महुआ फूल पर शराब कारोबारियों की नजर

वन समितियां निष्क्रिय,महुआ पेंड़ के नीचे ही औने-पौने दाम पर खरीद रहे महुआ,आबकारी विभाग बना अंजान,शराब कारोबारी सक्रिय


पारसनाथ प्रजापति 

सिंगरौली। जिले भर में इन दिनों महुआ फूल पर शराब कारोबारियों की नजर पड़ चुकी है। वन समितियों के निष्क्रिय होने के चलते महुआ पेंड़ के नीचे ही औने पौने दाम पर शराब कारोबारी महुआ के फूल खरीदने में लगे हुए हैं लेकिन इन सब मामलों से आबकारी विभाब मूकदर्शक बना हुआ है।


गौरतलब हो कि सिंगरौली जिले में महुआ के पेंड़ की संख्या बहुतायत है इन दिनों महुआ फूल गिरने का सीजन जोर पकड़ा हुआ है जहां महुआ फूल का वास्तविक कीमत ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है महुआ के फूल पर अवैध शराब कारोबारियों की नजर लगी हुई है बताया जाता है कि सुबह-सुबह बोरा, तराजू लेकर शराब कारोबारी जिन गांवों में महुआ का पेंड़ ज्यादा है वहां दस्तक देना शुरू कर देते हैं। भोले-भाले ग्रामीणों को जहां खूब महुआ का कच्ची शराब पिलायेंगे और जब नशे में महुआ बिनने वाले गरीब महिला-पुरूष धुत्त हो जायेंगे तो उन्हें झासा पढ़ाकर औने-पौने दाम में महुआ गिरने वाले फूल को ही खरीद ले रहे हैं। यह सिलसिला वनांचल अंचलों में जोर पकड़ा हुआ है जहां सुबह-सुबह शराब व्यापारी मोटर साइकिल, 407 वाहनों में अक्सर देखे जा रहे हैं। आरोप है कि वन समितियों की निष्क्रियता का खामियाजा भोले-भाले ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है सूत्रों के मुताबिक वन समितियों को 30 रूपये प्रति किलो महुआ खरीदने के लिए दर निर्धारित है, किन्तु कई समितियं निष्क्रिय हैं और इसका पूरा फायदा अवैध शराब कारोबारी उठा रहे हैं चर्चाओं के मुताबिक गीला महुआ 5 से 7 रूपये प्रति किलो के दर से खरीदते हैं और इसी महुआ को शराब बनाने में उपयोग कर रहे हैं चितरंगी अंचल के खैरा, फुलकेश, गांगी, चिकनी, बरहट, पोंड़ी, गोड़हा, रेंहदा, ओड़ागी, सकरिया, कोरसर, हरफरी, सरई, डोंगरी, तिनगुड़ी, बरका, गजरा, बहरा, झलरी, लंघाडोल, माड़ा, खंधौली, जगहत समेत सैकड़ों गांवों में शराब कारोबारी लगातार दस्तक दे रहे हैं। बावजूद इसके आबकारी के साथ-साथ पुलिस महकमा भी अंजान बना हुआ है। आरोप है कि खाकी बर्दी के संरक्षण में महुआ शराब का कारोबार जोर पकड़ा हुआ है।


महुआ पेंड़ के नीचे लगती है शराब की पैकारी

इन दिनों अलसुबह से ही महुआ पेंड़ के नीचे पुरूष व महिलाएं महुआ के फूल बिनती नजर आती हैं और इनके अगल-बगल शराब माफिया महुआ के फूल को खरीदने के लिए बैठे रहते हैं यहां तक कि जो महुआ के फूल बिनते हैं उनके लिए विधिवत देशी महुआ की शराब पिलाई जाती है जब शराब कथित महिला व पुरूष पी लेते हैं तो यह शराब कारोबारी उनको झांसे में लेकर औने-पौने दाम में महुआ के फूल खरीद लेते हैं ज्यादातर गरीब तबके के लोग महुआ के फूल बिनते हैं। यही कारण है कि यह शराब माफिया उनको शराब पिलाकर महुआ के फूल खरीदते हैं। 


अधिकांश वन समितियां पड़ी हैं उदासीन

सूत्रों की बातों पर गौर करें तो वन विभाग महुआ के फूल का सरकारी रेट 30 रूपये प्रतिकिलो निर्धारित किया है और इन महुआ के फूल को खरीदने की जिम्मेदारी वन समितियों को सौंपी गयी है सूत्रों की बात मानें तो जिलेभर में तकरीबन 6 दर्जन से ज्यादा समितियां कार्य कर रही हैं। लेकिन अधिकांश समितियों के कर्ता-धर्ताओं के चलते उदासीन बनी हुई है।


यही कारण है कि वन समितियों के निष्क्रिय होने के चलते शराब माफियाओं के द्वारा ग्रामीणों को झासे में रखकर महुआ के गीले फूल को खरीदा जा रहा है और इस फूल को अवैध शराब बनाने के उपयोग में लाया जा रहा है यही कारण है कि जिले भर में अवैध शराब का कारोबार फल-फूल रहा है।

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