उन्नाव प्रदूषण से लङने के लिये कितना तैयार

प्रकाश शुक्ला

उन्नाव। जिले मे प्रदूषण के स्तर को कम करने की जिम्मेदारी होती है जिले के प्रदूषण कन्ट्रोल इकाई पर जिसकी कमान इस समय विमल कुमार के हाथो मे है। विमल कुमार के साथ हमारे राष्ट्र की बात, उन्नाव टीम ने खास मुलाकात की तथा प्रदूषण कन्ट्रोल इकाई के कार्यो को समझा।

क्या व कैसे कार्य करता है? उत्तर प्रदेश प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड, उन्नाव

जैसा की नाम से ही स्पष्ट है कि यह इकाई जिले मे प्रदूषण को कन्ट्रोल करने का कार्य करती है।जैसा की उन्नाव एक औधोगिक बाहुल्य क्षेत्र है इस लिये यहाॅ प्रदूषण भी अधिक होता है। जिले मे वायु,जल व ध्वनी प्रदूषण को कन्ट्रोल करने का कार्य जिला प्रदूषण कन्ट्रोल इकाई करती है। यह ईकाई भारत सरकार के द्वारा बनाये गये नियमो के आधार पर एन ओ सी देता है तथा समय समय पर व्यवसायिक इकाईयों  के आकस्मिक निरीक्षण करती है तथा कमियाँ होने पर व्यवसायिक इकाईयों को अवगत कराने का कार्य भी यही इकाई करती है।

प्रदूषण को कन्ट्रोल करने के लिये जिले को कितने क्षेत्रो मे बाँटा गया है जिले को तीन क्षेत्रो मे बाँटा गया है।

1. रिहायशी क्षेत्र

2. वाणिज्य क्षेत्र

3. औधोगिक क्षेत्र

वायु प्रदूषण को कैसे कन्ट्रोल किया जाता है?

जिला मे औधोगिक ईकाईयो को वायु प्रदूषण कन्ट्रोल सिस्टम लगाने के बाद ही एन ओ सी दिया जाता है। जिसका समय समय पर निरीक्षण भी किया जाता है। वायु प्रदूषण सिर्फ औधोगिक इकाईयो से नही फैलता उसका कारण शहर मे चलने वाले वाहन भी है जिनका प्रदूषण कन्ट्रोल आर टी ओ विभाग के अन्तरगर्त आता है।

औधोगिक ईकाईयो मे होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिये क्या करता है बोर्ड?

औधोगिक इकाईयो को बोर्ड द्वारा एन ओ सी तब ही दी जाती है जब वह भारत सरकार द्वारा बनाये गये मानकों को पूरा करता है। इन मानको के अन्तरगर्त वायु प्रदूषण कन्ट्रोल सिस्टम व वाटर ट्रीटमेंट प्लान्ट औधोगिक इकाईयो को लगाना अनिवार्य होता है जिसका समय समय पर बोर्ड द्वारा निरीक्षण भी किया जाता है।

जल व नदियो मे होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिये क्या करता है बोर्ड?

जैसा कि उन्नाव गंगा के किनारे बसा हुआ है, यहाँ सबसे बड़ा सवाल है कि शुक्लागंज व उन्नाव क्षेत्र का सीवर वेस्टेज शहर के नालो से होता हुआ गंगा मे गिरता है। इस समस्या के निदान के लिये शुक्लागंज के लिये 5 एम एल टन/ डी, एस टी पी(सीवर ट्रीटमेंट प्लान्ट) व उन्नाव के लिये 15 एम एल टन/ डी ,एस टी पी(सीवर ट्रीटमेंट प्लान्ट) प्लानिंग मे है।जल्द ही हम इस समस्या से भी निजात पा लेंगे।

जल का प्रदूषण निरीक्षण कब और कहाँ होता है?

जिले मे शुक्लागंज मे ऊपर के स्तर की धारा गंगा बैराज व कलुवागाढा स्थित घाट से निचले स्तर की धारा का सैम्पल कलेक्ट करके पी एच, कलर व डी ओ स्तर की जांच हर हफ्ते की जाती है। माघ मेला के समय प्रतिदिन होती है।

ध्वनी से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिये क्या करता है बोर्ड?

जिले के अलग-अलग क्षेत्रो मे समय-समय पर ध्वनि मापन मशीन से ध्वनी प्रदूषण मापन होता रहता है तथा यथासम्भव प्रयास से ध्वनी प्रदूषण को कन्ट्रोल करने का कार्य बोर्ड करता रहता है।

टिप्पणियाँ