इश्क़ में तेरे गिरफ्तार हुआ

... हुआ जाता हूँ!

सुरेंद्र सैनी 

बिन तुझे देखे बीमार हुआ जाता हूँ

बिन कुछ किए बेकार हुआ जाता हूँ


आशिक़ी में तेरी दिवाना हो गया हूँ

इश्क़ में तेरे गिरफ्तार हुआ जाता हूँ


जाने क्यों तुम देखकर मुझे हँस दिए

खुशफहमी का आसार हुआ जाता हूँ


हर आहट से चौखट पर नज़र जाए

तेरी पायल की छंकार हुआ जाता हूँ


हमें भी आ गया है ग़ज़ल लिखना

लोग कहते हैं फनकार हुआ जाता हूँ


"उड़ता"मोहब्बत-खरीदार हुआ जाता हूँ

दुनियांदारी से उदार हुआ जाता हूँ


टिप्पणियाँ