिए पशुचर की भूमि नाप कर दे दी है। जो जिलाधिकारी के आदेश और नियमों के विपरीत है।
उक्त गाटा संख्या की इसके अतिरिक्त समस्त भूमि का 122 बी 4एफ के अन्तर्गत पूर्व में ही पट्टा किया जा चुका था। 132 गाटा संख्या की शेष भूमि में से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की भूमि को आज तक सरकारी अभिलेखों में स्वास्थ्य विभाग के नाम दर्ज नहीं किया गया है। पूर्व प्रधान राजेश सिंह ने कहा कि यह लेखपाल की लापरवाही है क्योंकि दोनो ही प्रस्ताव मेरे कार्यकाल में हुए थे और इसकी जानकारी लेखपाल को थी। पीएचसी बनकर तैयार होने के कगार पर है। लेकिन लेखपाल की लापरवाही और अधिकारियों को गुमराह करने के चलते आज तक अस्पताल की भूमि अभिलेखों में अंकित नहीं की गयी जबकि पूर्व लेखपाल शैलेष का कहना है कि उसके समय प्रस्ताव नायब तहसीलदार तक पहुॅंच गया था।
आज अब जब उस गाटा संख्या में मौके पर उतनी भूमि नहीं बची तो लेखपाल ने पशुचर की भूमि नापकर पशुपालन विभाग को दे दी है। गोसंरक्षण के्रन्द्र की निर्माण कर्ता एजेन्सी ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के अवर अभियन्ता ने कहा कि जो भूमि हमें दे दी है उस पर आज से काम शुरू हो गया है। जेई और पशु चिकित्साधिकारी ने कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि जमीन कैसी है उन्हें लेखपाल ने जो भूमि नापकर दे दी है उप पर निर्माण करा रहे हैं।
यहाँ के ग्रामीणों का कहना है कि गोसंरक्षण केन्द्र के लिए जमीन अस्पताल के आसपास ही दी गयी थी लेकिन अब पता नहीं क्यों लेखपाल ने पशुचर की भूमि को नाप दिया है। जहां पर जमीन दी गयी है वहां बीच में सडक़ है इस तरह यदि भविष्य में चहारदीवारी का निर्माण किया जाएगा तो सरकारी धन का अनावश्यक दुरूपयोग होगा जिसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। उपजिलाधिकारी हनुमान प्रसाद ने कहा कि उन्हें इस सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं है वहीं अपरजिलाधिकारी प्रशासन अमरपाल सिंह ने कहा कि लिखित जानकारी मिलने पर जांच कराएंगे और दोषी व्यक्ति के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी।
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