कृषि कानून बनाम टूल किट
विजय सिंह
भारत देश कृषि प्रधान है,
अन्नपूर्णा का यहाँ सम्मान है।
मिट्टी के तन से, मिट्टी में,
संघर्ष करता किसान है।।
खून - पसीने और मेहनत से,
कृषक फसल उगाता है।
भर के अनाज को बोरी में,
जब मंडी में वो जाता है।।
देख बिचौलियों के मंज़र को,
वो हतप्रभ रह जाता है।
मंडी माफिया के चंगुल में,
अन्नदाता फंस जाता है।।
ये अस्तित्व की लड़ाई है,
हम सब के हिस्से आई है।
'गरीबी हटाओ' के नाम पर,
कितनों ने सत्ता पाई है।।
आख़िरकार कृषि सुधार में,
देश ने कदम बढ़ाया है।
धुंध छट रही बेबस आँखों से,
मन में प्रोत्साहन आया है।।
आने लगा कृषक के खाते में,
विक्रय मूल्य व निधि सम्मान।
ग्रेटा, रिहाना और मिया खलीफा,
होते अमेरीका में परेशान।।
सोशल मीडिया के टूल किट से,
वो आगजनी करवाते हैं।
भारत माँ के दामन पर,
दंगों का दाग लगाते हैं।।
राष्ट्रवादी जनादेश ने,
अपनी न्याय सुनाई है।
खुशियों के आँसू से,
बेबस आँखें भर आई है।।
हर सोच में है परिवर्तन,
तन का परिधान बदल रहा है।
इक्कीसवीं सदी का देखो,
हिन्दुस्तान बदल रहा है।।
विजय! प्रफुल्लित मन,
जग में मुस्कान भर रहा है।
ये देश परिवर्तन के नायक का,
गुणगान कर रहा है।। -प्रस्तुति चंद्रकांत सी पूजारी
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