आधारभूत संरचना में पर्यावरण और इकोलॉजी को संरक्षण देना जरूरी - प्राकृतिक संसाधनों से मानवीय हस्तक्षेप विपदा का कारण

जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक विपदाएं आधुनिक मानवीय अभिलाषाओं का परिणाम - प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना मानवता धर्म - एड किशन भावनानी



गोंदिया - वर्तमान वैश्विक वैज्ञानिक कंप्यूटर युग में डिजिटलाइजेशन, चांद पर मानवीय रहवासी कॉलोनियां बनाना, परिवहन संसाधन से घंटों की दूरी मिनटों में बनाना, आधुनिक रहवासी लाखों माढ़े बनाना, अवैधानिक रूप से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन, वैधानिक रूप से आधारभूत संरचना का अति तीव्रगति से ढांचागत विकास, जंगली व ग्रामीण क्षेत्रों का बहुत तेजी से शहरी क्षेत्रों में परिवर्तन से झाड़ों की कटाई, पर्यावरण को नुकसान होने जैसे कई कार्य और स्वयंम मानवीय मस्तिष्क में उभरते सर्वशक्तिमान प्रवृत्ति और आधुनिकता की ऊंचाइयों को छूने के लिए आपसी प्रतिस्पर्धा में मानव को प्राकृतिक संसाधनों से मानवीय हस्तक्षेप में गुरेज नहीं होती। हालांकि हर स्तर पर कहा जाता है कि फलां आधारभूत संरचना में पर्यावरण व इकोलॉजी के संरक्षण को महत्व दिया जाएगा, फलां जीवों की रक्षा के लिए यह कदम उठाए जाएंगे, वह बहुत बार जुमलेबाजी बन कर रह जाती है। हालांकि अनेक समय पर हमने देखे हैंकि करोड़ों पौधेरोपण की बात का प्रचार प्रसार माध्यमों से की जाती है, परंतु हम देखते हैं कि उनमें से कितने पौधे लगाए जाते हैं ?? और कितने उनमें से जीवित होकर वृक्ष का रूप धारण करते हैं ?? यह सोचनीय विषय है याने किसी न किसी तरहसे आधारभूत संरचना पर विपरीत प्रभाव हमारे इकोलॉजी और पर्यावरण पर पड़ता ही है।जो कुछ पाने के लिए!! कुछ खोना पड़ता है!! की कहावत पर आधारित है परंतु फिर भी हमें पर्यावरण और इकोलॉजी का संरक्षण मानव जाति की रक्षा के लिए करना ही होगा।हालांकि हर परियोजनाओं के रणनीतिक रोडमैप बनाने और क्रियान्वयन करने में कागजों पर पर्यावरण और इकोलॉजी के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए क्रियान्वयन होता है, परंतु फिर भी कुछ कमीं रह ही जाती है,जिसमेंनकारात्मक प्रभाव के कारण हम प्राकृतिक विपदा का सामना करते हैं। जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे हैं...साथियों बात अगर हम सड़क परिवहन व राजमार्गों के निर्माण की करें और प्राकृतिक संपदा, पर्यावरण और इकोलॉजी पर प्रभाव की बात करें तो, पारितंत्र याने इकोलॉजी में, पर्वतीय पारितंत्र जलीय पारिस्थिति की तंत्र झाड़ीवन प्रवाल भित्ति, मरुस्थली मानव पारितंत्र, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, नदी तटीय पारितंत्र, वर्षावन, बिना वृक्ष के घास का मैदान पारितंत्र या पारिस्थितिक तंत्र एक प्राकृतिक इकाई है जिसमें एक क्षेत्र विशेष के सभी जीवधारी, अर्थात् पौधे, जानवर और अणुजीव शामिल हैं जो कि अपने अजैव पर्यावरण के साथ अंतर्क्रिया करके एक सम्पूर्ण जैविक इकाई बनाते हैं। इस प्रकार पारितंत्र अन्योन्याश्रित अवयवों की एक इकाई है जो एक ही आवास को बांटते हैं। पारितंत्र में आमतौर पर अनेक खाद्य जाल बनाते हैं जो पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर इन जीवों के अन्योन्याश्रय और ऊर्जा के प्रवाह को दिखाते हैं। जिसमें वे अपने आवास भोजन व अन्य जैविक क्रियाओं के लिए एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं एक विद्वान ने कहा है, एक इकाई जिसमें सभी जीव शामिल हों जो भौतिक वातावरण को प्रभावित करें कि प्रणाली के भीतर ऊर्जा का एक प्रवाह स्पष्ट रूप से परिभाषित पोषण संरचना बायोटिक विभिन्नता और सामग्री चक्र (अर्थात्: जीवित और निर्जीव भागों के बीच सामग्री का आदान प्रदान) हैं...साथियों बात अगर हम केंद्रीय रोड परिवहन राजमार्ग मंत्री की दिनांक 24 अगस्त 2021 की मीटिंग की करें तो, इस बैठक में विभाग के सहज केंद्र और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक में राजमार्ग और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं से संबंधित लंबित वन मंजूरियों का अहम मुद्दा भी उठाया गया। संबंधित अधिकारियों को इस दिशा में प्रगति तेज करने के लिए निर्देश दिए गए। इस अवसरकपर रेलवे व एमओ आरटीएच की भूमि आर ओडब्ल्यू नीतियों व पर्यावरण और वन मंजूरी के लिए समग्र दिशा-निर्देशों पर भी विस्तार से चर्चा हुई।रेल मंत्री ने नई तकनीकों और रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर विस्तार के लिए वित्तीय मॉडलों के महत्व को रेखांकित किया, साथ ही इसी तर्ज पर एमओआरटीएच के साथ मिलकर काम करने की पेशकश की।उन्होंने कहा कि वह परियोजनाओं को व्यवहार्य बनाने के क्रम में पहले से अधिग्रहित भूमि में राजमार्गों से सटे क्षेत्र में रेल लाइनें बिछाने की योजना की व्यवहार्यता का परीक्षण करेंगे। उन्होंने, कार्बन क्रेडिट की योजना की तरह ट्री बैंक शुरू करने का सुझाव दिया।मंत्रियों ने इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में तेजी लाने के क्रम में विभिन्न एजेंसियों द्वारा उठाए गए मामलों पर विचार करने और उनके समाधान पर सहमति प्रकट की, जिससे राष्ट्र निर्माण में योगदान किया जा सकेगा...साथियों बात अगर हम सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्री की बैठक 6 सितंबर 2021 की करें तो,उन्होंने मंत्रालय एनएचएआई, एनएचआईडीसीएल और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के साथ बैठक में कहा कि हमारा साझा लक्ष्य देश की सेवा में विश्व स्तरीय सड़क अवसंरचना प्रदान करना है।सड़क डिजाइन और निर्माण, पर्यावरण के अनुकूल सड़कों के निर्माण, औद्योगिक पूरक दृष्टिकोण, सुरक्षा के लिए नई तकनीकों,तेज औरकिफायती निर्माण में सुरक्षा के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता के दृष्टिकोण पर जोर दिया।अतः अगर हम उपरोक्त विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करेंवतो हम पाएंगे कि आधारभूत संरचना में पर्यावरण को संरक्षण देना अत्यंत जरूरी है, क्योंकि प्राकृतिक संसाधनों से मानवीय हस्तक्षेप विपदा का कारण बनता है। जलवायु परिवर्तन प्राकृतिक आपदाएं आधुनिक मानवीय अभिलाषाओं का ही परिणाम है। प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना मानवता का धर्म है।

-संकलनकर्ता- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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