ज़रूरतमन्द महिलाओं को भेंट की राशनकिट

भाविप के संस्थापक की 101वी जन्मशताब्दी वर्ष
संजय गोस्वामी
आगरा। भारत विकास परिषद के संस्थापक की 101वी जन्मशताब्दी वर्ष पर भारत विकास परिषद विक्रमादित्य द्वारा लोहा की मंडी में आज ज़रूरतमन्द बुज़ुर्ग महिलाओं को राशनकिट भेंट किये गए। कोरोना में जरूरतमंद परिवारों की मदद किये जाने पर मौहल्ले के बुज़ुर्गों ने संस्था के पदाधिकारियों का आभार व्यक्त कर सम्मान किया। भारत विकास परिषद के संस्थापक स्वर्गीय सूरज प्रकाश जी की 101वी जन्मशताब्दी वर्ष पर सेवा कार्य के रूप में भारत विकास परिषद विक्रमादित्य द्वारा आज़ लोहा मण्डी के तहत कटघर बस्ती में जरूरतमंद परिवारो की बुज़ुर्ग महिलाओं को रसोई के खाद्य सामान का वितरण किया गया। संस्था द्वारा कोरोना संकट काल में लगातार राशनकिट, किताबें, भोजन के पैकेट, दवा आदि जरूरतमंद परिवारों को उपलब्ध कराकर हर सम्भव मदद किये जाने पर मौहल्ले के बुज़ुर्गों ने संस्था के पदाधिकारियों का आभार व्यक्त कर पटका पहनाकर सत्कार सम्मान किया। 
भारत विकास परिषद "विक्रमादित्य" द्वारा कोविड संकट में लगातार किये गए सेवा कार्यों के लिए आभार व्यक्त करते हुए बस्ती के बुज़ुर्गों ने कहा कि तुलसी दास जी ने बहुत ही सुंदर पंक्ति लिखी हैं। परहित सरिस धर्म नहीं भाई यानी दूसरों की भलाई से बढ़कर कोई भी धर्म नहीं हैं। समाज सेवा एक पुण्य कार्य हैं। इसके कारण लोग अमर हो जाते है तथा उन्हें सदियों तक याद भी किया जाता हैं। अपना पेट तो जानवर भी भरते हैं। मगर इंसान में ख़ास बात यह हैं कि वह समूचे समाज व राष्ट्रहित की सोचता हैं तथा हर जरूरतमंद की मदद करने के लिए भी आगे आते हैं, जिसका जीता जागता उदाहरण "भारत विकास परिषद विक्रमादित्य" व वरिष्ठ समाजसेवी चन्द्रवीर सिंह जी हैं। समाजसेवा में अग्रणी रहने वाली संस्थान हैं जो हर संकट के समय में भोजन, सूखा राशन, राहत सामग्री आदि बांटकर जरूरतमंदों की सेवा में अग्रिम रहती हैं। इसके साथ साथ जैसे पेड़ लगाना, गौमाता, स्वान, बन्दर और पक्षियों को खाना खिलाना, शिक्षा, स्वास्थ सम्बन्धी व अन्य सामाजिक कार्य समय-समय पर करते रहते हैं। इस नेक कार्य में चन्द्रवीर सिंह भी उनकी छवि हैं, वहाँ भी सामाजिक कार्यों में कंधे से कंधा मिला कर समाजसेवा में उनका साथ देते हैं। समाज व राष्ट्रहित में उनके द्वारा किये गए सराहनीय कार्य के लिए हम पुनः एक वार फिर ह्रदय से उनका एवं उनकी टीम का आभार व्यक्त करते हैं।
भारत विकास परिषद "विक्रमादित्य" की टीम ने अपने विचार व्यक्त करते हुये बताया कि समाज सेवा के बारे में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने लिखा हैं कि 'मरा वह नहीं कि जो जिया न आपके लिए, वही मनुष्य हैं कि जो मरे मनुष्य के लिए।' मानव सेवा के कार्य में कष्ट जरुर झेलना पड़ता हैं, पर इससे प्राप्त आत्मसंतोष का सुख अलग ही प्रकार का होता हैं। इंसान को ज़रूरत मंदों, कमजोरों, दीन दुखियों, घायलों, अपंगो और अनाथों की हर सम्भव मदद करनी चाहिए।  
इस कार्यक्रम में शाखा मार्गदर्शक अखिलेश दुबे, शाखा अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार गुप्ता, सचिव अमितेश दीक्षित्, चन्द्रवीर सिह आदि पदाधिकारी उपस्थित रहे। इस सेवा कार्य में हरि नारायण चतुर्वेदी, संत आधार संतानी, सुनील पसरीजा, राहुल राना, शैलेंद्र कुमार, धर्मेंद्र गुप्ता, प्रशांत जैन, धीरज अग्रवाल,अनुराग बाजपेई, गौरव गुप्ता, आदि लोगों का इस सेवा कार्य में सहयोग रहा।

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