सृजन शक्ति वेलफेयर सोसायटी द्वारा "लांछन" की प्रस्तुति

कार्यालय संवाददाता 

लखनऊ। प्रतिष्ठित नाट्य संस्था सृजन शक्ति वेलफेयर सोसायटी द्वारा महान कथाकार व साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की 142 वी जयंती व नृत्यनिर्देशक व लोक नाट्य विधा के सम्राट सुप्रसिद्ध नाट्यकर्मी डॉ उर्मिल कुमार थपलियाल जी की स्मृति में सादर समर्पित, के अवसर पर मुंशी जी की लिखित कहानी एवं डॉ सीमा मोदी द्वारा निर्देशित नाट्य रूपांतरण "लांछन" को पुलिस लाइन सभागर में प्रस्तुत किया गया।

मुख्य अतिथि अखिलेश मिश्रा आईएएस, किरण बाल चौधरी, स्टेट इन्फॉर्मेशन कमिश्नर, डॉ ऐ के शुक्ला CMO सेवानिवृत्त, पुलिस लाइन एसीपी मौजूद रहे। पुराने जमाने से ही स्त्री को रौंदा  जाता रहा है उसके व्यवहार पर प्रश्नचिन्ह लगाए जाते रहे है। स्त्री कैसे उन परिस्थितियों से संभालने और सुलझाने की कोशिश करती है इन सब बातों पर केंद्रित है नाटक लांछन। 

महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद ने अनेक कालजयी कृतियों की रचना की है। उन्हें आमजन विशेषकर मध्यम वर्ग से विशेष प्रेम था उन्हें यह भली-भांति ज्ञात था के भारत के असली आत्मा उसके मध्यम वर्ग में ही बसती है मध्य समाज का इतना जीवंत व सजीव चित्रण करते थे वैसा कम ही देखने को मिलता है कहानी लांछन , मध्यम वर्ग की तमाम विशेष दुख प्रेम लड़ाई इत्यादि को समेटे एक विशिष्ट कृति है।

इस कहानी के मुख्य पात्र श्याम किशोर एवं देवी रानी है। जिसे वरिस्ठ रंगकर्मी आकाश पांडेय व डॉ सीमा मोदी ने सजीव प्रस्तुति देकर दर्शकों की आँखे नम कर दी। श्याम किशोर अपनी पत्नी देवी  रानीऔर बेटी शारदा के साथ एक किराए के मकान में रहते हैं उनकी पत्नी देवी एक मध्यमवर्गीय आम गृहणी है जो पूरे परिवार को संभालती हैं एवं श्याम बाबू का पूरा ख्याल रखती है। देवी सुंदर होने के साथ मिलनसार एवं सामाजिक है घर में काम करने वाले और नौकरों एवं पड़ोसियों से भी उसका व्यवहार अच्छा है। मुन्नु मेहतर है और पूरे मोहल्ले के सभी घरों में साफ-सफाई का काम करता है।

वह स्वभाव का  चंचल है एवं  हर किसी से अपना दुख रोने लगता है। उसका एकमात्र उद्देश्य लोगों से सहानुभूति प्राप्त करना, उनसे  कुछ पैसे, खाना-पीना लेना होता है। वो  दिल का बुरा नहीं है और किसी का भी बुरा नहीं सोचता है। एक किरदार  रज़ा मिया का है और जूते की दुकान है अच्छा परिवार है और शारदा को बहुत प्यार करते हैं बिल्कुल अपने बेटी की तरह मानते हैं शारदा भी उनसे काफी हिली मिली है जो कि हमसे प्यार करती हो, उन्हें  राजा भैया बुलाती है एक दिन रजा  शारदा के लिए मुन्नू के हाथ से खिलाना भिजवा देते हैं।

यह बात श्याम बाबू को पता चल जाता और उन्हें बेहद नागवार गुजरती है वह गुस्से से आगबबूला हो जाते हैं उसके लिए वह अपनी पत्नी को दोषी मानते हुए उस पर शक करने लगते हैं और दोनों इसी बात को लेकर तकरार हो जाती है। बात मारपीट तक जा पहुंची है उन्हीं दिनों तक एक दुर्घटना मे शारदा की मृत्यु हो जाती है।

लेकिन श्याम बाबू के उपर इस घटना से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। रज़ा मियां के मातम कुर्सी के लिए घर आने पर वह भड़क जाते हैं और देवी से मारपीट करते हैं तब मजबूर होकर वो एक रात घर से निकल जाती है। फिर भी उसे श्याम बाबू की चिंता लगी रहती है। इधर जब श्याम बाबू घर लौटते हैं तो देखते हैं कि घर का दरवाजा खुला है और देवी कहीं चली गई है। श्याम बाबू को अपनी ग़लती का एहसास होता है और देवी रानी को खोजते हुए उसके पास पहुंचते है ओर माफी ममाँगते है।

मुख्य किरदार में आकाश पांडेय श्याम बाबू  के रोल में डॉ सीमा मोदी, देवी रानी  ने किरदार को जीवंत किया, साथ ही धुन मिश्रा बच्ची बनी, सूत्रधार अमरेंद्र , मुन्नु, आदित्य वर्मा,  रज़ा मोनिस सिद्दीकी, दरोगा जितेंद्र सिंह, पड़ोसी। सर्वेश कुमार, आनन्द कुमार , अभिषेक दूबे, ने किरदार को बखूबी जिया। 

प्रकाश परिकल्पना व संचालन वरिष्ठ नाट्यकर्मी प्रभात कुमार बोस ने किया, संगीत संचालन हर्ष कमल, वेशभूषा विमला बरनवाल, प्रोपर्टी व सेट सर्वेश कुमार, आंनद कुमार, पूर्वाभ्यास मोनिस सिद्दीकी , मंच व्यवस्था नवनीत मिश्रा, शुभम शुक्ला, विकाष मिश्रा, सौम्या मोदी  का रहा, फोटोग्राफी में शिवम सिंह, प्रस्तुति नियंत्रक आकाश पांडेय, प्रस्तुतकर्ता व निर्देशन डॉ सीमा मोदी ने किया।

टिप्पणियाँ