फोर्ड के जाने से बंद होंगी 4,000 कंपनियां -संजीव कुमार सिंह

फोर्ड ने भारत में अपना कारोबार समेटने की घोषणा.. 

हजारों नौकरियों पर संकट..

अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनी का निर्णय 

आगरा। राष्ट्रीय नेता, इंडियन नेशनल कांग्रेस एआईसीसी पर्यवेक्षक प्रभारी उत्तर प्रदेश एवं एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया, सदस्य इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ ज्यूरिस्ट्स सचिव, कांग्रेस किसान एवं औद्योगिक प्रकोष्ठ, कानूनी सलाहकार सदस्य, चुनाव प्रचार समिति उत्तर प्रदेश और लोकसभा चुनाव 2024 में प्रधानमंत्री पद के दावेदार ठाकुर संजीव कुमार सिंह ने बताया कि अमरीकी फोर्ड मोटर्स कंपनी ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में दुनिया के जानीमानी कम्पनी है। अब उसने अपना कामकाज भारत से समेटने की घोषणा कर दी है। इसके पूर्व में ओपेल, मित्सुबिशी, फिएट, शेवरले, हार्ले डेविडसन, रॉयल एनफील्ड, यज़दी भी जा चुकी है, लेकिन इनका भुगतान कर्मचारियों को करना पड़ता है। 

मोदी के पहले कार्यकाल में 2017 में दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी जनरल मोटर्स ने भारत मे अपना कामकाज बन्द किया, दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में हार्ले डेविडसन भी चली गयी और अब फोर्ड मोटर्स ने भी अपना कामकाज बन्द कर दिया। ऐसे में फोर्ड का जाना मोदी सरकार की आर्थिक नीतियो पर प्रश्नचिन्ह लगने के समान है। कोरोना काल के शुरुआती दौर में जब चीन से बहुराष्ट्रीय कम्पनियो ने अपना कामकाज समेटने का फ़ैसला किया था तब उनमें से 1000 कंपनियों को भारत लाने की बात मोदी सरकार ने की थी लेकिन एक भी बड़ी कंपनी ने भारत में अपने प्लांट लगाने की घोषणा नही की हैं। 

पिछले साल चीन से निकल कर 16 जापानी कंपनियों ने बांग्लादेश में अपनी इंडस्ट्री लगाई है। ढाका से 30 किलोमीटर की दूरी पर होंडा कंपनी ने भी एक नया प्लांट लगाया लेकिन भारत मे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के बड़े - बड़े दावे करने वाली मोदी सरकार एक भी बड़ी कंपनी को यहाँ लाने में सफल नहीं हो पाई। वहीं,दूसरी ओर आज पता लगा है कि 22 हजार लोगों को रोजगार देने वाली फोर्ड भी भारत मे अपना कारोबार बंद कर रही है। अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनी फोर्ड ने भारत में अपना कारोबार समेटने की घोषणा की इससे कंपनी और डीलरों के हजारों कर्मचारियों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। 

भारत में कंपनी के करीब 170 डीलर पार्टनर हैं, जो पूरे देश में 400 शोरूम चलाते हैंडीलरों के पास करीब 1000 गाड़ियों की इनवेंट्री है,जिनकी कीमत 150 करोड़ रुपये है। इनमें हजारों कर्मचारी काम करते हैं। कई डीलर तो ऐसे हैं जो 5 महीने पहले ही फोर्ड से जुड़े थे। उन्होंने शोरूम बनाने में करोड़ों रुपये खर्च किए थे, लेकिन अमेरिकी कंपनी की विदाई से उनका निवेश बर्बाद हो जाएगा। फोर्ड की घोषणा के बाद कई डीलरों ने अपने कर्मचारियों की छंटनी भी शुरू कर दी है। सरकार की गलत नीतियों के कारण पिछले 4 साल में अमेरिका की 3 ऑटो कंपनियां भारत से अपना कारोबार समेट चुकी हैं। इससे पहले जनरल मोटर्स और हार्ले डेविडसन भी भारत को अलविदा कह चुकी हैं। चेन्नई के जिस इलाके में फोर्ड के दो प्लांट हैं, वहां पूरी कम्युनिटी इससे जुड़ी है। इससे हजारों लोगों को इनडायरेक्ट जॉब मिला हुआ है। लेकिन अचानक गुरुवार को उसने कामकाज समेटने की घोषणा कर दी। 

फोर्ड के जाने से कलपुर्जे बनाने वाली कई कंपनियां भी प्रभावित होंगी। अब फोर्ड के कर्मचारियों के लिए नई नौकरी खोजना मुश्किल होगा। इस एस्टेट में कलपुर्जे बनाने वाली करीब 275 कंपनियां हैं। फोर्ड के कर्मचारियों को खास काम की ट्रेनिंग मिली है, इसलिए उन्हें एमएसएमई में नौकरी मिलना मुश्किल है। साथ ही वे ज्यादा सैलरी की उम्मीद रखेंगे जिसे पूरा कर पाना MSME के बूते में नहीं है। दूसरी ओर गोदी मीडिया ने अपना घटियापन खुलकर दिखाना शुरू कर दिया, कल शाम को फोर्ड मोटर्स द्वारा भारत में कामकाज समेटने की खबर आयी, इस घटना पर देश के प्रमुख अखबार ने यह खबर लगाई कि 'फोर्ड ने रतन टाटा को औकात दिखाने की कोशिश की, टाटा मोटर्स ने ऐसे रौंदा कि ताले लग गए यानी सरकार से इस बात का जवाब माँगने के बजाए कि फोर्ड जैसी कम्पनी भारत में बिजनेस क्यों बंद कर रही है। 

गोदी मीडिया देश की जनता को बरगलाने में लगी है कि फोर्ड तो इसलिए भाग खड़ी हुई क्योंकि उसे टाटा मोटर्स ने पीट दिया उसे धूल चटा दी। पिछले दिनों देश की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आर सी भार्गव ने वाहन उद्योग संगठन सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स के 61वें सालाना सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि सरकारी अधिकारी ऑटो इंडस्ट्री को सपोर्ट देने के बारे में बयान तो बहुत देते हैं, लेकिन जब बात सही में कदम उठाने की आती है, वास्तव में कुछ नहीं होता। 

उन्होंने कहा, ‘हम ऐसी स्थिति से गुजर रहे हैं, जहां इस उद्योग में लंबे समय से गिरावट आ रही है। ऐसे में फोर्ड का जाना मोदी सरकार की आर्थिक नीतियो पर प्रश्नचिन्ह लगने के समान है लेकिन नही मीडिया इस घटना को ऐसा दिखा रहा है कि फोर्ड टाटा मोटर्स से डरकर भाग खड़ा हुआ। यानी देश का मध्य वर्ग बुरी तरह से परेशानियों से जूझ रहा है। फोर्ड भी समझ गयी है कि इन तिलों में तेल नही है। इसलिए उसने अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया है। 

झारखंड के औधोगिक शहर जमशेदपुर में पहले ही सैकड़ों इकाइयां बंद हो चुकी हैं। हज़ारों कर्मचारी बेरोजगार हो चुके हैं, लोग बच्चों की स्कूल फीस भी नहीं दे पा रहें हैं। वहीं, जीवन यापन के लिए कठोर संघर्ष जारी है। बाज़ार में सन्नाटा, कई मॉल बंद, छोटे दुकानदार तबाह, कोई सब्जी बेच रहा है, कोई ऑटो ड्राइवर बन चुका है। अभी भी हजारों कर्मचारियों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया हैं।

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