जन-जन का गौरव है हिंदी

डॉ.कान्ति लाल यादव

मन भावों की थाती हिंदी। 
जन-मन की अभिलाषा हिंदी।
स्वाभिमान की परिभाषा हिंदी।
अटल आस्था का सौंदर्य है हिंदी।
भारत की धड़कन है हिंदी।
 भारत की सांसें हैं हिंदी
जन- जन का गौरव है हिंदी।
हम सब की आशा-विश्वास है हिंदी।
संस्कृति की विरासत है हिंदी।
भारत की पहचान है हिंदी।
विश्व पटल पर छा रही हिंदी।
विश्व का सिरमौर बने हिंदी।
दुनिया का शृंगार करती हिंदी।
सोशल मीडिया में छा जारही हिंदी।
अखबारों के पन्नों में हिंदी।
चलचित्रों को रास आती हिंदी।
कवि सम्मेलनों की महक हे हिंदी 
हमारी उन्नति का आधार है हिंदी।
 पेट की बनती भाषा हिंदी। 
दिल की बनती दिलदार हिंदी।
 मन भावों की प्यारी हिंदी।
 देश दुनिया की न्यारी हिंदी। 
गरीब-अमीर की अभिलाषा हिंदी।
 समता-सद्भाव की परिभाषा हिंदी। 
दुनिया की दुलारी बनती हिंदी।
 सम्मान की अधिकारी हिंदी।
 समता-सूत्र को गढ़ती हिंदी। 
विश्व बाजार में बढ़ती हिंदी।
 इंटरनेट की बनती भाषा हिंदी।
 तकनीकी में भी कमाल है हिंदी।
 जनमानस पर छाती हिंदी।
रिश्ते-नाते में भाती हिंदी।
खुद के दम पर इठलाती हिंदी।
 जाति-धर्म के भ्रम को तोड़े हिंदी।
 जन-जन को व्यापार से जोड़े हिंदी।
 प्यासे की गागर है हिंदी।
 शब्द-भंडार की सागर है हिंदी।
 भाषा विज्ञान भी अब माने हिंदी।
 दुनिया में अब तुझको जाने हिंदी।
 तुझ में अपार संभावना हे हिंदी।
 हम सब की मनोभावना हिंदी।
पर अपने ही देश में क्यों उपेक्षित हिंदी?
राष्ट्रभाषा का दर्जा क्यों नहीं पा रही हिंदी?


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