हौसले बुलंद हो
मीना मौर्य (मशाल)
फूल जैसी जो तुम्हें महबूबा पसंद हो
कांटो से क्या डरना जब हौसले बुलंद हो.
मंजिल हो बहुत दूर आपसे तो क्या हुआ
आप थकोगे नहीं जब हवा मंद मंद हो.
जीत कर हार जाना आपने सीखा नहीं
दुश्मनों से कितना भी बड़ा प्रतिद्वंद् हो.
अपनी चाल यार जरा संभल कर चलिए
सामने वाला भी जब कोई अकलमंद हो.
आज कीमत जीत की समझ में तब आएगी
हारी बाजी जीतने में जब आनंद हो.
चांद सितारों के बीच बने महल आपका
सपने अच्छे लगते हैं जब नजर बंद हो.
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