अमर शहीद महावीर सिंह राठौर का 117 वां जन्मदिवस दिवस मनाया गया



संजय 

आगरा। राजा का रामपुर एटा अलीगंज के अमर शहीद महावीर बालिका विश्वविद्यालय मैं  117 वां जन्म दिवस मनाया गया  16 सितंबर 1905 को पुत्र रतन के रूप में जन्मे महावीर सिंह राठौर बचपन से ही क्रांतिकारी प्रकृति के थे 1920-21 के दौरान जनपद एटा की तहसील कासगंज के सरकारी अधिकारियों ने अपनी राज भक्ति का प्रदर्शन करने के लिए एक ओम सभा का आयोजन किया बीड के नाम पर विद्यार्थियों को स्कूल से लाया गया अंग्रेज सरकार के पिछलग्गू राय साहब , राय बहादुर, खान बहादुर, अंग्रेज सरकार की तारीफों के पुल बांध रहे थे महावीर सिंह का विरोध मन यह सहन नहीं कर पाया और उन्होंने बीच में खड़े होकर जोर से नारा लगाया महात्मा गांधी की जय हो फिर क्या था सभी छात्र जोर-जोर से महात्मा गांधी की जय बोलने 

लगे कलेक्टर द्वारा मिली सजा के बाद श्री महावीर सिंह अपनों को देश की आजादी की लड़ाई वाले बहादुर सिपाहियों में गिरने लगे


क्रांतिकारियों पर मुकदमा चलाओ और जेल में अक्सर महावीर सिंह, जयदेव कपूर, भगत सिंह, डॉक्टर गया प्रसाद जैसे ताकतवर क्रांतिकारियों का जेल प्रशासन से झगड़ा होता रहता था और क्रांतिकारियों राजनैतिक कैदियों की मांगो और समाजवाद के विरोध में भूख हड़ताल करते रहते थे जेल प्रशासन जबरदस्ती पकड़ कर, बांधकर खाना खिलाकर भूख हड़ताल तोड़ जाता था महावीर सिंह जैसे तगड़े क्रांतिकारियों को नाक व मुंह में नली डालकर जबरदस्ती दूध पिलाया जाता था अंडमान के डॉक्टरों को कुछ अनुभव नहीं था की भूख हड़ताल इयों से कैसा बतौर किया जाना चाहिए जब लाहौर में जितेंद्र नाथ दास शहीद हो गए थे तो ब्रिटिश भारत सरकार के जेलों के स्पेक्टर जनरलों का एक सम्मेलन हुआ था जिसमें कुछ नियम बनाए गए थे उनमें से एक नियम यह भी था की पहले की तरह जरा भी हालात बिगड़ने पर हर तालियों को दूध ना पिलाया जाए जब वह बिल्कुल ही मरने को हो तभी जबरदस्ती दूध पिलाने का काम किया जाए महावीर सिंह के बारे में कोई खबर नहीं मिलने से जेल में क्रांतिकारियों के बीच बहुत उत्तेजना फैल गई थी उन्होंने शोर मचाना शुरू कर दिया अपने साथी महावीर सिंह को अंतिम विदाई देने वाले यह नारे कभी भुलाई नहीं जा सकते

17 मई 1933 कि यह घटना इतिहास में दर्ज हो गई महावीर सिंह अपने साथियों को छोड़कर शहीदों की टोली में आप मिले हैंअधिकारियों ने रात के अंधेरे में चुपके से क्रांतिकारी शहीद के शव का समुद्र की लहरों के हवाले कर दिया कोई साथी उन्हें अंतिम विदाई नहीं दे सका देश की स्वाधीनता के लिए आजीवन के लिए आजीवन लड़ने का संकल्प लेने वाले उस युवा क्रांतिवीर को उस दिन दो गज कफन और 2 गज जमीन भी नसीब नहीं हुई केवल शहीद के नाम से कस्बा राजा के रामपुर में एक बालिका विद्यालय संचालित है विद्यालय प्रबंधक श्री बलवीर सिंह राठौर ने कई बार जिला व राज्य स्तर से शहीद की प्रतिमा के लिए लिखा परंतु आज तक जिला स्तर तक भी कोई प्रतिमान नहीं लगाई गई पुण्य कामना करता हूं कि अमर शहीद महावीर सिंह की प्रतिमा को लगवाया व ताकि आने वाली पीढ़ी शहीद को भुला ना दे

 रामपुर चेयरमैन महावीर सिंह राठौर स्कूल प्रबंधक बलवीर सिंह राठौर, सुधीर सिंह, रणवीर सिंह, राजेंद्र सिंह, राकेश सिंह, दिलीप सिंह, नरेंद्र सिंह आचार्य, उमेश अवस्थी, देवदत्त गुप्ता, अखिलेश सिंह, कार्यक्रम में स्कूल प्रधानाचार्य मुन्नी देवी, डीपी सिंह, प्रेमलता गुप्ता, भूदेवी, लाखन सिंह, जगपाल सिंह स्कूल के कार्यक्रम में आदि लोग उपस्थित रहे

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