तमसा नदी के सौंदर्यीकरण का पैसा किया गया बंदरबांट
वन जाते समय श्रीराम-लक्ष्मण व सीता ने अयोध्या के बाहर सर्वप्रथम तमसा नदी के तट पर विश्राम करके इसको धन्य बना दिया था। इसका उल्लेख गोस्वामी तुलसी दास ने रामचरित मानस में ‘प्रथम वास तमसा भयो दूसर सुरसरि तीर’ के माध्यम से किया है। परंतु समाजसेवियों, नेताओं व प्रशासनिक अधिकारियों की घोर उदासीनता के चलते यह नदी अब अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रही है। अब यह न तो जीवनदायिनी ही रही और न ही इसका पानी आचमन योग्य है।
कभी इस नदी का पानी पीकर लोग गर्मी व अन्य मौसम में अपनी प्यास बुझा लेते थे परंतु कालांतर में नदियों के भरपूर दोहन और दुरुपयोग होने के कारण इसका पानी अब स्वच्छ नहीं रह गया है। गर्मी के मौसम में यह नदी कहीं-कहीं अक्सर सूख जाती है या फिर कहीं पर कम दूषित पानी ही रहता है। अवध क्षेत्र की प्रमुख नदियों में अपनी पहचान बनाने वाली इस नदी को मड़हा व तमसा के नाम से भी जाना जाता है। इस नदी का उदगम् स्थल मवई के ग्राम लखनीपुर में माना जाता है। यहां पर एक सरोवर से इसका अभ्युदय हुआ है। तमसा नदी मवई, रुदौली, अमानीगंज, सोहावल, मिल्कीपुर, मसौधा, बीकापुर और तारुन आदि विकास खंडों से होते हुए फैजाबाद से अम्बेडकरनगर व गोसाईगंज के पास तक प्रवाहित होती है।
अकबरपुर नगर के मध्य से होकर गुजरने वाली तमसा नदी के सौंदर्यीकरण की तरफ नगर परिषद प्रशासन ने अपना रुख केंद्रित किया है। कुछ समय पूर्व ही पालिका प्रशासन ने तमसा नदी की सफाई का विशेष अभियान चलाया गया था और सौंदर्यीकरण का कार्य होना था। उसी समय अध्यक्ष सरिता गुप्ता ने नगरवासियों को भरोसा दिलाया था कि नदी व आसपास के क्षेत्र में सौंदर्यीकरण के और भी कार्य कराए जाएंगे।
सौंदर्यीकरण व सुरक्षा के दृष्टिगत अकबरपुर नगर के तमसा नदी के सौंदर्यीकरण के लिए शासन से धन अवमुक्त हुआ था परंतु जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कागजों में ही सौंदर्यीकरण का कार्य पूरा कर दिया गया। और तमसा नदी की स्थिति जस की तस बनी रही। अंबेडकर नगर की जनता यह जानना चाहती है की नदी का सुंदरीकरण कार्य पूरा क्यों नहीं किया गया है और उसका धन किस मद में खर्च किया गया।
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