वक़्त बदलने के लिए क्या किया?

मंजुल भारद्वाज

करवटें बदलते रहे

सारी रात

सिलवटें ठीक करते रहे

सारा दिन

हाथों की लकीरों के

बदलने का इंतज़ार

करते रहे उम्र भर

मैं पूछता हूं

करवटें

सिलवटें

हाथ की लकीरों को

भाग्य समझने वालों से

तुमने वक़्त बदलने के लिए

क्या किया?


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