जिम्मेदारो के गैरजिम्मेदाराना रवैयो से देश मे हो हर तरफ हो रहा मौत का तांडव

देश मे इस समय करोना की दूसरी लहर चल रही है। पिछले कुछ दिनो मे हर दिन दो लाख से ज्यादा मरीज पूरे देश मे निकल रहे है। जानकारों की माने तो करोना काल का दूसरा फेस भी आना तय था।तो सवाल जिम्मेदारों से तैयारीयो की ऐसी लचर व्यवस्था क्यो हुई? क्यों विशेषज्ञयो की बात को अनदेखा कर दिया गया?क्या चुनावी रैलियों इतनी जरूरी थी?

क्या देश की अर्थव्यवस्था इतनी खराब हो जायेगी? अगर सब जरूरी था तो क्या आम जनता की जान जरूरी नही है जिनके वोटों व करो के दम मे शासन व प्रशासन चल रहा है। अगर बात सत्ता को हासिल करने की नही तो फिर इस समय रैलियो की जरूरत क्या है। अगर बात अर्थव्यवस्था की है तो ऐसी अर्थव्यवस्था का भी हम क्या करेगे जब हमारे अपने और हम ही नही रहेगे। 

अभी कल की ही बात है किसी से कहा व्यापारी जमाखोरी कर रहे शायद उनका जमीर मर चुका है जो आपदा के समय भी अवसर ढूढ रहे है। आज फिर अपने शहर से दूसरे राज्य काम करने गये लोग अपने घर वापसी कर रहे पर इस बार पिछली बार की तरह गाँव के बाहर बने विघालयो मे क्वारटीन नही होना है सीधा घर जाना है क्यो कि इस बार जिम्मेदारो के हिसाब हमने सारी तैयारी कर ली है।

प्रकाश शुक्ला 


टिप्पणियाँ