शासन के निदेशों व आदेशो को नही मानते ये स्लाटर हाउस वाले

प्रकाश शुक्ला 

उन्नाव के स्लॉटर हाउस सप्लायर खूब उङा रहे प्रिवेंशन ऑफ क्रूअल्टी टू एनीमल्स रूल्स व पशु परिवहन नियम का मजाख..

जिम्मेदारों की अनदेखी से सप्लायरों के हौसले बुलंद..







उन्नाव। प्रिवेंशन ऑफ क्रूअल्टी टू एनीमल्स (स्लॉटर हाउस) रूल्स, 2001 के मुताबिक भी 50 से ज्यादा नियमों का पालन करना बूचड़खानों के लिए जरूरी है। इसके अलावा राज्य और केंद्र की विभिन्न एजेंसियों के भी अलग-अलग स्टेंडर्ड हैं। वाहनों में ठूंस ठूंस कर लाये जाते है जानवर।सफर के दौरान नहीं होती है चारे पानी की कोई व्यवस्था।जनपद में संचालित बूचङखानो (स्‍लाटर हाउसों) में जानवरों को सप्लाई करने वाले सप्लायर इतने क्रूर और निरदई होते है। उन्हें सिर्फ पैसो से मतलब है। 

जानवरों के सप्लायर ने जनपद में क्रूरता की सारी ह॒टें पार कर दी। एक एक ट्रक में बड़ी संख्या में मवेशियों को ठूँस ठूस कर भरकर लाया जाता है। इतना ही नहीं आगर दो चार मवेशी बढ़ जाए। तो यह पीछे का डाला खोलकर उन्हें रस्सियों के सहारे बांध कर भी ले जाने में परहेज नहीं करते हैं। इतना सब होने के बावजूद भी प्रशासन को यह पशु  ना दिखाई पड़ना समझ से परे है। ज़नपद  के प्रत्येक मार्ग पर लगभग 5 किलोमीटर से 10 किलोमोटर के अंतराल में थाना, पुलिस चौकी, के साथ साथ तमाम पुलिस चेक पाइंट होते हैं। जहां पुलिस कर्मी तैनात रहते हैं। ऐसे में पुलिस को नजर ना पढ़ना अपने आप में बड़ा असमंजस भरा प्रश्न है। 







पशु क्रूरताा का एक नजारा देखने को उस वक्त मिला जब इंडस्ट्रीयल एरिया स्थिति इंडार्गो स्‍लाटर हाउस जाने वाली सड़क पर सैकड़ों को संख्या में ट्रक, डीसीएम, छोटा हाथी आदि वाहनों पर मवेशियों को बड़ी ही बेदर्दी के साथ देखा गया। वाहनों को बड़ी संख्या में रोड पर होना के वावत आसपास के क्षेत्र के लोगों ने बताया कि संभवत कल मवेशी ज्यादा आ गए होंगे। या किसी कारण से स्‍लाटरिंग न हो पाई हो। इसी वजह से आज इन वाहनों को एंट्री फेक्ट्री में भी नहों हो पाई है। तभी यह सब रोड पर खड़े हैं, वैसे ज्यादातर वाहन आपको रोड पर देखने को नही मिलते क्यो कि जानवरो से भरा ट्रक सीधा कम्पनी गेट से अन्दर रूकता है। 

मानक नही सप्लायर तय करता है कितने पशुओ को भेजना है एक गांङी मे

अगर जानकारों की बात फर भरोसा किया जाए। तो एक डीसीएम में सात से आठ मवेशियों की परमिशन होता है। लेकिन यह लोग 14 से 15 जानवर डीसीएम में भर लेते हैं। वही एक ट्रक में 12 से 15 जानवर को ले जा सकते है, किंतु यह 20 से 25 जानवर उक एक ट्रक में भर लेते हैं। जबकि पिकअप में 2 की जगह 4 मवेशी छोटा हाथी में ।1 या 2 की जगह 3 मवेशी भरकर पशु क्ररता की सारी हदें पार कर रहे हैं। 

शासन के निदेशों व आदेशो को नही मानते ये स्लाटर हाउस वाले

पशुपालन निदेशक डॉ. अजय कुमार के द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के अन्तर्गत विनिर्मित पशु परिवहन नियम "978 में निहित प्रावधानों की पालना परिवहन विभाग द्वारा सुनिश्चित की जाएगी जिसके तहत पशु परिवहन के लिए विशेष फिटिंग वाला वाहन होगा। जिसमें पशुओं को चढ़ाने उतारने के लिए पिछला पटिया विशेष प्रकार से निर्मित होगा। ताकि पशुओं को किसी प्रकार की असुविधा नहीं हों। साथ ही वाहन के फर्श को फिसलन रहित रखे जाने के लिए टाट पट्टियो, लकड़ी के फर्श का उपयोग करना होगा। 

शासन द्वारा जारी निदेशों का यहां एक प्रतिशत भी पालन नहीं किया जाता है। मानको अनुसार गाय और भैंस के लिए 2 वर्ग मीटर, घोड़े के लिए 2.25 वर्ग मीटर, भेड़ बकरी के लिए 0.3 वर्ग मीटर सूअर के लिए 0.6 वर्ग मीटर प्रति पशु एवं कुक्कुट के लिए 40 वर्ग सेमी प्रति पक्षी के हिसाब से जगह निर्धारित की गई है।

टिप्पणियाँ