चेहरे पर उसके मुस्कान तन पर कफन तिरंगा है

डॉ बिना सिंह {छत्तीसगढ़}

हाथ की लकीरों से मेरा पंगा है

तन फौलाद और मन मेरा चंगा है

भाग्य किस्मत नसीब यह  क्या है

दोस्त दुश्मन रक़ीब यह क्या है

ताबीज गंडे स्टोन देते  वह पत्थर 

दिन शुभ कर देंगे ओ रात बेहतर

ऐसे झूठ को सत्य से किया नंगा है

प्रेम मोहब्बत इश्क सब व्यापार है 

तकरार इनकार इजहार इकरार है

राधा का त्याग मीरा का समर्पण  

प्रीत की रीत में सब हो  अर्पण

रूह में बहते कहां अब पावन गंगा है

हम चैन से रात में सो जाते हैं

 प्रियतम के ख्वाबों में खो जाते हैं

सीमा पर हमारे खातिर उठाते हैं जहमत

हम सुरक्षित हैं हर वक्त उनकी बदौलत

जब वह चिर निंद्रा में सोता है वन उपवन 

धरा का जर्रा जर्रा रोता है

चेहरे पर उसके मुस्कान तन पर कफन तिरंगा है

हाथों की लकीरों से मेरा पंगा है

तन फौलाद और मन मेरा चंगा है


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