इटावा में जनपदीय कवि सम्मेलन आयोजन

विशेष संवाददाता 

इटावा प्रदर्शनी पण्डाल में हुए स्थानीय कवि सम्मेलन में काव्य के रचनाकारों ने समसामयिक विषयों पर कवितायें प्रस्तुत कर श्रोताओं को आनंद विभोर कर दिया। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ विशिष्ट अतिथि एवं ख्याति प्राप्त कवि द्वय अशोक यादव एवं कमलेश शर्मा के द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन करके हुआ। पूर्व परम्परा के अनुसार सम्मेलन में दो वरिष्ठ कवियों अनिल दीक्षित व बालकराम धनगर को शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता बृजानन्द शर्मा ने की। 

इस कार्यक्रम के पहले सत्र का संचालन डा0 सुशील सम्राट तथा दूसरे काव्य सत्र का सफल संचालन गिरीश बाबू पाण्डेय ‘गिरीश’ ने किया। कवि सम्मेलन का शुभारम्भ सत्यनारायण शर्मा द्वारा जयति जय मां भारती तथा प्रतीक्षा चैधरी द्वारा- ज्ञान का प्रसार कर पापियों का नाश करो देवी मात शारदे, के द्वारा सरस्वती वंदना के साथ हुआ। प्रदीप मिश्र ने हिन्दी वंदना पढ़ी।  

‘पूजनीय हिन्दी का माता के समान हो सम्मान.

अनिल दीक्षित ने रचना पढ़ी.

तुम जुगनू हो इससे फर्क पहीं पड़ता  

सूरज से भी आँख मिलाकर बात करो।  

गोविन्द माधव शुक्ल की ये रचना खूब सराही गयी-  

हम अंधेरों में भी जी लिये 

तेरी यादों के लेकर दिये  

कवि कमलेश शर्मा ने अपना परिचय देते हुये कहा-  

पुरखे हमारे हैं कबीर कौन कहेगा  

कमलेश वतन की पीर कौन कहेगा  

अशोक यादव ने सुनाया-  

बदनाम कितना वो हो गया है  

जो शख्स तुमको दिख रहा उजले लिबास में-  

अध्यक्षता कर रहे बृजानन्द शर्मा ने कहा-  

‘‘काया पाते जगत में राजा रंक फकीर 

जन्म उसी का सार्थक निर्मित करे लकीर’’ 

प्रेमबाबू प्रेम ने रचना सुनाई-  

ओ री पीर ठहर जा थोरी  

दृश्यों में रंग भरना बाकी  

सुधीर मिश्र ने शहीदों को नमन किया-  

मैं गाता उनके गीत जो करते हैं स्वदेश से प्यार  

मातृभूमि के लिए समर्पित उनका वंदन सौ-सौ बार  

महेश मंगल ने गजल सुनाई-  

तुम्हारे कान बहरे हैं कहूं तो क्या सुनोगे तुम  

रहूँ खामोश भी कैसे गलत रस्ता चलोगे तुम  

प्रमोद कुमार हंस की रचना को खूब सराहा गया-  

आया बीन बजाने वाला कुछ तो है  

कहता उसका भेष निराला कुछ तो है  

अवधेश भ्रमर ने भी अपनी रचना से समा बांधा-  

कहा न मैंने कभी किसी से प्यार करो तुम 

कहा न मैंने कभी किसी को याद करो तुम  

सम्मेलन के संयोजक वरिष्ठ कवि विशम्भर नाथ भटेले ने भी करारा व्यंग्य किया-  

चापलूसी चपलता का आलम..

देश के राजनेताओं से सीखिए..

रोहित चौधरी की ओज की कविताओं ने सभी के भीतर गर्माहट पैदा कर दी। इसके अलावा दीपचंद त्रिपाठी निर्बल, शिवगोपाल अवस्थी, राजेश गुप्ता, देवेश शास्त्री, हरीशंकर त्रिपाठी, राजीव नागर, निसार (झाबुआ), मेधावसु पाठक, राजदा खातून, श्रीराम राही, उमारानी दीक्षित, बंदना तिवारी, रजनीश त्रिपाठी, कृष्ण आधुनिक, पीयूष प्रेम, प्रेमनारायण त्रिपाठी प्रेम ने भी अपनी जानदार कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।  

सम्मेलन के संयोजक विशम्भरनाथ भटेले ने जनरल सेक्रेटरी एसडीएम राजेश वर्मा समेत सभी अतिथियों का सम्मान किया व आभार जताया। सह संयोजक सुरेश द्विवेदी का विशेष सहयोग रहा।

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