कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की छिपी क्षमता को सुधारने की ज़रूरत

कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की छिपी क्षमता को सुधारने की ज़रूरत..

खेत से लेकर बाजार तक की पूरी कृषि श्रृंखला, पारिश्रमिक मूल्यवर्धन के लिए ज़बरदस्त अवसर प्रदान करती है..

युवाओं को कृषि क्षेत्र में आकर्षित करने, इसे अधिक  दीर्घकालिक और लाभकारी क्षेत्र बनाने के लिए सर्वोत्तम वैज्ञानिक प्रणालियों को अपनाने की ज़रूरत..

किशन सनमुखदास भावनानी

भारत में एक लंबे अरसे से हम देख रहे हैं कि नागरिकों का गांवों से शहरों की ओर पलायन होते जा रहा है। क्योंकि वर्तमान नई पीढ़ी गांव में रहकर कृषि-श्रंखला कार्यों में संलग्न नहीं होना चाहती। शहरों में जाकर किसी निजी या सरकारी दफ़्तर में नौकरी, उच्च शिक्षा प्राप्त कर उचें पदों पर नियुक्ति का ख़्वाब और शहरी चकाचौंध की ओर आकर्षित होना इसका मुख्य कारण है। हालांकि शिक्षा प्राप्त करना और उन्नति की चाहना बहुत अच्छी बात है परंतु जिस तेज़ी के साथ गांवों से शहरों की ओर पलायन बढ़ा है, साथियों मेरी नजर में उसका मुख्य कारण कृषि-श्रंखला क्षेत्रों का फ़ायदे का सौदा नहीं होना है। क्योंकि मैंने इस संबंध में कुछ गांववासी कृषकों से बात की तो उन्होंने कहा हम कम भूमि धारक, छोटे किसान जो एक फ़सल पर निर्भर हैं उसके लिए कृषि करना फायदे का सौदा नहीं रहा है। यह बड़े कृषकों के लिए भले ही फायदे का सौदा हो सकता हैं...। 

साथियों बात अगर हम कृषि क्षेत्रकी ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने और गांवों से पलायन रोकनेके लिए युवाओं को कृषि क्षेत्र में आकर्षित करने की करें तो, इसके लिए इसे अधिक दीर्घकालिक और लाभकारी क्षेत्र बनाना होगा। जिसके लिए हमें सर्वोत्तम वैज्ञानिक प्रणालियों को अपनाने की ज़रूरत है। क्योंकि कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की छिपी हुई क्षमता को उभारने के लिए खेतों से लेकर बाजार तक की पूरी कृषि-श्रंखला पारिश्रमिक मूल्यवर्धन के लिए ज ज़बरदस्त अवसर प्रदान करती है!! बस!! इसे निख़ारने की ज़रूरत है।

पलायन करने वाले युवकों को एक जन जागरण अभियान चलाकर इससे जोड़ने की जरूरत है। उन्हें अभिप्रेरणा देकर मार्गदर्शन करने की जरूरत है। एक बार बस उनके समझ में बात आ गई!! तो कृषि क्षेत्रों में भारत वैश्विक रिकॉर्ड उन्नत करेगा ऐसा मेरा मानना है।...साथियों बात अगर हम दिनांक 19 सितंबर 2021 को माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा एक कार्यक्रम में कृषि क्षेत्र संबंधी संबोधन की करें तो उन्होंने भी, कृषि को देशकी मूल संस्कृति बताते हुए कहा कि हमारे गांव न केवल हमारे लिए खाद्यान्न पैदा करते हैं बल्कि हमारे संस्कार, हमारे मूल्यों और परंपराओं को भी हमारे भीतर पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और अगर हमारे गांव अविकसित और पिछड़े रहेंगे तो देश प्रगति नहीं कर सकता। उन्होंने कृषि को आधुनिक बनाने और इसे अधिक दीर्घकालिक और लाभकारी बनाने के लिए सर्वोत्तम प्रणालियों को अपनाने की आवश्यकता दोहराई। 

उन्होंने कहा कि अपने पिछले अनुभवों के आधार पर, हमें नियमित रूप से कृषि और ग्रामीण विकास पर अपनी रणनीतियों का पुन: मूल्‍यांकन करते हुए इन्‍हें नवीनीकृत करना चाहिए और आत्मनिर्भर भारत बनाने के अपने प्रयासों के तहत नई तकनीकों को प्रस्‍तुत करना चाहिए। इस बात पर गौर करते हुए कि खेत से लेकर बाजार तक की पूरी कृषि-श्रृंखला पारिश्रमिक मूल्यवर्धन के लिए जबरदस्त अवसर प्रदान करती है, उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की इस छिपी हुई क्षमता को पूरी तरह से उभारने और इसके बीच में आने वाली बाधाओं को दूर करने का आह्वान किया। उन्होंने किसानों के लिए आय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था के प्रति एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने का आह्वान किया है। 

कोविड-19 महामारी के कठिन समय में भी देश को आशा की किरण दिखाने के लिए किसानों की सराहना करते हुए, उन्होंने इस बात पर बल दिया कि हमारा उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था का समग्र सुधार और ग्रामीण समाज की भलाई होना चाहिए...। 

साथियों बात अगर हम दिनांक 19 सितंबर 2021 को जी-20 देशों के कृषि मंत्रियों के सम्मेलन के दूसरे दिन के विषय, भूख विहीनता के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु सहयोग- कृषि मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित सफल परियोजनाएं, इस विषय पर केंद्रीय कृषि मंत्री के संबोधन की करें तो उन्होंने भी कहा कि,भारत कृषि के क्षेत्र में अपनी विकास श्रृंखला के साथ,सर्वोत्तम पद्धतियों को साझा और अन्य विकासशील देशों की क्षमताओं का निर्माण करेगा। उन्होंने, गरीबी कम करने और जीरो हंगर गोल को पूरा करने के लिए एक साथ काम करते रहने के भारत के संकल्प को दोहराया और उत्पादकता बढ़ाने के लिए अनुसंधान तथा विकास और सर्वोत्तम पद्धतियों के आदान -प्रदान में सहयोग करने के भारत के संकल्प की पुनःपुष्टि की।बैठक में वर्चुअल संबोधनमें उन्होंने बताया कि पोषक-अनाज के महत्व को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने भारत सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है। उन्होंने राष्ट्रों से पोषण व सतत कृषि को बढ़ावा देने के लिए इस पोषक-अनाज वर्ष का समर्थन करने की अपील की। 

स्वतंत्रता के बाद भारत में कृषि क्षेत्र ने काफी सफलता हासिल की है। कोविड महामारी के दौरान भी भारतीय कृषि क्षेत्र अप्रभावित रहा, जिससे एक बार फिर इसने अपनी प्रासंगिकता सिद्ध की है। उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि कोविड के दौरान कृषि-आदान सप्लाय चैन के साथ-साथ कृषि-बाजार गतिशील रखने के लिए भारत सरकार के विभिन्न कार्यकलापों से कृषि क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन में सहायता मिली है और वर्ष 2020-2021 के दौरान खाद्यान्नों के उत्पादन के साथ निर्यात में भी महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज हुई है। इससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा में भी योगदान हुआ है। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे के कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की छिपी क्षमता को उबारने की ज़रूरत है। क्योंकि खेत से लेकर बाजार तक की पूरी कृषि-श्रृंखला पारिश्रमिक मूल्यवर्धन के लिए ज़बरदस्त अवसर प्रदान करती है, इसलिए युवाओं को कृषि क्षेत्र में आकर्षित करने के लिए अधिक दीर्घकालीन और लाभकारी क्षेत्र बनाने के लिए सर्वोत्तम वैज्ञानिक प्रणालियों को अपनाने की ज़रूरत है।

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