किसने गायब किये मनीष के एक लाख नगद

संजय सिंह

गोरखपुर। कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता के साथ गोरखपुर के तारामंडल क्षेत्र के जिस कृष्णा होटल में पुलिस ने मारपीट की, उसका सीसीटीवी फुटेज अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि इसमें पुलिस की बर्बरता की फुटेज है। 

सवालों के घेरे में पुलिसकर्मियों की करतूत...

सवाल उठ रहा है कि ये सीसीटीवी फुटेज पुलिस ने अपने कब्जे में क्यो ले लिया है? यदि कब्जे में लिया है तो अभी तक जांच में इसे क्यो शामिल नहीं किया गया? इतना ही नहीं, मामले की जांच क्राइम ब्रांच को मिली है, उसने अभी तक जांच क्यो नहीं शुरू की? हत्यारोपी पुलिस वाले की गिरफ्तारी को लेकर कोई प्रयास क्यो नही हो रहे हैं?  

होटल के सीसीटीवी फुटेज में पुलिस की एक-एक करतूत की रिकार्डिंग हैं। पुलिस ने खुद को फंसता देख अपराधियों की तरह सबूत को मिटाया है। होटल के गैलरी से लेकर बाहर का सीसीटीवी फुटेज का कोई अता-पता नहीं है। होटल वाले पूरे प्रकरण में चुप्पी साधे हुए है। होटल वालों का कहना है कि पुलिस सारे सबूत अपने साथ लेकर चली गई थी। 

होटल से कैसे गायब हो गया CCTV फुटेज..

वहीं पुलिस वालों ने रात में ही पूरे कमरे की सफाई करा दी थी। हालांकि इस दौरान उससे चूक हो गई। होटल पहुंची पत्नी मीनाक्षी को खून से सना तौलिया बेड के नीचे से मिला था। 16 कैमरे लगे हैं होटल में कृष्णा होटल में कुल 16 सीसी कैमरे लगे हैं। इनमें से तीन उस फ्लोर पर हैं जहां मनीष ठहरे हुए थे। मनीष कमरा नंबर 512 में ठहरे हुए थे। कमरे के अंदर की करतूत को रिकार्डिंग में नहीं है। लेकिन बाहर के कैमरों में पुलिस की बर्बरता की निशानियां मौजूद हैं। 

यहाँ ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर क्राइम ब्रांच की टीम अभी तक सीसीटीवी फुटेज को अपने कब्जे में क्यो नहीं लिया है। पत्नी का आरोप, एक लाख और सोने की अंगुठी गायब मनीष की पत्नी मीनाक्षी का कहना है कि पति के पास एक लाख रुपये से अधिक की नकदी थी। वह जब भी घर से निकलते तो इतनी रकम उनके जेब में जरूर रहती थी। पुलिस ने नकद कोई रकम नहीं लौटाई। इसके साथ ही मनीष की सोने की अंगूठी भी गायब बताई जा रही है। इन सभी आरोपों और सवालों से क्राइम ब्रांच पर्दा उठाएगी अब यही यक्ष प्रश्न बना हुआ है।

हले भी कटघरे में खड़ी हो चुकी है खाकी ...                

रामगढ़ताल पुलिस की पिटाई से कानपुर के प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता की मौत का नया प्रकरण सामने आने पर पिछले करतूतों की चर्चा खूब हो रही है।

उत्तर प्रदेश की गोरखपुर पुलिस कर्मियों की घिनौनी करतूत सामने आने से देश भर में तूफान मच गया है। चुनाव से ठीक पहले इस मामले को राजनैनिक पार्टियां चुनावी मुदृा बनाने में कोई कोर कसर छोड़ने को तैयार नहीं हैं। वहीं, खाकी पर लगे इस दाग को अब अलग-अलग तरीके से परिभाषित किया जा रहा है।

गोरखपुर में सराफा व्यापारी से हुई लूट के मामले में 22 जनवरी 2021 को चार पुलिसकर्मी गिरफ्तार कर भेजे जेल जा चुके हैं। यह सभी बस्ती जिले में तैनात थे। इनमें एक दरोगा और तीन सिपाही मिलकर लूट करते थे। मंगलवार को कानपुर के प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता की पुलिस से पिटाई से मौत के बाद कुछ पुरानी घटनाओं पर लोग जिक्र करने लगे।

👉4 मार्च 2021, को शाहपुर इलाके में एक नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप के वीडियो वायरल होने के मामले में चौकी प्रभारी और सिपाही को निलंबित कर दिया गया है। इसके बाद इस मामले में तत्कालीन एसएसपी जोगेंद्र कुमार के आदेश पर पीड़िता के बयान के आधार पर चौकी इंचार्ज और सिपाहियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। सिपाहियों को जेल भी भेजा गया था।

👉इससे पहले गोरखपुर में एसएसपी रहे सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज सख्त रवैये के लिए जाने जाते थे। उनके कार्यकाल में उरूवा थाने में तैनात रहे दरोगाओं पर 18 दिसंबर 2017 को अपहरण कर रंगदारी मांगने का केस दर्ज हुआ था। 

इस मामले में ट्रेनी दरोगा अभिजीत कुमार और रघुनंदन त्रिपाठी को गिरफ्तार किया गया था। आरोप था कि बिहार के गोपालगंज के छात्र एहसान आलम को धोखे से उसका दोस्त अफजल गोरखपुर लाया था फिर परिचित दोनों दरोगा की मदद से तीन लाख रुपये की फिरौती मांगी गई थी।

👉2006 में कुशीनगर जिले के एक कारखाने में युवक की हत्या हुई थी। जिसका सिर काट दिया गया था। आरोप था कि सरकारी जीप का इस्तेमाल कर दरोगा निर्भय नारायण सिंह ने शव को गंडक नदी में बहा दिया था। इस मामले में आईजी के आदेश पर तब केस दर्ज हुआ था और बाद में दरोगा की गिरफ्तारी भी हुई थी। यह मामला भी काफी चर्चित रहा था। इसमें पूरी कार्रवाई आईजी की देखरेख में हुई थी।

👉2000 में शाहपुर थाने में पूछताछ को लाए गए एक युवक की मौत हो गई थी। आरोप था कि एएसपी ने मारपीट की, इसमें थानेदार भी शामिल थे। पुलिस ने इस मामले में हत्या का केस तत्कालीन थानेदार रहे संजय सिंह पर दर्ज किया था। बाद में उनकी गिरफ्तारी की गई थी और जेल भेजा गया था। तब एसएसपी विजय कुमार यहां पर थे और उनके आदेश पर ही कार्रवाई हुई थी।

👉22 मई 2019 को वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रामशरण श्रीवास्तव से रंगदारी वसूलने के मामले में ट्रांसपोर्ट नगर चौकी इंचार्ज रहे शिव प्रकाश सिंह और कथित पत्रकार प्रणव त्रिपाठी पर एफआईआर दर्ज की गई थी। मगर यह केस पुलिस ने नहीं दर्ज किया था। ना ही तब डॉक्टर को पुलिस पर भरोसा था। दो लाख रुपये देने के बाद डॉक्टर ने सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर शिकायत की थी और उनके ही आदेश पर रातों रात पुलिस हरकत में आ गई थी। आरोपियों पर केस दर्ज करने के साथ ही उनकी गिरफ्तारी भी की गई थी

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