हमारे समाज का नैतिक पतन?

अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस -विशेष

सुनीता कुमारी, पूर्णया, बिहार। 

विश्व युवा दिवस (12 अगस्त 2021) के अवसर पर मैं युवाओं की समस्या के प्रति सभी का का ध्यान आकृष्ट करना चाहती हूँ। युवा दिवस वर्ष 2000 में शुरू किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य युवाओं को जागरूक करना है, एवं उनकी जिम्मेदारियों का उन्हें एहसास दिलाना है। 

हमारे समाज में हमारे समाज में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि हमारे समाज का नैतिक पतन हो रहा है, युवाओं की दिशा भटक गई है, पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव तेजी से हमारे समाज पर बढ़ रहा है। युवा स्वच्छंद रहना पसंद करते हैं एवं अभिभावकों के कंट्रोल से बाहर निकल रहे हैं। हमारे अड़ोस पड़ोस में भी ऐसे बहुत सारे अभिभावक हैं, जिनके बच्चे उनके पास तो रह रहे हैं मगर ,पास रहकर भी दूर है, वह माता-पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को उठा नहीं रहे हैं एवं, इस वजह से माता-पिता को ओल्ड एज होम की शरण में जाना पड़ रहा है या एकांकी जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है । 

हमारे  समाज में वैसे भी माता पिता  बहुत हैं ,जिनके बच्चे विदेशों में रहते हैं ,और माता-पिता एक अकेले भारत में रहकर जीवन यापन करते हैं, आए दिन ऐसी घटना होती रहती हैं -किसी बुजुर्ग दंपत्ति की हत्या हो गई  और हत्या में नौकर शामिल थे ?तो यह विचारणीय प्रश्न है कि, आखिर हमारा समाज जा कर रहा है? हम अभिभावकों के द्वारा बच्चो की परवरिश में, बच्चे को संस्कार देने में आखिर चुक कहाँ हो रही है? जो इस तरह का संवेदना विहीन समाज बनता जा रहा है? समाज में विकृति आ रही है?समाज का नैतिक पतन हो रहा है?

जीवन संबंधी भारतीय परंपरा में एवं हमारे  शास्त्रों में जीवन से सम्बन्धी 4 मूल्य हैं- "अर्थ धर्म काम और मोक्ष" यह चारों मूल्य हमारे जीवन के चार पड़ाव  को भी इंगित करता है। पहले पड़ाव में अर्थ अर्जित करने के लिए हमें शिक्षा ग्रहण करनी होती है, साथी पारिवारिक शिक्षा, नैतिक शिक्षा, सामाजिक शिक्षा, धार्मिक शिक्षा, आर्थिक शिक्षा, राजनीतिक शिक्षा, एवं  का  प्रावधान रहा है, ताकि जब हम सांसारिक जीवन में प्रवेश करें तो इन सारे गुणों को लेकर जीवन यापन करें। हम पारिवारिक, सामाजिक,  राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक, नैतिक , इन सारी जिम्मेदारी आसानी से उठा सकें। परंतु हमारा दुर्भाग्य है कि इन चारों मूल्य में अगर वर्तमान में कोई मूल्य सबसे ज्यादा जरूरी हो गया है तो वह है "अर्थ" आज भौतिकवादी जिंदगी ने मनुष्य को मशीन बना दिया है जिस कारण "अर्थ अर्थ और अर्थ "ही हमारे जीवन का उद्देश्य रह गया है तो फिर हम क्यों शिकायत करते हैं कि आज के युवा दिशा भटक गए हैं।

हमारे समाज में युवाओं पर बोझ बढ़ता जा रहा है  एक तो महंगाई दूसरी प्रतिस्पर्धा, युवाओं की जिंदगी को मुश्किल में डाल रहे हैं ।बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच सरकारी नौकरी में आना, या अपना कोई व्यवसाय करना या किसी अन्य किसी तरीके से अर्थ  अर्जन करना युवाओं की बहुत बड़ी समस्या है ?क्योंकि हर जगह भीड़ बढ़ चुकी है। जिस कारण युवा की मुश्किलें भी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं । बहुत सारे युवा इस वजह से अवसाद के शिकार हो रहे हैं ।जिस कारण युवा शराबी बन रहे हैं, क्रिमिनल बन रहे हैं  गलत तरीके से धन अर्जन की दिशा में बढ़ रहे हैं, अपने जिम्मेदारियों से भाग रहे है।आए दिन युवाओ के द्वारा आत्महत्या की खबरे आ रही है। इन सब का मात्र एक ही कारण है, बढ़ती प्रतिस्पर्धा एवं बेरोजगारी।

युवाओं के सामने  अर्थ अर्जन की समस्या दिन-ब-दिन विकराल होती जा रही है ? हमारे समाज में दूसरी बड़ी सबसे मुश्किल यह है कि, प्रत्येक युवा को विवाह बंधन में बनना ही पड़ता है ,जिस कारण से उन्हें अर्थ अर्जन का कोई ना कोई तरीका अपनाना पड़ता है , इस वजह से वे राजनीतिक व सामाजिक जिम्मेदारी से भाग रहे हैं।

आखिर हम अभिभावक से चुक कहां हो रही है? जो इस तरह की समस्या युवाओं के सामने आ खड़ी हुई? बढ़ती जनसंख्या वृद्धि ,बेरोजगारी, प्रतिस्पर्धा ने भी युवाओं की मुश्किलें को अत्यधिक बढ़ा दिया है। इसका असर हर उस जगह देखा जा सकता है जहां किसी नौकरी के लिए परीक्षा आयोजित हो या कहीं इंटरव्यू के लिए बुलावा आया हो,इन सब  समस्या ने युवाओं की कमर तोड़ दी है ।उन्हें नीरस जिंदगी की ओर धकेल रही है।

युवा दिवस के अवसर पर मैं सारे अभिभावक से यह कहना चाहती हूं कि बच्चों को सिर्फ अर्थ अर्जन करने की मशीन ना बनाएं, उन्हें पारिवारिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक ,नैतिक हर तरह की शिक्षा दें ताकि, वह देश के प्रति परिवार के प्रति समाज के प्रति सारी जिम्मेदारियों को उठा सके।अभिभावक को ओल्ड जाने की आवश्यकता ना पड़े ।

धन अर्जन के साथ-साथ व परिवार को भी महत्व दे सकें। यदि ऐसा होगा तो  निश्चय ही समाज में बदलाव होगा एवं हर तरह की समस्या समाप्त होगी। लोग एकांकी जीवन नहीं जियेगे, एवं हर कोई खुशहाल रह सकेगा। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि युवाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। हम अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि उन्हें हर तरह की शिक्षा एवं सही दिशा प्रदान करने की दिशा में कदम उठाये।  हम अभिभावक के पास इतना अनुभव होता है कि, हम उन्हें सही दिशा दे सके। इसीलिए बहुत ज्यादा जरूरी है कि प्रत्येक बच्चे को अपने एवं अभिभावक के प्रति विश्वास और श्रद्धा को बढ़ावा देना ताकि युवा जागरूक हो सके, तभी हमारे देश की युवा की सही दिशा बढ सकेगा एवं युवाओं की जिंदगी सुरक्षित सकेगी  क्योंकि, युवाओं पर समाज की दोहरी जिम्मेदारी होती है आने वाली पीढ़ी को संभालना एवं पुरानी पीढ़ी की देखभाल करना। इसलिए युवाओं की जिम्मेदारी को बोझ न बनाए बल्कि उन्हे जिम्मेदारी उठाना सिखाएं समय रहते उन्हें उत्तरदायित्व के सौपे एवं उन्हें सही दिशा दें।

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