अपनी जमीन बचाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहा पीड़ित

प्रकाश शुक्ला 

उन्नाव। सदर तहसील के पिण्डोखा गांव का मामला। आपने मशहूर फिल्मी गीत ''मझधार में नैया डोले तो माझी पार लगाए, माझी जो नाव डुबोए उसे कौन बचाए'' जरूर सुना होगा। इस गीत के एक एक शब्द सदर तहसील के पिण्डोखा गांव के रणवीर पुत्र रघुराज पर सच साबित हो रहे है। 


एक ओर जहां सरकारी तंत्र एन्टी भू माफिया अभियान चला कर लोगों की जमीनों को कब्जा मुक्त कराने के दावे कर रहा है वहीं दूसरी ओर रणवीर की निजी जमीन पर पंचायत भवन की बाउंड्री वाल का निर्माण कराया जा रहा है। पीड़ित का कहना है ग्राम प्राधन के न सुनने पर उसने जिलाधिकारी से गुहार भी लगाई। लेकिन तहसील के जिम्मेदार अनसुनी कर रहे है। उसका कहना है कि सरकारी निर्माण से उसे कोई आपत्ति नहीं है। बस उसके गाटा संख्या 362 में दर्ज उसकी 25 बिस्वा जमीन उसे नाप कर दे दी जाए। निजी जमीन पर पंचायत भवन के निर्माण का आरोप।

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