बहु मुखी प्रतिभा के धनी पंकज गुप्ता

हम विकास के साथ-साथ हैं.. 

कहानी उन्नाव के जन नायक पकंज गुप्ता की..

प्रकाश शुक्ला 

उन्नाव। विधानसभा चुनाव का समय निकट आते ही कोई लक्ष्य 2022, कोई मिशन 2022 सहित विभिन्न लोक लुभावन नारों के साथ जनहिमायती का दम्भ भरते हुए। अलग-अलग दल, अलग-अलग विचारों को लेकर आ गए हैं और सबकी बात एक जो पद पर है उनके प्रति जनता में क्या षडयंत्रकारी खबरें फैलाएं इस मुद्दे पर इकट्ठे हो जाओ। किसलिए इकट्ठे हो जाओ, उन्नाव के विकास के लिए तो स्वागत है, पर हमारे जननेता सदर विधायक पंकज गुप्ता अपने ढंग से उन्नाव के विकास के लिए सेवा संघर्ष कर रहे हैं। वह विकासवादी सोच के न होते और अगर वह निस्वार्थभाव से राजनीति में स्थान बनाने का प्रयास न करते तो ये पद राजनीति में मिला स्थान कोई आकस्मिक या चमत्कार नहीं है। इसके पीछे 1992  से लेकर अब तक 30 साल की साधना व संघर्ष हैं। 

जमीनी स्तर पर पंकज गुप्ता जनता के बीच रहने वाले जन-नायक۔..

पंकज गुप्ता ने मेहनत की लोगों के बीच गए हैं। भाजयुमा उपाध्यक्ष के पद से एक कार्यकर्ता के रूप में संघर्ष किया है। 365 दिन चाहे जेठ की दुपहर हो, चाहे अषाढ़ की बारिश हो या पूस की ठंड हो या आधी रात को जनता के बीच रहने वाले ये कोई चुनाव में कुकरमुत्ते की तरह होर्डिंग्स लगाकर खड़े होने वाले लोग नहीं हैं और आज कुछ षड़यंत्रकारी अकारण उन्हें कटघरे में खड़ा करने का प्रयास करते हैं। हो सकता है हर व्यक्ति की अपेक्षाओं पर पूर्ण खरा न उतर सके हों, लेकिन बिना भेदभाव के प्रयास अवश्य किया होगा। मैं दावे के साथ कहता हूं पिछले समय की तस्वीरें उठाकर देख लेना स्पष्ट हो जाएगा तमाम अड़चनों को पार कर विकास को गति देने हर सुख-दुख में खड़े रहने का प्रयास अवश्य किया है। 

जरूरत के समय वह कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करते नजर आए होगें। एक कहावत है कि सुख में सुमिरन सब करें दुःख में करे न कोए। लेकिन जब कोविड काल आया तो विपदा के समय भी अगर कोई अपनी जान की परवाह करे बगैर सेवा कार्यों में जुटा रहा तो वह सख्स पंकज गुप्ता ही थें। 

मैं नहीं जानता आप सबके मन में उनके प्रति क्या विचार हैं लेकिन मैं इतना जरूर जानता हूं कि पंकज गुप्ता के पूर्वज भी यहीं उन्नाव में रहें, पंकज गुप्ता भी यहीं पैदा हुए, बड़े हुए, खेले पढ़ें और परिवारिक रिश्तों की भांति इतने लम्बे समय से जुड़े हैं। हो सकता है कि कभी मन में आता हो कि मेरे तो नई जगह भी संबंध हैं हम जैसे यहां मेहनत करते हैं वहां भी मेहनत कर संबंध बना सकते हैं लेकिन एक विचार यह भी करना होगा कि कहीं नई जगह पहले तो संबंधों को जन्म लेना होगा। फिर खुद को साबित करना होगा ऐसे में अन्तर्विरोधों से घिरे होने पर पहले शर्तें लगेंगी। 

कितने स्थायित्व संबंध होगें यह प्रश्न चिन्ह होना स्वाभाविक है। खैर सदर विधायक पंकज गुप्ता को जितना हम जानते हैं वह सेवा कार्यों में जुटे रहेंगे और विश्वास दिलाते हैं जो उनका आदर्श उन्नाव का सपना मठाधीश वादी परम्परा को मिटाकर आम आदमी का उन्नाव हो, वह संकल्प जो हाथ में लिया है वह जब तक पूरा नहीं हो जाता वह बिना थके बिना रुके संघर्ष सेवा में जुटे रहेंगे। लेकिन इसके इतर जो इस समय कटघरे में खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं उन्हें सवाल करने का पूरा अधिकार है। लेकिन जब जब उन्नाव की जनता पर कोई समस्या आई तब प्रश्न चिन्ह खड़ा करने वाले आदरणीयगण कहां थे- 

-कोविडकाल में जब सब घरों में कैद थे तब सबसे पहले आनलाइन जनता सेवा कैंप का शुभारंभ सदर विधायक पंकज गुप्ता ने किया लेकिन होर्डिंग्स वाले कहां थे।

-कोविडकाल में गली-गली सेनेटाइजेशन, फागिंग, निजीधन सीसीटीवी कैमरा लगवाने का कार्य पंकज गुप्ता कर रहे थे तब बाकी नेता कहां थे।

-जब दूसरी लहर आयी ऑक्सीजन सिलेण्डर की आवश्यकता पर पंकज गुप्ता प्रबंधन कर उपलब्धता कराने का प्रयास कर रहे थे तब बाकी नेता कहां थे। 

-जब जरुरतमंदों को लंच, राशन देने का कार्य पंकज गुप्ता कर रहे थे तब बाकी नेता कहां थे।

-जब परियर में मंडी का संचालन बंद था  किसान परेशान थे तब मन्डी का संचालन पंकज गुप्ता ने कराया।

- विभिन्न बीमारियों से पीड़ित अब तक 2000 लोगों को जब इलाज हेतु आर्थिक मदत की आवश्यकता थी तब प्रत्येक जानकारी देने वाले को मात्र प्रार्थना पत्र पर मदत की।

-जब विदेशों में बिधनू, शहर सहित विभिन्न कई स्थानों के भाई फंस गये थे उन्हें वापस स्वदेश लाने का प्रयास कर वतन वापसी करायी।

-परियर पंचायत के सुब्बाखेड़ा में ग्रामीण गुडडू बिजली से चिपक कर काल के गाल में समा गया तो 10 लाख की आर्थिक मदत पंकज गुप्ता ने दिलायी।

-मर्दनखेड़ा, हिमांचलखेड़ा सहित कई गांवों मंे खासकर पतारी मंे किसानों के बोझ जल रहे थे तब पंकज गुप्ता आग से किसानों के बोझ उठवा रहे थे फिर सभी को मदत दिलाते रहे उस समय बाकी नेता कहां थे।

-जब बाढ की विभीषिका से लोग परेशान थें तब दिन रात उनके डेरों तक जाकर उनकी मदद कराने का काम सिर्फ पंकज गुप्ता करते नजर आ रहे थें।  

-इसी तरह जब आपने गांव में बिजली का काम होना था, सड़क बननी थी, सरोसी में 70 सालों से राजकीय इंटर कालेज नहीं था विकास के मुद्दों पर तो बहुत लंबी फेहरिश्त होगी।

-बुजुर्गों को तीर्थाटन कराने का बीड़ा किसने उठाया।

ये उपरोक्त कुछ मात्र सज्ञा है, जब भी कोई विपदा आयी होगी तो उन्नाव में कोई नजर आयेगा तो पंकज गुप्ता ही होंगे।

मैं इतिहास के वाक्ये की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं, जब अफगानिस्तान से गजनी चला तो मात्र एक लुटेरा था आज भी अफगानिस्तान में गजनी का कोई स्थान नहीं है वहां के इतिहास में कोई जगह नहीं है लेकिन यही लुटेरा गजनी अफगानिस्तान से चलकर सोमनाथ मंदिर तक पहुंच गया उस समय भी सारे लोग तमाशबीन बने रहे सब यही सोचते रहे कि इससे युद्ध करना राजाओं का कार्य है, सैनिकों का कार्य है हमसे क्या मतलब परिणाम में आज तक तुर्कों की गुलामी का दंश झेल रहे हैं इसी तरह चुनावी मौसम में हमें सावधान रहना है कि फिर कोई गजनी हमे षडयन्त्र में न फांस लें ऐसे गजनी हमारे विकास में फिर कोई गजनी बाधक बनेंगे, फिर हमारी मथुरा की चौरासीकोसी परिक्रमा पहले की तरह न रोकी जाए, अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर निर्माण में बाधक न बन पायें, लोधेश्वर की कांवड़ यात्रा न बाधित हो सके। इसलिए भाजपा कार्यकर्ता, बूथ अध्यक्ष, बूथ प्रभारी व टीम पंकज गुप्ता के सदस्य ही नहीं वरन हर भारतीय हर विकास का साथ देने वाले का दायित्व है के ऐसे गजनियों के षड़यंत्रों का जवाब दें। हमें तमाशबीन नहीं बनना है हमें एक साथ रहना है हम राम के वंशज हैं हम विकास के साथ हैं।

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