मेरी मातृभाषा हिंदी
डॉ बीना सिंह "रागी"
भिलाई, छत्तीसगढ़
अ से मीठा फल अनार हमें दे
ज्ञ से ज्ञानी का उपहार हमें दें
उपासना आराधना संस्कार हमें दे
एक दूजे संग का व्यवहार हमें दे
ध्यान ज्ञान विज्ञान का भंडार हिंदी
सत्य सत्य तुझको नमन है हिंदी
52 अक्षर का सरगम है हिंदी
सत्य सत्य तुझको नमन है हिंदी
शाम में मधुर मिश्री सी भाषा है यह
चेतन सन चेतन प्रज्ञा पिपासा है यह
जन जन की अभिलाषा है यह
काबा काशी की परिभाषा है यह
शुभम सरल मात्रीभाषा है हिंदी
निर्झर कल का उद्गम है हिंदी
शत शत तुझको नमन है हिंदी
मां के आंचल में दुलार सा लगे
माथे पर बिंदिया श्रृंगार सा लगे
दुल्हन के गले चंद्रहार सा लगे
पिया जी की मीठी मनुहार सा लगे
होली दिवाली दशहरा त्यौहार सा लगे
सारे भाषाओं का सार सा लगे
तुझसे ही सारा दमखम है हिंदी
शत-शत तुझको नमन है हिंदी
विदेशी वेशभूषा भाषा पर हो प्रतिबंध
हमारी संस्कृति ना खो जाए मंद मंद
पंत निराला गुप्त दिनकर सा जीवन हो चाक-चौबंद
रसखान तुलसी मीरा से करें हम आओ अनुबंध
दोहा छंद गीत चौपाई की सौगंध
मह मह महके जैसे पुष्प मकरंद
विश्व में लहरें परचम है हिंदी
शत-शत तुझको नमन है हिंदी
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