फिर जानलेवा हुआ एनएच-39 पर बना चटका पुल
मार्च में हुई थी सड़क की मरम्मत,गिट्टी-डामर बहकर नाले में समाया, हो गये भारी-भरकम गड्ढे
पारसनाथ प्रजापति
सिंगरौली। सीधी एनएच-39 की मरम्मत के लिए खर्च किए गये 15 करोड़ रूपये तीन महीने बाद ही बारिश के पानी में बहते नजर आ रहे हैं सीधी से सिंगरौली तक टू-लेन की मरम्मत की जमकर फजीहत हो रही है मरम्मत कार्य करने वाली एजेंसी नदारद है और आम जनता पहले से भी अधिक मुश्किलों का सामना करने के लिए मजबूर हैं इसी सड़क की मरम्मत के साथ ही मोरवा के चटका नाले में 60 साल पुराने पुल के दोनों किनारों पर सडक़ का डामरीकरण किया गया था जो बहकर नाले में समा चुकी है पहले से भी अधिक खतरनाक स्थिति में सड़क पहुंच गयी है हर दिन जान हथेली पर लेकर वाहन चालक पुल को पार कर रहे हैं चटका पुल की मरम्मत के लिए कई बार एनसीएल की झिंगुरदह परियोजना ने किनारों को बचाने के लिए आरसीसी कार्य कराया तो कई बार पुल के ऊपर गिट्टी-मिट्टी डालकर चलने लायक बनाए गया था।
जान हथेली पर लेकर वाहन चालक पुल को पार कर रहे हैं?
एमपीआरडीसी ने 108 कि.मी. टू-लेन सड़क की मरम्मत का स्वांग करके 15 करोड़ रूपये स्वाहा कर दिए हैं लेकिन आम जनता को राहत भी नहीं मिल पायी है यह पुल पहले से भी अधिक खतरनाक हो चुका है। उसी क्रम में चटका पुल की पुरानी आरसीसी के दोनों छोर से पहले नई सड़क में भारी भरकम गड्ढे हो चुके हैं बाइक सवार बिना रेलिंग वाले पुल के किनारों से ब बड़ी मुश्किल दो से तीन फीट बची सड़क से बाइक पार कर रहे हैं तो कार चालक गड्ढा बचाने के लिए सामने से आ रहे वाहन को पार हो जाने का इंतजार कर रहे हैं वर्ना किसी बड़े हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता है,पूरे दिन इस सड़क पर ट्रैफिक का भारी दबाव बना हुआ है कोयला लोड हाइवा, ट्रेलर और फुल बॉडी एलपी ट्रक इस पुल से होकर निकल रहे हैं।
किनारों से बहकर पानी नाले में जा रहा
बारिश होते ही सड़क और आसपास का पानी बहकर पुलिया के किनारों से होकर नाले में गिर रहा है लगातार कटाव की स्थिति बनती जा रही है इसलिए दोनों किनारे कब क्षतिग्रस्त हो जायेगा या फिर किसी प्रकार की अनहोनी हो, इससे पहले एनएच-39 के निर्माणकर्ताओं, मरम्मतकर्ताओं और संबंधित सरकारी गैर सरकारी एजेंसियों को आगे आना चाहिए कहीं ऐसा न हो कि देर हो जाय और किसी प्रकार की दुर्घटना हो तीन महीने पहले एक कार में दो सवार इसी पुल के नीचे जा गिरे थे सवारियों में भय का माहौल है।
हर रोज इस पुल से एनसीएल की कई शिफ्ट बसें, कर्मियों को रेलवे स्टेशन से लाने और ले जाने वाली बसें इसी पुल से होकर आती जाती हैं हर रात 9 बजे से 11 बजे के बीच मोरवा से बनारस के लिए यूपी रोडवेज की कई बसें भी इसी पुल से गुजरती हैं इन बसों में आने-जाने वाली सवारियां पुल की हालत देखकर सहम कर रह जाते हैं बिना रेलिंग के पुल में उछलती हुई बस पार करती हैं जिनके लिए खतरा बना हुआ है।
दूसरा कोई रूट नहीं
दरअसल, यूपी के अनपरा से मोरवा के लिए यह सबसे अनुकूल रूट है अनपरा से शक्तिनगर और जयंत से घुमकर मोरवा आने के लिए कम से कम 50 कि.मी. का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ेगा इसलिए इसी रूट से लोग आना जाना पसंद करते हैं, शार्ट कट के लिए इस पुल ही नहीं मोरवा से लेकर खनहना सीमा तक सड़क के गड्ढों पर जान का जोखिम भी उठा रहे हैं जिला प्रशासन को एक बार फिर इस पुल का संज्ञान में लेकर त्वरित मरम्मत कराने के लिए निर्देश जारी करने चाहिए।
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