रिश्वत लेने के बाद भी पट्टे की जमीन पर कब्जा नहीं दिला रहा लेखपाल

जब अवैध कब्जा कराने में हो रही हो कमाई तो क्यों हटवाएं सरकारी जमीनों से कब्जा...
सरकारी जमीनों से अवैध कब्जा हटवाने में तहसील प्रशासन के सामने प्रधान हुए बेबस...

लेखराम मौर्य

लखनऊ। जिस तरह लेखपाल जनता की समस्याएं हल करने के बजाय उनकी समस्याएं बढ़ाने का काम कर रहे हैं उससे तो यही लगता है कि अपनी अवैध कमाई के चलते सरकारी कर्मचारी इस सरकार को जड़ से उखाड़ फेंकने में कोई कोर कसर नहीं रखना चाहते हैं। क्योंकि माल क्षेत्र के अहमदपुर निवासी दो पट्टेदारों से लेखपाल ने पट्टे की जमीन पर कब्जा दिलाने के नाम पर 14 हजार रू0 ले लिये उसके बाद आज तक कब्जा भी नहीं दिलाया। जबकि उक्त दोनों पट्टेदारों ने कई प्रार्थना पत्र तहसील दिवस में दिये लेकिन लेखपाल ने मौके पर आए बिना ही कब्जा दिला दिये जाने की फर्जी रिपोर्ट लगा दी। इस बात का खुलासा उन पट्टाधारकों ने किया

लेखपालों की अवैध कमाई का जरिया बनते जा रहे तहसीलों में आयोजित होने वाले सम्पूर्ण समाधान दिवस में आने वाले जमीन सम्बन्धी प्रार्थना पत्रों का कागजों में निस्तारण हो रहा है। मलिहाबाद क्षेत्र के कुछ प्रधानों और पट्टेदारों ने बताया कि उन्होंने तहसील समाधान दिवस में कई प्रार्थना पत्र दिये लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जबकि उनके प्रार्थना पत्रों पर कागजों में ही निस्तारण हो गया और प्रधानों को कानोंकान भनक तक नहीं लगी।

बताते चले कि माल क्षेत्र के ललई खेड़ा निवासी कृष्ण कुमार ने बताया कि उनके पिता को 10 बिस्वा जमीन का पट्टा मिला था जिस पर कब्जा पाने के लिए दर्जनों प्रार्थना पत्र तहसील दिवस में दिये लेकिन एक बार लेखपाल ने करीब 7 बिस्वा जमीन ही नाप कर दी और पूरी जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए 10 हजार की मांग की लेकिन 4 हजार रू0 लेने के बाद भी आज तक बाकी जमीन पर कब्जा नहीं दिलाया। 

कृष्ण कुमार ने बताया कि ललई खेड़ा निवासी रामलाल यादव ने रामस्वरूप और उसकी पत्नी पार्वती की जमीन खरीद ली विक्रेता अनुसूचित जाति का होने के कारण रामलाल ने जमीन कल्लू पुत्र छोटेलाल के नाम लिखा दी। और करीब डेढ़ गुना जमीन पर कब्जा करके कुछ पर मकान बना लिया है.. और अब लेखपाल भी उससे मिल गये हैं इसलिए उससे अवैध कब्जा नहीं हटवा रहे हैं।

इसी गांव के हरिश्चन्द ने लेखपाल पर 10 हजार रू0 लेने का आरोप लगाते हुए कहा कि कई प्रार्थना पत्र देने के अलावा सांसद से भी लिखवाकर दिया लेकिन आज तक लेखपाल ने पट्टे की जमीन पर कब्जा नहीं दिलाया और अब तो वह फोन भी नहीं उठाता है। इसके अलावा पिछले तहसील समाधान दिवस में एक प्रार्थना पत्र दिया था जिसकी आज तक कोई जांच नहीं हुई।

गरीब जनता की तो बात छोडि़ए क्योंकि उससे पैसा लेकर भी लेखपाल उनका काम नहीं कर रहे है तो प्रधानों का काम कैसे करेंगे..

महदोइया की प्रधान नीलम ने बताया कि उन्होंने पंचायत भवन के आसपास की जमीन खाली कराने के लिए तहसील दिवस में प्रार्थना पत्र दिया जिस पर लेखपाल ने कब्जा हटवाने के बजाय उन पर धारा 67 की कार्रवाई कर दी जबकि वह जमीन सुरक्षित है जिसकी जानकारी प्रधान को भी नहीं दी। इसी तरह बिराहिमपुुर के प्रधान रामशंकर ने पंचायत भवन के सामने से घूर हटवाने के लिए तहसील दिवस में प्रार्थना पत्र दिया लेकिन उनके प्रार्थना पत्र का भी कागजों में निस्तारण हो गया और उनको भनक तक नहीं लगी। 


इसी क्रम में गढ़ी संजर खां के प्रधान पति सुनील ने बताया कि अभी तक तहसील वाले कब्जा हटाने का नाम नहीं ले रहे हैं। तहसील दिवस के यह तो कुछ प्रकरण हैं जमीन सम्बन्धी ऐसे सैकड़ों मामलों में लेखपाल फर्जी रिपोर्ट लगाकर जनता को लगातार गुमराह करने का काम कर रहे हैं इनके इस कृत्य में तहसील के अधिकारी भी कम भागीदार नहीं हैं।

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