रेहड़ी पटरी, चाट पकौड़ी की दुकान पर डिजिटल भुगतान की कवायत

ज़मीनीं स्तर से जुड़े छोटे दुकानदारों, अशिक्षित रेहड़ी पटरी वालों की डिजिटल भुगतान की भ्रांतियां, भ्रम दूर कर प्रोत्साहन पैकेज देकर उत्साहित करना जरूरी.. 

किशन भावनानी

गोंदिया। भारत में एक ज़माना ऐसा था कि कई ग्रामीण, शहरी क्षेत्रों के अनेक अशिक्षित नागरिकों को पैसे चिल्लर हो या नोट गिनना तक नहीं ज़मता था जो किसी न किसी अपनी सुविधा की ट्रिक से उस पैसों की गिनती को समझने की कोशिश करते थे ऐसा हमारे बड़े बुजुर्ग लोग बताते थे। हालांकि ऐसी स्थिति कुछ  हद तक आज़ भी अति दुर्गम इलाकों में हो सकती है ऐसा मेरा मानना है।

...साथियों बदलते परिवेश में आज हम डिजिटलाइजेशन की चकाचौंध दुनिया में पहुंच गए हैं। जहां आज हर काम डिजिटल हो गया है तो स्वभाविक रूप से पैसों का लेनदेन भी डिजिटल रूप से करने में तीव्रता से हम आगे बढ़ रहे हैं। जिसमें अनेक निजी, सरकारी क्षेत्र की बैंकिंग कंपनियां भारत पे, एम स्वाइप, फोन पे, पेटीएम, एसवेयर, गूगल पे भीम ऐप, बैंक अकाउंट नंबर पे, सहित अनेक बैंकिंग कंपनियों ने इस काम को सुविधाजनक बनाया है। 

परंतु हम सभने यह महसूस किया और देखा होगा कि, हम अगर किसी रेहड़ी पटरी वाले, चाट, पकौड़ी, पानीपुरी, चाइनीस इत्यादि वाले छोटे-छोटे ठेलों, दुकानों पर जाकर कुछ खरीदते या वहीं सेवन करते हैं तो, हमें पैसा नगदी में देना होता है, क्योंकि उनके पास डिजिटल पेमेंट की सुविधा नहीं रहती। क्योंकि अशिक्षितता, भ्रम, धोखाधड़ी, बैंकों का झंझट, अज्ञानता इत्यादि अनेक सारे कारणों से वे इस झमेले में नहीं पड़ना चाहते, जिसमें डिजिटल भुगतान प्राप्त करने से वे डरते हैं और नगदी पेमेंट लेते हैं।

...साथियों बात अगर हम डिजिटल भारत व्यवहारों के पूर्ण सफलता की करें तो, इन छोटे छोटे व्यवसायियों के बिगर यह अभियान अधूरा है। क्योंकि व्यवहारिक जिंदगी जीने में हर नागरिक को इनकी जरूरत पड़ती है। क्योंकि जीवन यापन में जरूरी अनेक वस्तुएं हम इन्हीं से खरीदते हैं, जिसके लिए इनको इस डिजिटल क्षेत्र में प्रशिक्षित करके लाना वर्तमान परिवेश में बहुत ज़रूरी हो गया है। जिसके लिए, मैं भी डिजिटल 3-0, पायलट अभियान का शुभारंभ दिनांक 9 सितंबर 2021 को किया गया है।

...साथियों बात अगर हम इस योजना से लाभ की करें तो सबसे अधिक लाभ आम जनताको होगा क्योंकि आज हममें से अनेक लोग डिजिटल पेमेंट ही करना पसंद करते हैं। यह तो मजबूरी वश ही उपरोक्त क्षेत्रों में नगदी भुगतान करते आए हैं। अब यहां भी डिजिटल पेमेंट का रास्ता खुल गया है।..साथियों बात अगर हम असंगठित क्षेत्र के वित्तीय समावेशन में मदद की करें तो,योजना के तहत डिजिटल भुगतान लेनदेन और ऋण चुकाने के डेटा सहित डिजिटल फुटप्रिंट से रेहड़ी-पटरी वालों की क्रेडिट प्रोफाइलिंग में मदद मिलेगी। इससे रेहड़ी-पटरी वालों को औपचारिक ऋण व्यवस्था में शामिल किया जा सकेगा और असंगठित क्षेत्र के वित्तीय समावेशन में मदद मिलेगी। इससे स्ट्रीट वेंडर्स को औपचारिक क्रेडिट इकोसिस्टम में शामिल किया जा सकेगा।

...साथियों बात अगर हम इनके प्रशिक्षण की करें तो, यूपीआई आईडी, क्यूआर कोड जारी करने और डिजिटल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए भारतपे, एमस्वाइप, फोनपे, पेटीएम, एसवेयर इस अभियान में भाग ले रहे हैं। डिजिटल लेन-देन और व्यवहार में बदलाव को अपनाने केलिए डिजिटल भुगतान समूह स्ट्रीट वेंडर्स को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ प्रशिक्षण भी देंगे। डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए ऋण देने वाले संस्थानों (एलआई) को एक स्थायी क्यूआर कोड सौंपने और लाभार्थियों को संवितरण के एक सप्ताह के भीतर डिजिटल रसीद और भुगतान लेनदेन करने के लिए प्रशिक्षित करने का निर्देश जारी किया गया है।

...साथियों बात अगर हम रेहड़ी पटरी वालों को शासकीय सहायता की करें तो, पीएम स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि योजना एक जून 2020 को लांच की गई थी। इसके तहत शहरों की पटरियों और गलियों में दुकान लगाने वाले छोटे दुकानदारों के लिए सरकार की ओर से एकमुश्त 10 हजार रुपये का लोन सात फीसद की ब्याज दर पर दिया जा रहा है। इसके लिए उसे किसी तरह की कोई जमानत अथवा गारंटी देने की जरूरत नहीं है। योजना के तहत 50 लाख ऐसे दुकानदारों को ऋण देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 

पहला लोन समय पर चुकता करने वाले दुकानदारों को दूसरी बार 20 हजार और तीसरी बार 50 हजार रुपये का लोन लेने की छूट होगा। डिजिटल लेन देन करने वाले स्ट्रीट वेंडर को अलग तरह की भी छूट दी जाएगी।साथियों बात अगर हम इस योजना के सरकारी आंकड़ों की करें तो पीआईबी के अनुसार, अब तक 45.5 लाख आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। इनमें से 27.2 लाख ऋण स्वीकृत किए जा चुके हैं और 24.6 लाख ऋण वितरित किए जा चुके हैं। अब तक 2,444 करोड़ रुपए की राशि का वितरण किया जा चुका है। 70,448 से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों ने अपनी पहली ऋण किश्त चुकता भी कर दी है। 22.41 लाख डिजिटल रूप से ऑन-बोर्ड किए गए स्ट्रीट वेंडरों में से 7.24 लाख स्ट्रीट वेंडर डिजिटल रूप से सक्रिय हैं और उन्होंने 5.92 करोड़ रूपए का डिजिटल लेनदेन दर्ज किया है। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि रेहड़ी पटरी, चाट, पकौड़ी की दुकानों पर डिजिटल भुगतान की कवायत शुरू हो गई है जिसके लिए, मैं भी डिजिटल 3-0, पायलट अभियान का शुभारंभ हो गया है इससे ज़मीनी स्तर से जुड़े छोटे दुकानदारों, अशिक्षित रेहड़ी पटरी वालों, की डिजिटल भुगतान की भ्रांतियां दूर होंगी। तथा ज़रूरत है हमें इसको तीव्रता से अपनाने के लिए प्रोत्साहन पैकेज देखकर उनको प्रोत्साहित करने की जिसकी सरकार से अपेक्षा की जाती है। 

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