कुपोषण पर वार के लिए शुरू हुआ वजन सप्ताह

वजन के जरिये कुपोषण की पहचान का है विशेष महत्व


वशिष्ठ मौर्य 

देवरिया | कुपोषण पर वार करने के लिए चार महत्वपूर्ण कदम हैं जिनकी शुरूआत वजन लेने से ही होती है। किसी भी बच्चे में पोषण के पहचान के लिए आयु के हिसाब से वजन का विशेष महत्व है। इसे ध्यान में रखते हुए शासन के दिशा-निर्देश पर शुक्रवार से 24 जून तक आंगनबाड़ी केंद्रों पर शून्य से पांच साल तक के बच्चों का वजन लेने का अभियान शुरू किया गया। आयु के हिसाब से वजन के जरिये कुपोषण की पहचान होने पर अग्रिम प्रबंधन किया जाएगा। इस बीच यूनिसेफ संस्था भी पोस्टर के जरिये आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के जरिये लोगों को कुपोषण के प्रति संवेदीकृत कर रही है। यह पोस्टर्स वाट्स एप ग्रुप के जरिये साझा किये जा रहे हैं।

यूनिसेफ के सहयोग से तैयार पोस्टर से संवेदीकृत किये जा लोग

जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) कृष्ण कांत राय ने बताया पोस्टर्स में पोषण संबंधित चार कदमों के बारे में जानकारी दी गयी है। इनमें बताया गया है कि मासिक प्रथम मंगलवार को मनाए जाने वाले वजन दिवस दिवस में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को वजन के जरिये पांच साल से कम उम्र के अंडरवेट बच्चों की पहचान करनी है। इन्हीं अंडरवेट बच्चों की लंबाई और ऊंचाई लेने के बाद कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की पहचान की जाती है। दूसरा कदम बच्चों के चिकित्सकीय जांच का है। माह के पहले बुधवार को स्वास्थ्य उपकेंद्र और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर विलेज हेल्थ सेनिटेशन एंड न्यूट्रिशन डे (वीएचएसएनडी) में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से कुपोषित बच्चों को लाया जाना चाहिए। इन स्थानों एएनएम और सीएचओ बच्चों की प्राथमिक चिकित्सकीय जांच करेंगी। अगर किसी कारणवश बच्चा इन केंद्रों पर नहीं पहुंच पाता  है तो संबंधित आंगनबाड़ी केंद्र पर आयोजित वीएचएसएनडी में जांच की जाएगी।

24 जून तक आंगनबाड़ी केंद्रों पर पांच साल तक के बच्चों का वजन होगा

तीसरे कदम के तौर पर बच्चे के चिकित्सकीय प्रबंधन को महत्वपूर्ण बताया गया है। अगर प्राथमिक स्वास्थ्य जांच में अति कुपोषित चिकित्सकीय जटिलता वाला बच्चा मिलता है तो उसे पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) भेजना अनिवार्य है। बिना जटिलता वाले बच्चों का इलाज नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र, उप केंद्र और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार होगा। चौथे कदम के तौर पर बच्चों के पोषण प्रबंधन और फॉलो अप को काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। इसके तहत चिकित्सकीय प्रबंधन प्राप्त कर चुके सभी कुपोषित बच्चों का पोषण प्रबंधन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा किया जाएगा। इसके तहत पोषाहार वितरण, पौष्टिक आहार विधि का प्रदर्शन, बाल पोषण एवं स्वास्थ्य पर परामर्श और साप्ताहिक फॉलो अप आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा किया जाना है। ऐसे बच्चों का महीने में एक बार स्वास्थ्य विभाग और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से फॉलो अप किया जाएगा और सुधार न होने पर चिकित्सा इकाई या पोषण पुनर्वास केंद्र पर संदर्भित किये जाएंगी|

मनेगा वजन दिवस, चलेगा ‘‘संभव’’ अभियान

जिला कार्यक्रम अधिकारी कृष्ण कांत राय का कहना है कि 17 से 24 जून तक मनाए जाने वाले वजन सप्ताह के संबंध में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की निदेशक का पत्र मिला है। पत्र के अनुसार आयु के अनुसार अल्प वजन और ऊंचाई व लंबाई के अनुसार गंभीर अल्प वजन वाले बच्चे चिन्हित किये जाएंगे। दिव्यांग बच्चों को भी चिन्हित किया जाएगा। इसी आधार पर जुलाई माह में विशेष अभियान ‘‘संभव’’ पोषण संवर्धन की ओर एक कदम, एक जुलाई से दो अक्टूबर तक चलाया जाएगा। इस अभियान के दौरान सभी चार कदमों का पालन करते हुए कुपोषण से लड़ाई लड़ी जाएगी। 20 से 25 सितम्बर के मध्य फिर से वजन सप्ताह का आयोजन कर कुपोषित बच्चों की सेहत में हुई प्रगति का आंकलन किया जाएगा। जुलाई माह मातृ पोषण, अगस्त माह जीवन के पहले 1000 दिवस और सितंबर माह में कुपोषित बच्चों के उपचार पर फोकस रहेगा।

पुरस्कार भी मिलेगा

इस अभियान में बेहतर काम करने वाले प्रत्येक जिले के तीन बाल विकास परियोजना अधिकारी, तीन मुख्य सेविका और तीन आंगनाड़ी कार्यकर्ता को पुरस्कृत भी किया जाएगा। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में पांच साल से कम उम्र के 100 में से लगभग पांच बच्चे अति कुपोषण की समस्या से ग्रसित हैं। यह अभियान इन संकेत कों में सुधार के लिए कारगर साबित होगा।

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