कोटेदार कल्लू ने गरीब असहाय लोगों के राशन की कर रहा है कालाबजारी
गरीबों के हक का राशन डकार रहे है अपात्र एवं ‘फर्जी’ गरीब, विभाग मौन
राम कुशल मौर्य
अंबेडकरनगर। सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लोगों को यह सहूलियत दे दी है कि सभी को हर महिने सरकारी राशन की दुकान से गेहूं चावल मिले जिससे लोग भूखमरी के शिकार न हो। लेकिन यहां सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लोगों को यह सहूलियत दे दी है कि सभी को हर महिने सरकारी राशन की दुकान से गेहूं चावल मिले जिससे लोग भूखमरी के शिकार न हो। लेकिन यहां सरकार के इस योजना का दुरूपयोग विभाग और कोटेदार की लापरवाही व मिलीभगत से कुछ ऐसे लोग कर रहे है जो अपात्र है। ऐसा ही मामला जनपद अंबेडकरनगर जिले के विकासखंड रामनगर के ग्राम सभा लखमीपुर में ग्रामीणों द्वारा आरोप है कि कोटेदार कल्लू ने गरीब असहाय लोगों का राशन काला बजारी कर दिए गए हैं ग्रामीणों ने फोन करके सप्लाई इंस्पेक्टर अमरनाथ को और जिला पूर्ति अधिकारी को सूचना दी है जिसमें गंभीरता से लेते हुए जांच गठित टीम लगा दी गई है।
शुक्रवार को जांच सही पाया गया है सैकड़ों गरीबों ने अपने हक की लड़ाई के लिए कोटेदार के घर पहुंच कर हंगामा किया है ग्रामीणों ने अपनी समस्या को जांच अधिकारियों को अवगत किए हैं यह मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में पहुंच गया है जो पत्रकार ने इस प्रकरण में जिला पूर्ति अधिकारी राकेश कुमार से बात किया तो उन्होंने कड़ी कार्रवाई करने के लिए आश्वासन दिया है कोटेदार के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। ग्रामीणों ने कहा कि अगर इस मामले में कार्रवाई नहीं होती है तो हम लोग तहसील घेराव करने के लिए विवश होंगे।
सरकार को यह ध्यान देना चाहिए कि जिनके पास कई एकड खेत है आखिर उनको इस योजना का लाभ क्यों दिया जाये? लेकिन खाद्य सुरक्षा अधिनियम में चाहे वह गरीब हो या अमीर सभी को लाभ मिलेगा। इस योजना में केवल सरकारी सेवा में कार्यरत लोगों को बाहर रखा गया है।
जबकि बहुत ऐसे लोग है जिनको खाने के लिए अनाज की तनिक भी दिक्कत नही है लेकिन फिर भी लोग राशन की दुकान से राशन ले जा रहे है। जबकि सभी गांव ऐसे भी लोग है जिनको सच में राशन की जरूरत है लेकिन उनको भी वही लाभ मिल रहा है जैसा एक सुविधा सम्पन्न व्यक्ति को मिलता है।
सरकार ने कोरोना वायरस के मद्देनजर सभी व्यक्तियों को तीन माह का नि:शुल्क चावल देने की घोषणा की है और लोग चावल सरकारी राशन की दुकान से ले भी रहे है। लेकिन कुछ सही में जो गरीब है उनको तो यह काफी सहायक साबित हो रहा है जबकि बहुत लोग गांव के किराना की दुकान पर कोटे से मिले चावल को बेचकर मोटी रकम ले ले रहे है।
आखिर ऐसे गरीबों को सरकार राशन ही क्यों देती है जो सरकार और सिस्टम को मूर्ख बनाते है। और अपात्र होते हुए भी सरकार की योजनाओं का बेवजह लाभ लेते है। जबकि एक पात्र गरीब बेचारा इस तरह की योजनाओं का सही लाभ नही ले पाता है।
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