काव्य चेतना के तत्वाधान में काव्य गोष्ठी आयोजित की गयी
कार्यालय संवाददाता
इटावा। साहित्यिक संस्था काव्य चेतना के तत्वाधान में एक सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन श्रीमती गीता चतुर्वेदी के आवास विकास कालोनी भाग 3 पक्का बाग इटावा पर सम्पन्न हुई। गोष्ठी की अध्यक्षता वयोवृध्द कवि महेन्द्र सिंह परवाना ने की तथा संचालन महिवाल कुंवर ने किया।
गोष्ठी में मुख्य रूप से परसूपुरा मेला मालिक राजवीर पाण्डेय, समाजसेवी डॉ.सुशील सम्राट, सभासद शरद बाजपेयी ने अपने अपने विचार व्यक्त किये।
सर्वप्रथम गोष्ठी संयोजक गीता चतुर्वेदी ने मां सरस्वती जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर सरस्वती वंदना पढ़ी। इसके साथ ही रचना में कहा कि चाहे राग दो ना दो मधु पराग दो ना दो, आखों से आंसुओं की गागरी ना छीनना।
अध्यक्षता कर रहे महेन्द्र सिंह परवाना ने अपनी रचना में कहा- प्रणय लेखनी बन्द करो कवि अब तलवार उठानी है, समय आ गया बलिदानों का देनी तुम्हें कुर्वानी है। युवा कवि मयंक विधौलिया ने रचना पढ़ी- जब तक भारत चीखेगा इन जयचन्दों की गद्दारी से, तब तक मैं अंगार लिखूंगा पूरी जिम्मेदारी से दीपकराज ने रचना- अच्छी मति जो चाहिये बूढ़ों का का रखमान, नूतनता के साथ तू कल का भी रख ज्ञान।
भजन गायक प्रखर गौड़ ने भजन सुनाया-तुम हमारे थे प्रभु जी तुम हमारे हो, तुम हमारे ही रहोगे ओ मेरे प्रियतम । महिवाल कुंवर परवाना ने रचना में कहा- कारवाँ मेरा लुटा दोस्तों के शहर में बेआबरू हम हो गये दोस्तों के शहर में। प्रशान्त तिवारी ने रचना पढ़ी- जीवन मे एक युध्द लड़ना पड़ता है सबको, हार हो या जीत आगे बढ़ना पड़ता है सबको। गोष्ठी में वैभव चतुर्वेदी, शिवम कुमार, मुकेश दीक्षित आदि उपस्थित रहे।
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