परियोजनाओं के क्रियान्वयन के संकल्प से ही सिद्धि!
- योजनाओं की घोषणा के साथ उनका क्रियान्वयन निर्धारित समय सीमा पर करने की व्यवहारिक ज़वाबदारी पर सख़्ती ज़रूरी..
- योजनाओं के क्रियान्वयन का ज़मीनी स्तर पर तालमेल और एकजुट प्रयास का संकल्प लेना ज़रूरी..
किशन भावनानी
भारत में हम लंबे समय से देखते आ रहे हैं कि बड़े-बड़े विभागों की योजनाओं, परियोजनाओं से लेकर मध्यम स्तर की योजनाओं जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना भी शामिल है, अपने निर्धारित समय सीमा पर पूर्ण नहीं हो पाती!! और उसका बजट बढ़ जाता है, जो टैक्स पेयर्स के योगदान का बहुत बड़ा नुकसान होता है। आखिर इसका व्यवहारिक जवाबदार कौन होता है, इसकी हमें गहराई में जाकर उसकी सामूहिक व्यवहारिक जवाबदारी निर्धारित करके उस बजट बढ़ने की ज़वाबदारी दोषियों पर डालते हुए अतिरिक्त लागत उनसे वसूलने का समय अब डिजिटल भारत में आ गया है!!! साथियों बात अगर हम वर्तमान समय में भारत के बहुत बड़ेराज्य में कुछ योजनाओं परियोजनाओं के लोकार्पण की करें तो विपक्षी पार्टियों के स्वर सुनाई दे रहे हैं कि इसकी नींव हमने रखीथी या योजना हमने बनाई थी उसका शिलान्यास या लोकार्पण इन्होंने किया है!! साथियों हो सकता है बात में सच्चाई हो परंतु सवाल फिर उत्पन्न हो जाता है कि फ़िर उनके समय सीमा में वह योजना पूर्ण क्यों नहीं हुई थीं!! बस!!! यही बात आज जनता के दिमाग में भी घूम रही है कि आज डिजिटल युग में बड़ी बड़ी योजनाओं पर प्रकल्पों को निर्धारित समय सीमा पर पूर्ण नहीं होने पर नुकसान की व्यवहारिक ज़वाबदारी सामूहिक स्तर पर कर नुकसान की भरपाई हो इससे शासन प्रशासन की जवाबदेही बढ़ेगी और समय सीमा पर कार्य योजनाएं पूर्ण होने का लाभ प्राप्त होगा। साथियों बात अगर हम योजनाओं के क्रियान्वयन प्रबंधन की करें तो, केन्द्र राज्य सरकारों का उद्देश्य सिर्फ योजनाएं बनाकर रह जाना नहीं हैं अपितु उनके क्रियान्वयन व उसमें आने वाली समस्याओं के लिए समस्या सुधार की व्यवस्था बनाना भी हैं। कार्यक्रम व योजनाओं के क्रियान्वयन में गति का विशेष ध्यान रखा जाए।
केन्द्र राज्य सरकारों के प्रमुख कार्यक्रम जैसे योजनाओं के निर्धारित लक्ष्यों को निर्धारित समयसीमा में पूर्ण किया जाए। नये लक्ष्यों को और अधिक बढ़ाया गया व उनकी प्राप्ति करने हेतु अनवरत प्रयास किये जाएं। इन प्रमुख योजनाओं का लाभ भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों को मिले, यह वर्ग स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं, आज ग्रामीण क्षेत्रवासी भारत के विकास में अपना योगदान देने हेतु तत्पर हैं व उनमें यह भाव जगाया जाय कि भारत की प्रगति में उनका भी योगदान है। अभी तक भारत का विकास व आर्थिक प्रगति शहरीकरण व औद्योगीकरण में ही प्रदर्शित होती है जो कि आज सबका साथ सबका विकास की अवधारणा को पुष्ट करते हुए भारत के प्रत्येक राज्य व प्रत्येक क्षेत्र के निवासियों की उन्नति व समृद्धि में परिलक्षित होने की राह तेज गति से बढ़ाई जाए। साथियों बात अगर हम आत्मनिर्भर भारत और नए भारत मिशन 2047 की करें तो हमारे लिए तात्कालिक ज़रूरी हो गया है कि हमारी जो इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाएं हैं वे अपनी समय सीमा में पूर्ण हो जिसके लिए सबसे अधिक ध्यान व जवाबदारी हमारी शासन-प्रशासन को योजनाओं को जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन में तालमेल और एकजुट प्रयास के लिए जन जागरण अभियान चलाकर संकल्प लेकर शीघ्र पूरा करना ज़रूरी है। क्योंकि हमारे पास अब इतना अतिरिक्त समय नहीं है कि विकास योजनाओं को निर्धारित समय सीमा के बाहर अतिरिक्त समय दें, क्योंकि इससे उनकी लागत में अप्रत्याशित वृद्धि होने की पूर्ण संभावना हो जाती है।
साथियों बात अगर हम अपने निर्धारित समय सीमा में पूर्ण होने वाले परियोजनाओं की करें तो परिवहन विभाग सहित अनेक पीएम योजनाएं हैं जो अपने रिकॉर्ड निर्धारित समय में या उससे पूर्व पूर्ण हुई है जिसका इलेक्ट्रॉनिक मीडिया साइटों में भी उल्लेख किया गया है और माननीय परिवहन मंत्री ने भी उनके मंत्रालय के अधिनस्थ आने वाली कुछ योजनाओं को समय पूर्व पूर्ण करने की जानकारी एक इंटरव्यू में दी थी। साथियों बात अगर हम ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार की राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी की साइट की करें तो हमें हमारे अनेक सवालों का जवाब मिलेगा जिसमें कुछ का उल्लेख किया जा रहा है, यदि ठेकेदार द्वारा निर्धारित मील पत्थरों (माइलस्टोन) का अनुपालन नहीं किया जाता है तो वह अनुबंध की सामान्य शर्तों के खंड 44 के अनुरूप अभिप्रेत पूर्णता तारीख से लेकर वास्तविक पूर्णता तारीख की अवधि तक के लिए परिनिर्धारित क्षतियों की अदायगी हेतु उत्तरदायी होगा। -1)
यदि पूर्णता के लिए अनुमत अवधि के 1/4 भाग तक पूरे अनुबंध निर्माण कार्य मूल्य का 1/8 हिस्सा पूरा नहीं किया गया हो। 2)
यदि पूर्णता के लिए अनुमत अवधि के 1/2 भाग तक पूरे अनुबंध निर्माण कार्य मूल्य का 3/8 हिस्सा पूरा नहीं किया गया हो। 3)
यदि पूर्णता के लिए अनुमत अवधि के 3/4 भाग तक पूरे अनुबंध निर्माण कार्य मूल्य का 3/4 हिस्सा पूरा नहीं किया गया हो। 4)
पूर्णता में हुई देरी के लिए निकटतम हजार तक राउंड ऑफ करके, प्रति सप्ताह, प्रारंभिक अनुबंध मूल्य का 1 प्रतिशत, निर्माण कार्य पूरा होने में हुई देरी के लिए परिनिर्धारित क्षति है बशर्ते कि यह अधिकतम प्रारंभिक अनुबंध मूल्य का 10 प्रतिशत होगा। प्रत्येक निर्माण कार्य के लिए स्थानीय भाषा में निम्नलिखित विस्तृत जानकारी करते हुए नागरिक सूचना बोर्ड लगाए जाते हैं-परियोजना निर्माण कार्य के प्रत्येक स्तर का विवरण। निर्माण कार्य में समाहित सामग्री की मात्रा का विवरण। सड़क का निर्माण किस तरह किया जाएगा और अन्य संगत विवरण।निष्पादन एजेंसी, ठेकेदार, निर्माण कार्य की अनुमानित लागत और पूरा होने की अवधि की जानकारी देते हुए प्रत्येक कार्यस्थल पर सामान्य सूचना बोर्ड भी लगाया जाता है। परियोजना कार्यक्रम वेबसाइटों पर कार्यक्रम के संबंध में जानकारी और प्रत्येक निर्माण कार्य के बारे में विवरण उपलब्ध है। प्रभावी प्रबंधन और कार्यक्रम के तहत निगरानी के लिए ऑनलाइन निगरानी और प्रबंधन प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। वेब-आधारित पैकेज के तहत फील्ड स्तर के कर्मचारियों और राज्य इकाइयों द्वारा अपेक्षित डेटा दर्ज किया जाता है। निर्माण की गुणवत्ता, ठेकेदार द्वारा घटिया सामग्री का इस्तेमाल अथवा निष्पादन में देरी के बारे में सामान्य नागरिक किस तरह शिकायत दर्ज कर सकते हैं? (i) कोई भी नागरिक पीआईयू प्रमुख से किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज कर सकता है। पीआईयू का पता प्रत्येक कार्यस्थल पर प्रदान किए सूचना बोर्ड पर उपलब्ध होता है।नागरिक संबंधित राज्य की राज्य ग्रामीण सड़क विकास एजेंसी के राज्य गुणवत्ता समन्वयक से भी शिकायत कर सकते हैं। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि परियोजनाओं के क्रियान्वयन के संकल्प से ही सिद्धि होती है क्योंकि योजनाओं की घोषणा के साथ उसका क्रियान्वयन निर्धारित समय सीमा पर करने की व्यावहारिक जवाबदेही निर्धारित करना जरूरी है तथा योजनाओं के क्रियान्वयन का जमीनी स्तर पर तालमेल और एकजुट प्रयास का संकल्प लेना ज़रूरी है।
*-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*
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