बुद्ध के विचार आज भी प्रासंगिक हैं: तेजपाल मौर्य

विशेष संवाददाता 

इस महान देश  भारत में अनेकों महान तपस्वी हुए हैं, कुछ ने स्वर्ग प्राप्ति के लिए तपस्या की तो कुछ ने शक्ति प्राप्ति के लिए कुछ ने जन्म मृत्यु के बंधनों से छुटकारा पाने के लिए तो कुछ स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध करने हेतु तपस्या की।

प्रेम, करुणा, मैत्री, दया के महान संचारक तथागत गौतम बुद्ध के 2584वें जन्मोत्सव बुद्ध पूर्णिमा पर बर्चुअल समारोह को संबोधित करते हुए, महात्मा ज्योतिबा फुले शिक्षक अधिकारी कर्मचारी कल्याण परिषद उत्तर प्रदेश के संयोजक तेजपाल मौर्य ने कहा कि, तथागत बुद्ध के विचार आज के परिप्रेक्ष्य में अति आवश्यक हैं। परन्तु सिद्धार्थ गौतम बुद्ध ने किसी इच्छा पूर्ति हेतु तपस्या नहीं की, वल्कि उन्होंने तपस्या की संसार के दुखों का कारण जानने के लिए उन्होंने तपस्या की इन दुखों के कारणों के निवारण करने के लिए उन्होंने तपस्या की कि लोगों के दुखों को कैसे दूर किया जाए। 

विश्व में शांति कैसे स्थापित की जाए। सामान्य जनों में प्रेम करुणा मैत्री दया का भाव कैसे उत्पन्न किया जाये। उनकी तपस्या का आरंभ ही एक युद्ध को टालने के लिए हुआ था, और इन सब पर उन्होंने विजय भी प्राप्त की। आज के परिप्रेक्ष्य में आवश्यक हो गया है कि हम सभी इस कोरोना महामारी के समय अपनों व दूसरों के दुःख निवारण हेतु जो भी संभव हो अपने स्तर से करें। 

इस अवसर पर लखनऊ से मनोज मौर्य, अरुणेंद्र बर्मा,विंदू बर्मा, फतेहपुर से राकेश मौर्य, रितेश मौर्य,सिवान बिहार से मायाशंकर कुशवाहा, झांसी से हरीराम मौर्य,  तपन सिंह, घनश्याम मौर्य,मोर किशोर आदि वक्ताओं ने बुद्ध पूर्णिमा पर प्रकाश डाला।

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