जीत उसी की होती है जिसमें साहस होता है..?

2 अक्टूबर को शिक्षक कर्तव्यों के साथ गरिमा पूर्ण जीवन जीने का संकल्प लें..

रीना त्रिपाठी

आज सत्य, अहिंसा और साहस का अनोखा उदाहरण दुनिया के सामने पेश करने वाले पूज्य महात्मा गांधी व सरलता सहजता और ईमानदारी से दुनिया को मिसाल देते देशरत्न परम आदरणीय पूज्य लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्मदिन है।

मार्टिन लूथर और मंडेला को अंहिसा का पाठ पढ़ाया, वह और कोई नही महात्मा गाँधी थे, जिन्होंने इन्हे अंहिसा का मार्ग दिखाया था..

आज देश अंग्रेजों का गुलाम नहीं है पर क्या हम स्वतंत्रता की अनुभूति कर पा रहे हैं यह सोचने का भी समय आ गया है..

शिक्षकों की नियुक्ति बच्चों के उज्जवल भविष्य को बनाने के लिए की जाती है शिक्षक का रोम-रोम अपने विद्यार्थी के जीवन में शिक्षा का प्रकाश फैलाने के लिए ऋणी रहता है। पर क्या शिक्षक अपना पूरा समय अपना पूरा ध्यान अपने विद्यार्थी को दे पा रहा है??

जैसा कि सभी जानते हैं बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों से बच्चों को पढ़ाने के सिवा अन्य सभी कार्यों को करने का दबाव डाला जाता है इसी कड़ी में एक नया कार्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना डी. बी. टी (डायरेक्ट बेनेफिशरी ट्रांसफर) की फीडिंग है। यह कार्य बीआरसी के बाबू, वीडियो ऑफिस के कर्मचारी या किसी एनजीओ के माध्यम से भी कराया जा सकता है। प्रशासनिक अधिकारियों को संस्था और सुलभ बेचारा निरीक्षक ही मिलता है विभिन्न संसाधन होने के बावजूद दबाव शिक्षकों पर बनाया जा रहा है। लगभग प्रदेश भर के शिक्षकों ने बच्चों और उनके अभिभावकों के आधार से लेकर बैंक अकाउंट तक के सभी डाटा एकत्र करके बीआरसी स्तर पर पहुंचा दिए हैं। अब इसे एक ऐप में फीड करने का दबाव बनाया जा रहा है जबकि शिक्षकों के पास ना तो तकनीकी जानकारी है और ना ही उत्कृष्ट तकनीकी यंत्र (लैपटॉप और मोबाइल)।

आइए शिक्षा को निजी हाथों में जाने से बचाएं और अपने बच्चों को मिलकर खूब पढ़ाए...

प्रश्नचिन्ह यह लगता है कि क्या शिक्षकों की नियुक्ति के समय उनके तकनीकी रूप से सक्षम होने की योग्यता रखी गई थी निश्चित रूप से शिक्षक बीएड बीटीसी इत्यादि के कोर्स करके बनते हैं ना कि बैचलर ऑफ कंप्यूटर एंड टेक्निकल एजुकेशन करके।

...क्योंकि गद्दार तो अपने ही बीच होते हैं..

जब शिक्षकों के पास तकनीकी प्रवीणता नहीं है तो उनसे इस प्रकार के कार्य क्यों कराए जा रहे हैं ??? आंकड़े भरने में तकनीकी त्रुटि होने पर लाभ भी लाभार्थी के खाते में नहीं पहुंच पाएगा क्या यह सरकार की योजना को बदनाम करने की बड़े स्तर की साजिश है???

कई जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा कार्य न करने पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। 

बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत लगभग सभी शिक्षक हितैषी संगठनों ने ज्ञापन के माध्यम से राज्य सरकार के प्रमुख अधिकारियों, मंत्रियों को ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया है किस शिक्षक को स्वतंत्रता दी जाए शिक्षक को अपने बच्चों को पढ़ाने का समय दिया जाए। विद्यालय में नई किताबें पहुंच चुकी हैं बच्चे और शिक्षक पढ़ने और पढ़ाने के लिए लालायित हैं पर अफसोस.प्रत्येक शिक्षक को डीबीटी की सेटिंग में उलझा कर बच्चों का नुकसान करने की योजना बनाई जा रही है जो शिक्षा पाने की मूल अधिकार का हनन है। 

सभी संगठनों ने एकता दिखाई अब समय है कि सभी शिक्षकों को एकजुट होकर इस फीडिंग का विरोध करना चाहिए जब कोई टेक्निकल जानकारी है ही  नहीं  तो सब बात खत्म हो जाती है क्योंकि Android मोबाइल रख लेना मात्र तकनीकी की जानकारी होने के लिए पर्याप्त नहीं और यदि कुछ लोग टेक्निकल जानकार बनते हैं और शिक्षकों का शोषण कराने में अधिकारियों की मदद करते हैं उनकी भी पहचान कर ली जाए। आइए आज मिलकर संकल्प लें कि गलत को गलत कहने की ताकत अपने अंदर जगायेंगे। 

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