कम होता भूगर्भ जल मानव जाति पर आने वाले भविष्य के खतरों में से एक बड़ा खतरा





संजय गोस्वामी

आगरा,सबमर्सिबल पंप के जरिए भूगर्भ जल निकासी बड़े पैमाने पर हो रही है। इसका असर भूगर्भ जल स्तर में जबरदस्त गिरावट के रूप में नजर आया हैं। अब हमें समस्या नहीं, समाधान पर फोकस करना चाहिये। इसलिए सभी को वाटर हार्वेस्टइंग की कोशिश करनी चाहिए। जागा सो पाया, सोया सो खोया। कोरोना संकट काल की कठिनाई से सबक लेकर हमें अपने-अपने घरों में वाटर हार्वेस्टिंग के संदेश पर अमल करना चाहिए। ये ताजनगरी वासियों का कहना हैं।


इसी महत्वपूर्ण विचार के साथ अपनी बात को संवाददाता वार्ता में व्यक्त करते हुए आगरा स्मार्टसिटी, भारत सरकार के सलाहकार सदस्य व वरिष्ठ समाज सेवक राजेश खुराना ने बताया कि भूगर्भजल विज्ञानी की रिपोर्ट्स में साफ़ साफ़ बताया गया हैं कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग उस अनुपात में नहीं की जा रही भूगर्भ जल का मनमाने ढंग से दोहन किया जा रहा है, जहां-जहां तालाब व खेत में पानी रोका गया है, वहां जलस्तर में सुधार आ रहा है। कम से कम गिरावट है, लेकिन नवविकसित क्षेत्रों में पानी जमीन से ज्यादा निकाला जा रहा है। बारिश का पानी हर हाल में भूगर्भ में पहुंचाने का प्रयास होगा तभी सुधार आएगा। भूगर्भ में भूजल कम होता जा रहा है। भूजल के रिचार्ज का कोई तरीका अपनाया नहीं जा रहा है। दूसरी ओर समर्सिबल लगने रुक नहीं रहे और सम्बंधित जिम्मेदार लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे है लेकिन जब नलों में पानी आना बंद हो जाएगा तब सरकार को कोसेंगे पर पानी नहीं मिलेगा। अपने अपने घरों में वाटर हार्वेस्टिंग के लिए अभी से प्रयास करें। बिना करे कुछ नहीं होगा, चींटी एक कदम चल कर भी लंबी दूरी तय कर लेती है और गरुड़, एक जगह बैठा रहै, बिना प्रयास के, तो एक इंच भी दूरी तय न कर पाये अर्थात क्षमता का उपयोग करना चाहिए। 


इस महत्वपूर्ण विचार को आगे बढ़ाते हुए कॉंग्रेस के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष व वरिष्ठ समाजसेवी उपेंद्र सिंह ने बताया कि बारिश का पानी सहेजने की जगह बर्बाद करने का दुष्परिणाम सामने है। जैसे कोरोना के समय ऑक्सीमीटर, दवाई वालों ने और ऑक्सीजन वालों ने लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आपके लिए आपके परिवार के लिए घातक नहीं बहुत घातक हो सकती है। ये आपके भविष्य का व आपके बच्चों के भविष्य का सवाल है। भूगर्भ जल विभाग ने प्री-मानसून 2021 की रिपोर्ट तैयार की है,जिसमें शहर से लेकर देहात तक भूगर्भ जल स्तर में 40 फीट तक की गिरावट है। जनपद में भूगर्भ जल विभाग ने जून में मानसून से पहले पीजोमीटर से भूगर्भ जलस्तर की जांच की तो अप्रत्याशित नतीजे सामने आए। फतेहाबाद रोड पर कलाल खेरिया, तोरा क्षेत्र में भी 30 फीट तक की गिरावट भूगर्भ जलस्तर में आई है। बारिश का पानी सहेजने की जगह बर्बाद करने का दुष्परिणाम सामने है। शहर में 55 फीसदी क्षेत्र में जलकल विभाग की पाइपलाइन नहीं है। ऐसे में 55 फीसदी शहर भूगर्भ जल पर ही निर्भर है। सबमर्सिबल पंप के जरिए भूगर्भ जल निकासी बड़े पैमाने पर हो रही है। इसका असर भूगर्भ जल स्तर में जबरदस्त गिरावट के रूप में नजर आया। सरकार द्वारा भूजल के रिचार्ज का कोई तरीका अपनाया नहीं जा रहा है। दूसरी ओर समर्सिबल लगने रुक नहीं रहे और सम्बंधित विभाग के जिम्मेदार लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे  है और लगातार भूगर्भ जल का मनमाने ढंग से दोहन किया जा रहा है। जिसमें शहर से लेकर देहात तक भूगर्भ जल स्तर में 40 फीट तक की गिरावट है। शहर में 3 से 10 मीटर यानी 10 फीट से 30 फीट तक अधिकांश जगहों पर भूगर्भ जल नीचे उतरा है 60 हजार सबमर्सिबल पंपों की री-बोरिंग एक साल में भूगर्भ जल स्तर पाताल में पहुंचने से सबमर्सिबल पंपों की री-बोरिंग करानी पड़ रही है। 


साथ ही अपनी बात को व्यक्त करते हुए डॉ उमेश शर्मा ने बताया कि शाहगंज क्षेत्र के अमरपुरा में 40 फीट जलस्तर महज एक साल के अंदर गिर गया। वहीं, सैंया और कुकथला क्षेत्र में 30 फीट से ज्यादा जलस्तर नीचे चला गया। दूसरी ओर अमरपुरा क्षेत्र के नजदीक आजमपाड़ा, बालाजीपुरम, अलबतिया, विनय नगर, श्याम नगर, मारुति एस्टेट, सुभाष नगर, कमला नगर, अमर विहार, फतेहाबाद रोड की कालोनियों, शास्त्रीपुरम में सबमर्सिबल पंप की पुरानी बोरिंग सूख गई। इस वजह से लोगों को पानी के लिए नई बोरिंग करानी पड़ रही हैं। नई बोरिंग 300 से 350 फीट गहराई में हो रही हैं, जिनके लिए 2 से 3 किलोवाट क्षमता की 12 स्टेज सबमर्सिबल पंप ही कारगर है। ऐसे 60 हजार से ज्यादा सबमर्सिबल पंप मई-जून के महीने में री-बोर कराने पड़े हैं। भूगर्भ में भूजल कम होता जा रहा है। भूजल के रिचार्ज का कोई तरीका अपनाया नहीं जा रहा है। दूसरी ओर समर्सिबल लगने रुक नहीं रहे। अपने लेवल पर पुराने पड़े कुओं को पुनर्जीवित कीजिये। मुहल्ले में उन कुओं में बारिश के पानी को बचाने और कुओं तक ले जाने के लिये पाइप बिछाने की ड्राइव चलाइये। बरसात का पानी सीधे कुएं में डालने पर भूजल को गंदा नहीं करता क्योंकि वो धरती में फ़िल्टर हो कर होते हुए जाता है। 


इस विषय पर समाज सेवी चन्द्रवीर सिंह ने भी अपने महत्व पूर्ण सुझाब से अवगत कराते हुए बताया कि हमें अब समस्या नहीं, समाधान पर फोकस करना चाहिये। लोग आरओ प्लांट लगा के बैठे हैं जिसमें भूजल की बहुत बरबादी होती है। लोगों को गलियां और सडक सब आरसीसी के चाहिएं। इंटों के खरंजे किसी को पसंद नहीं जिसकी वजह से बारिश का पानी जमीन में नहीं बैठ पाता। भूजल स्तर कम होने की ये भी एक बडी वजह है। पक्की कॉलोनी, पक्के शहरों में ही ये समस्या ज्यादा है। जो सबमर्सिबल लगावा कर पानी का बेजा बर्बादी कर रहे है वो स्वंय जागरूक हो जाय तो सरकार की आवश्यकता नगण्य हो जाए लोगों को जागुरुक कीजिए। लोगों को जागुरुक कीजिये और उनसे भी वाटर हार्वेस्टिंग करवाने का प्रयास कीजिये। मिलजुल कर घरों में एक साथ मिलकर वाटर हार्वेस्टिंग कीजिये। अपनी सोसाइटी की वाटर हार्वेस्टिंग करना चाहते हैं तो एक साथ अपनी कॉलोनी में बहुत से मकानों की वाटर हार्वेस्टिंग करा सकते हैं। अपने आस पास के कुओं पोखर तलाव को साफ करके, अपने मुहल्ले, सोसाइटी के सभी घरो के बारिश के पानी के एग्जिट को लेजाकर कुएं में डाल दीजिये। वाटर लेवल बढ़ जायेगा। न सिर्फ अपने घर की बल्कि अगर आपके यहाँ मल्टीस्टोरी है तो सब मिलकर वाटर हार्वेस्टिंग कराइए। 


फ़िल्म निर्माता सावन चौहान ने कहा कि अगर आप सोसाइटी में रहते हैं वहाँ अभी जो रोजाना लाखों गैलन पानी आपको मिल रहा है,वो जमीन में से निकल कर आपके घरों में पहुचा रहा है लेकिन ये पानी एक दिन खत्म हो जाएगा। क्योंकि हम जमकर पानी बहा रहा है और लगातार भूजल का जमकर उपयोग कर रहे हैं। लेकिन कब तक ? जल्द ही भूजल समाप्त हो जाएगा। इसलिए पूरी सोसाइटी के लिए वाटर हार्वेस्टिंग कीजिये क्योंकि अगर अब भी सोते रहे या आलस किया तो आप उस खाई के बिलकुल मुहाने पर आँख बंद करके खड़े है जिसमें आपको गिरना ही गिरना है। आगे खाई हैं। खाई से दूर आने का प्रयास कीजिये। जैसे कोरोना के समय ऑक्सीमीटर, दवाई वालों ने और ऑक्सीजन वालों ने लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आपके लिए आपके परिवार के लिए घातक नहीं बहुत घातक हो सकती है। ये आपके भविष्य का व आपके बच्चों के भविष्य का सवाल है।

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