हजारों पौधों को गोद लेकर, पर्यावरण प्रहरी बनें संत गोपालानंदजी

अनूप तिवारी

फतेहपुर। 'वृक्ष कबहू न फल भखै नदी न संचय नीर, परमारथ के कारने साधुन धरा शरीर, राजराजेश्व़र मंदिर के महंत संत गोपालानंद पर यह पंक्तियां बिल्कुल सटीक उतरती है। जहानाबाद कस्बे में निवास करने वाले संत को पेड़ पौधों से ऐसा प्यार हुआ कि पूरा जीवन ही उनको समर्पित कर दिया। पिछले दस सालों में तीन हजार से अधिक पौधे रोपित कर चुके हैं। पर्यावरण प्रहरी से प्रेरणा लेकर अन्य लोग भी हरियाली फैला रहे हैं। 

यह बात हो रही है जहानाबाद क़स्बे से एक किलोमीटर दूर दक्षिण पूर्व दिशा मे स्थित पूरनपुर गांव के समीप राजराजेश्वर शिव मंदिर में महंत संत गोपालानंद की अमौली  के कौंह गांव में ब्राह्मण  किसान परिवार में जन्मे गोपालानंद जी महाराज ने दसवीं तक शिक्षा ग्रहण की, इसके साथ ही वन और वनस्पतियों से लगाव बढ़ने लगा। अपने को गृहस्थ जीवन से दूर कर संन्यासी वेष मे संत गोपालानंदजी महाराज ने प्राचीन शिव मंदिर राजराजेश्व़र धाम में आकर भगवान भोलेनाथ की सेवा करने लगे दक्षिण दिशा में जलाशय के किनारे बनी कुटी पर रहने लगे। और तालाब के आसपास एवं मंदिर परिसर में पौधे लगाने शुरू कर दिया। 

एक पेड़ सौ पुत्र के समान..

दस वर्ष में तीन हजार से अधिक पौधे रोपित किए। इसमें कुछ औषधीय थे, बाकी पर्यावरण के लिए वरदान। आश्रम की दस एकड़ जमीन में तैयार हरित पट्टिका में पीपल,पाकर, जामुन, बरगद, आम, अशोक, नीम, बेल कामिनी, करौंदा, केला, शीशम, चितवन, गुलहड़, कनैर, सैंजन करीपत्ता, पपीता, गूलर के अब बड़े बड़े दरख़्त खड़े हैं। संत गोपालानंद  बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान जीवन में मोड़ आ गया। ऐसा लगा अपने लिए तो सभी जीते हैं। प्रकृति और संसार के लिए जीना भी जरूरी है। 

क़दम गृहस्थ आश्रम की ओर न बढ़ कर संन्यास की ओर बढ़ चले। कहते हैं धर्म और वृक्ष दोनों पर्यावरण के लिए आवश्यक है।अब तो उनके पास जो भी आता है उसे पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करते हैं। कहते हैं कि प्रकृति की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं। एक पेड़ सौ पुत्र के समान है। तमाम लोग तो पौधे दान करते हैं। जिनको लगाकर उनकी परवरिश की जिम्मेदारी उठाते हैं। इतना ही नहीं गोपालानंदजी महाराज गांवों से आने वाले लोगों में पर्यावरण संरक्षण का मंत्र फूंकते है। ग्रामीणों से मिलकर उन्हें अधिक से अधिक पौधारोपण करने व उनकी परवरिश करने के लिए आवाहन करते हैं।

संत गोपालानंदजी महाराज ने जो आश्रम मे हरित पट्टिका तैयार की है वह पर्यावरण के लिए बेहद लाभदायक है। इसमें पीपल, चितवन, पपीता आंवला, करौंदा, नीम जामुन, गुलहड़ कनैर करीपत्ता आदि पेड़ है। पर्यावरण को शुद्ध रखने का सराहनीय क़दम है। यहां पर जल्द ही कार्यक्रम आयोजित कर दूसरे लोगों को भी पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। एस आर निरंजन, क्षेत्रीय वन अधिकारी

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