आज छात्र भारत का भविष्य

-भारत को पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने छात्रों के बीच नवाचार और उद्यमिता की भावना का संचार ज़रूरी भारत को पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने की सीढ़ी का प्रथम पायदान युवा शक्ति और छात्र 

-शैक्षणिक संस्थाओं पर परिणामोंन्मुखी वातावरण निर्माण करने की ज़वाबदारी

किशन भावनानी

वैश्विक रूप से कोविड -19 महामारी ने भयंकर रूप से तबाही मचाई और अनेक उपायों के साथ वैश्विक स्तर पर वैक्सीनेशन अभियान की शक्ति से भारी राहत मिली है और संपूर्ण विश्व में करीब-करीब अनलॉक हो गया है। परंतु खास बात देखने योग्य यह है कि महामारी ने मानव जीवन और रहन-सहन के तरीकों को बदल दिया है।...साथियों बात अगर हम भारत की करें तो वैक्सीनेशन में भारतने भी दिनांक 13 सितंबर 2021 तक करीब -करीब 75 करोड़ का आंकड़ा छू लिया है और अब महामारी नियंत्रण में है। परंतु इसके साथ ही ऐसा हम महसूस करते हैं कि नागरिकों का रहन सहन और सरकार की सोच बदलते परिवेश में स्वास्थ्य, शिक्षा, तकनीकी, अनुसंधान विकास, उद्योग जगत इत्यादि हरक्षेत्र मेंविकाससोन्मुखी सोच कायम कर दी है। आज हम तीव्र गति से विकास चाहते हैं और सरकारें भी अपने रणनीतिक रोडमैप इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर बना रही है, जो हमें प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं पीआईबी के माध्यम से जानकारी मिलते रहती है।

...साथियों बात अगर हम शिक्षा क्षेत्र की करें तो यह क्षेत्र भारत को पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने की सीढ़ी का प्रथम पायदान है जिसमें छात्र, युवा, शिक्षक, मार्गदर्शक मिलकर विकाससोन्मुखी व परिणामोंन्मुखी वातावरण निर्माण कर अत्यधिक आधुनिक अनुसंधान क्षेत्र, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन, इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रॉनिक्स सहित सभी क्षेत्रों में तीव्रता से नवाचार और उधमिता की भावना का संचार करेंगे, तो हम इस शिक्षाक्षेत्र रूपी प्रथम पायदान के बल पर पूरी संपूर्ण सीढ़ी चढ़कर भारत को न केवल पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने में सफ़ल होंगे बल्कि वैश्विक रूपसे भी हमअर्थव्यवस्था में दख़ल करने की योग्यता भी हासिल करेंगे। क्योंकि हम जनसंख्यकीय रूप से भी विश्व में दूसरे नंबर पर हैं। 

बस!! जरूरत है हमें अपनी जनसंख्या के हर नागरिक को शैक्षणिक और कौशलता की ढाल बनाने की!!  

साथियों बात अगरहम शैक्षणिक क्षेत्र को बढ़ावा देने की करें तो आज परिणामोंन्मुखी अनुसंधान को बढ़ावा देने नई शिक्षा नीति 2020,आत्मनिर्भर भारत, अंतरिक्ष क्षेत्र में कायापलट विकास के कदम, पूरा वर्ष आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने के निमित्त अनेक कार्यशालाएं, वेबनारों के माध्यम से भारत को पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने की ओर कदम, नई शिक्षा नीति के शिक्षक दिवस 5 से 17 सितंबर 2021 तक शिक्षा पर्व मनाने, उसमें भी विकासोन्मुख कार्यक्रम के विभिन्न वेबनार, अनेक पर्व से हमें आभास होता है कि हम अब भारत को पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने की ठान चुके हैं!! बस!! हमें ज़जबे और जांबाज़ी के साथ आपसी तालमेल रखकर आगे बढ़ना है। अगर हम इसी दिशा से आगे बढ़ते रहे तो विज़न 2047 के बहुत पहले हम पूर्ण विकसित राष्ट्र ज़रूर होंगे।

...साथियों बात अगर हम भारत के उपराष्ट्रपति के दिनांक 13 सितंबर 2021 के एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसारउन्होंने भी इस विषय पर कहा, आज भारत को एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) के लिए एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके लिए उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों से आग्रह किया कि वे जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, स्वास्थ्य और गरीबी जैसी समकालीन चुनौतियों का समाधान करने वाले परिणामोन्मुखी अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उद्योग जगत के साथ अधिक संपर्क स्थापित करें। आगे कहा कि पुराने तरीकों से आराम से  काम करने का युग बीत चुका हैI उन्होंने सीएसआई आर को ज़मीन पर स्पष्ट दिखाई देने वाले प्रभाव के लिए उद्योगों के सहयोग से विषय (थीम) आधारित परियोजनाओं पर काम करने के लिए कहा उन्होंने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) को अपने मिशन क्षेत्रों जैसे ग्रीन हाइड्रोजन कार्बन कैप्चर, कोयला गैसीकरण, फ्लाई ऐश प्रौद्योगिकी, दूरसंचार के लिए उच्च ऊंचाई वाले प्लेटफॉर्म, निगरानी, सुदूर संवेदी (रिमोट सेंसिंग) एवं आपदा की भरपाई, और ड्रोन प्रौद्योगिकी और कृषि और औषधि (फार्मास्युटिकल) रसायन जैसे क्षेत्रों में हितधारकों की उपयुक्त पहचान करने के लिए कहा। उन्होंने वृद्धिकारक निर्माण (एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग),  वस्त्रों (फैब) के लिए रसायन और विद्युत अपघटन (इलेक्ट्रोलिसिस) के लिए उच्च तापमान वाली भाप (स्टीम) जैसे उभरते क्षेत्रों का पता लगाने के लिए भी कहा।

...साथियों बात अगर हम केंद्रीय राज्यमंत्री विज्ञान प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान द्वारा दिनांक 13 सितंबर 2021 को एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने भी कहा कि, कोविड के बाद, भविष्य की अर्थव्यवस्था प्रौद्योगिकी पर बहुत अधिक निर्भर होने वाली है कोरोना महामारी का उल्लेख करते हुए कहा कि, कोविड-19 ने हमें कम समय के भीतर सर्वश्रेष्ठ स्वदेशी तकनीकी अनुप्रयोगों के साथ आगे आना सिखाया है, चाहे वह वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसन्धान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा वेंटिलेटर का निर्माण हो अथवा जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा वैक्सीनों का उत्पादन, भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो-आईएसआरओ) द्वारा तरल ऑक्सीजन या परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा पुन: प्रयोज्य पीपीई किट का निर्माण किया जाना हो। 

उन्होंने कहा कि  अगले 25 वर्षों के लिए कार्य योजना ( रोडमैप) का निर्धारण भी जीवन के सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचारों द्वारा ही किया जाएगा। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे के छात्र भारत का भविष्य हैं भारत को पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने छात्रों के बीच नवाचार और उद्यमिता की भावना का संचार करना ज़रूरी है, क्योंकि भारत को पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने की पीढ़ी का प्रथम पायदान युवा शक्ति और छात्र हैं, इसलिए शैक्षणिक संस्थाओं को चाहिए के परिणामोंन्मुखी, वातावरण छात्रों के बीच निर्माण करने की जवाबदारी वहन करें।

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