रैनबसेरों में औरों का कब्जा, हलकान हो रहे लोग

रामकुशल मौर्य 

अम्बेडकरनगर। कोरोना संकटकाल में मरीजों का इलाज कराना ही मुश्किल नहीं है वरनउनके तीमारदारों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराने और बेड की व्यवस्था कराने से कम मारामारी की स्थिति तीमारदारों को भोजन बनाने में नहीं करना पड़ रहा है।

खासकर जिला अस्पताल में तो मरीजों के तीमारदारों का कोई पुरसाहाल नहीं है। कहने को तो जिला अस्पताल में दो रैन बसेरे बने हैं, लेकिन इसका मरीजों के तीमारदारों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। पुराने रैन बसेरे में जहां एंबुलेंस के स्टाफ का कब्जा है, वहींपर हाल ही में बने रैन बसेरे में जिला अस्पताल के अन्य कर्मचारियों ने कब्जा जमा लिया है। ऐसे में मरीजों के तीमारदारों को खाना बनाने और मौके पर कई दिनों से हो रही बारिश में भीगने से बचने के भटकना पड़ रहा है। 

भसड़ा टाण्डा के धर्मदेव वर्मा के कहा कि रैनबसेरा तीमारदारों के लिए बना है लेकिन तीमारदारों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। मेरे साथ कई मरीजों के तीमारदार न तो खाना बना पा रहे हैं और न बरसात में भीगने से बच पा रहे हैं। होटल भी नहीं खुले हैं कि वहीं जाकर खाना खा सकें ऐसे में काफी समस्या है। 

वबिता मौर्य मकरही बसखारी 10 दिन से भर्ती हैं. समस्या यह कि मरीज के पास खाना नहीं बना सकते हैं और बसेरे में जगह नहीं मिलती है। आशापार जलालपुर की श्वेता सिंह की माता 18 दिन से और सुशीला गौड़ अमरौला न्योरी के पति 27 दिन से भर्ती हैं। सभी को खाना बनाना में और भीगने से बचने की दिक्कत के दर्द को बयां किया।

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