नई पीढ़ी के नव निर्माण में महिलाओं की भूमिका बिहार
सुजाता मौर्या
0 से लेकर तकरीबन 10 वर्ष तक अधिकतर बच्चे मां पर ही आश्रित होते हैं। इसी उम्र में बच्चों के सही लालन-पालन व संस्कार की सर्वाधिक आवश्यकता होती है। उनके मनो मस्तिष्क का 70ः से अधिक हिस्सा इसी समय विकसित होता है।
हर मां अपने बच्चे से बहुत प्यार भी करती है और वह चाहती है कि कि मेरी आंखों का तारा जीवन में कामयाबी हासिल करे, बावजूद इसके आज के दौर मे मांएं अपने बच्चों को संभालने में कहीं ना कहीं से चूक क्यों जा रही हैं? आज अधिकांश युवा नशे की गिरफ्त में क्यों हैं? कुंठा व अवसाद उनके जीवन में लगातार अपनी जगह क्यों बना रहा है? बच्चों द्वारा आत्महत्याओं की दर धीरे-धीरे लगातार क्यों बढ़ रही है? हम अपनी संस्कृति, संस्कार और सरोकारों के प्रति नई पीढ़ी का लगाव धीरे-धीरे कम क्यों होता जा रहा है?
हम जिन बच्चों के लिए अपना पूरा जीवन खपा देते हैं आखिरकार बुढ़ापे में वही बच्चे हमसे भावनात्मक रूप से दूर क्यों होते जा रहे हैं? इन्हीं तमाम परिस्थितियों को देखते हुए नई पीढ़ी द्वारा पूरे देश की महिलाओं के बीच एक अभियान के तहत नई पीढ़ी के नव निर्माण में महिलाओं की भूमिका विषयक ऑनलाइन परिचर्चा आयोजित की जा रही है, यह परिचर्चा अभी तक दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, विशाखापट्टनम, हैदराबाद, तिरुअनंतपुरम, बुंदेलखंड, भुवनेश्वर तथा गुजरात के सूरत से आयोजित की जा चुकी है।
हम जिन बच्चों के लिए अपना पूरा जीवन खपा देते हैं आखिरकार बुढ़ापे में वही बच्चे हमसे भावनात्मक रूप से दूर क्यों होते जा रहे हैं? इन्हीं तमाम परिस्थितियों को देखते हुए नई पीढ़ी द्वारा पूरे देश की महिलाओं के बीच एक अभियान के तहत नई पीढ़ी के नव निर्माण में महिलाओं की भूमिका विषयक ऑनलाइन परिचर्चा आयोजित की जा रही है, यह परिचर्चा अभी तक दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, विशाखापट्टनम, हैदराबाद, तिरुअनंतपुरम, बुंदेलखंड, भुवनेश्वर तथा गुजरात के सूरत से आयोजित की जा चुकी है।
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