निगम आयुक्त प्रतिभा पाल के कार्यकाल का एक वर्ष पूरा
सिर्फ एक दिन पुरस्कार लेने के लिए शहर से बाहर गईं
उनके कार्यकाल में शहर की नदियों का हुआ कायाकल्प
मनोज मौर्य
इंदौर. शहर है ही कुछ ऐसा कि यहां आने वाले लोगों को यह सम्मोहित कर लेता है। यहां आने वालों को यह शहर कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देता है। यही कारण है कि यहां के आने वाले आम लोगों से लेकर अधिकारी भी आने के बाद इस शहर में कुछ ऐसे रम जाते हैं कि जैसे यह उनका ही शहर हो। आमतौर पर देखा गया है कि यहां आने के बाद प्रशासनिक अधिकारी कोई न कोई लक्ष्य तय कर लेते हैं और उसे पूरा करने में जुट जाते हैं। ऐसे कई उदाहरण अब तक रहे हैं इन्हीं पद चिन्हों पर इंदौर नगर निगम की आयुक्त प्रतिभा पाल भी चल रही हैं। उन्होंने आज अपने इंदौर नगर निगम आयुक्त के कार्यकाल का सफल 1 वर्ष पूरा किया है। पाल इंदौर की पहली महिला नगर निगम आयुक्त हैं लेकिन इस शहर को कभी आभास नहीं हुआ कि वे किसी पुरुष निगमायुक्त से कमतर साबित हुई हों। पाल ने इस पूरे वर्ष भर में सिर्फ 7 दिनों के मातृत्व अवकाश को छोड़कर 1 दिन का भी अन्य अवकाश नहीं लिया। यही नहीं उनमें काम करने की इतनी लगन है कि वह वर्ष भर में सिर्फ एक बार भोपाल पुरस्कार लेने के लिए शहर छोड़कर बाहर गई हैं। अन्य दिनों में वे लगातार काम करती रही हैं।
प्रतिभा पाल का लक्ष्य है कि जिस तरह इंदौर शहर स्वच्छता में चार बार नंबर वन रहा है उसी तरह उनके कार्यकाल में पांचवी बार भी इस शहर को स्वच्छता में नंबर वन रहने का गौरव हासिल हो। वैसे तो वर्ष भर में श्रीमती पाल ने कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं लेकिन शहर की नदियों को गन्दगी और बदबू से मुक्त करना ऐसा कार्य है जिसे यह शहर भुला नहीं सकता। कभी शहर की जीवन रेखा कही जाने वाली कान्ह और सरस्वती नदियों की पहचान पिछले 6 दशक से बदबू और गन्दगी के नालों के रूप में हो रही थी। विगत वर्षों में इन्हें साफ करने के कई प्रयास हुए लेकिन वे असफल ही रहे। पाल के नेतृत्व में निगम ने इन नदियों की सूरत ही बदल दी है।
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