राजधानी लखनऊ में हुई युवक की मृत्यु का सच सामने आए?

अमित कुमार की मृत्यु का सच? 

अजय कुमार सिंह

लखनऊ/इटावा। उत्तर प्रदेश के जनपद इटावा निवासी अमित कुमार (बीटू) की राजधानी लखनऊ में जिस तरह अचानक मृत्यु हुई है वह पूरी तरह संदेह के घेरे में है, मृतक का एन्ड्राइड (टच) मोबाइल का न मिलना संदेह को और अधिक गहराता है। इटावा के सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार अजय कुमार सिंह ने लखनऊ के उच्चाधिकारियों को भेजे प्रार्थना पत्र में बताया कि उनका भतीजा अमित कुमार (बीटू) पुत्र श्री राजेश बाबू निवासी अड्डा टीला-शिवपुरी (कोकपुरा) जो पिछले लगभग ढाई साल से लखनऊ में पूर्व विधायक त्रिभुवन राम, लखनऊ के यहां निजी कार ड्राइवर के रूप में कार्यरत था। 

यह कि गत 12 अक्टूबर 2020 को पूर्व विधायक त्रिभुवन राम ने अपने मोबाइल नंबर 9919030393 से अमित के पिता को दिन के समय सूचना दी थी कि अमित कुमार की तबीयत खराब है, जिस पर अमित के माता-पिता सूचना मिलते ही अपने इकलौते बेटे को देखने आनन-फानन में कार किराए पर करके उसी शाम को इटावा से लखनऊ के लिए रवाना हो गए थे और पूर्व विधायक के बताए अनुसार अस्पताल पर देररात पहुंचे तो वहां पूर्व विधायक के निजी कर्मी धीरज, राकेश व फैजी अस्पताल के बाहर खड़े मिले थे जिन्होंने अमित कुमार के मृत हो जाने की जानकारी देते हुए अमित के स्ट्रेचर पर रखे शव की ओर ले गए परन्तु वह तीनों कर्मी यह नहीं बता पाये थे कि अमित का शव कौनसा है तभी मृतक अमित की मां ने अपने आप अपने बेटे के पैर देखकर उसकी पहचान करते ही पछाड़ खाकर गिर गई थी, यहां सवाल उठता है कि जब उक्त तीनों कर्मी अमित की देखरेख कर रहे थे तो उन्हें ही नहीं पता कि अमित का शव कौनसा है? उसके बाद पूर्व विधायक के उक्त तीनों कर्मियों ने उसी समय यहां से ऐम्बुलेंस की व्यवस्था कराकर अमित के बदहवास माता-पिता के साथ अमित के शव को लखनऊ से इटावा के लिए रवाना करा दिया था।लेकिन पूर्व विधायक त्रिभुवन राम या उनका कोई कर्मचारी शव व उनके माता-पिता के साथ इटावा तक भी नहीं आया था।

अमित (बीटू) के शव का मातम के माहौल में इटावा में अन्तिम संस्कार करने के 3-4 दिन बाद उसके कुछ परिजनों ने लखनऊ आकर पूर्व विधायक त्रिभुवन राम व उनके उपरोक्त निजी कर्मियों से अमित कुमार के इस तरह अचानक मर जाने के बारे में जानकारी चाही तो यहां इन लोगों ने सन्तोषजनक जानकारी नहीं दी, फिर अमित कुमार के एन्ड्रॉयड (टच) मोबाइल सेमसंग जे-7 मैक्स, आई एम ई आई नं.-353107/09/669969/5 व 353108/09/669969/3 जिसमें सिम नं.-9917694836 पड़ी थी और वह चालू स्थिति में थी क्योंकि मरने के एक दिन पहले तक अमित अपने इसी मोबाइल से अपने इटावा घर पर बात करता रहा और बताता रहा कि परेशान न हो हम ठीक हो जायेंगे।

अमित के इस टच मोबाइल के बारे में जानकारी चाहते हुए मोबाइल वापस देने की पूर्व विधायक व उनके निजी उक्त कर्मियों से मांग की तो टच मोबाइल को वापस नहीं दिया और न ही टच मोबाइल के बारे में  कोई जानकारी दी। जबकि मृतक अमित का दूसरा कीपैड मोबाइल ही अमित के परिजनों को अस्पताल के काउंटर से प्राप्त हो सका था। उसके बाद दिवंगत अमित के परिजन पूर्व विधायक के इस आश्वासन पर वापस इटावा लौट गए थे कि टच मोबाइल को भी खोजकर सूचना दे देंगे, परन्तु कई दिन बीतने के बाद जब पूर्व विधायक त्रिभुवन राम या उनके निजी उक्त कर्मियों की ओर से अमित घर वालों जब कोई सूचना नहीं दी गई तो दिवंगत अमित के परिवार तीसरी बार फिर लखनऊ आये और पूर्व विधायक व उनके उक्त निजकर्मियों से मुलाकात कर उपरोक्त टच मोबाइल को वापस देने या किसी तरह वह मोबाइल बरामद कराने का आग्रह किया तो बातें बनाकर मृतक अमित के परिजनों को फिर चलता कर दिया, फिर अमित के पिता और हमारे बडे़ भाई राजेश बाबू ने सम्बंधित थाना गोमतीनगर पहुंचकर थाने में मोबाइल बरामदगी हेतु लिखित तहरीर दी जिस पर थाना पुलिस ने जांच करने का भरोसा दिया था, परन्तु उसका पुलिस की ओर से अब तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया।

उपरोक्त भागमभाग और परेशानी के बीच दिवंगत अमित के छोटे चचेरे भाई गौरव सिंह ने 12 जनवरी 2021 को पूर्व विधायक जी के मोबाइल पर बात करके अपने अमित भईया के टच मोबाइल को किसी तरह वापस दिलाने का आग्रह किया तो पूर्व विधायक त्रिभुवन राम जी उस बच्चे गौरव सिंह को ही धमकी दे डाली कि हमारे पास कॉल करने की जरूरत नहीं, तुम जानते नहीं कि मैं बहुत बुरा आदमी हूं, अगर मेरे खिलाफ कोई कार्यवाही की तो खैर नहीं। पूर्व विधायक के द्वारा इस तरह की बच्चे से धमकीभरी बात करने से व्यथित होकर अगले दिन 13 जनवरी को हमने (अजय कुमार सिंह ने) जब पूर्व विधायक से अपने दिवंगत भतीजे अमित कुमार के इस तरह अचानक मृत हो जाने के बावत कुछ जानकारी चाही, तथा उसका टच मोबाइल बरामद कराकर दिलाने का आग्रह किया तो विधायक जी विफर पड़े और हमारी कॉल काट दी थी। 

चूंकि अमित के जीवन,शिक्षा व उसके इंश्योरेंस से जुड़ी सभी जानकारी उसके उसी टच मोबाइल में ही सेव है, इसलिए मोबाइल का बरामद होना तथा अमित कुमार की मृत्यु का सच सामने आना जरूरी है, जिससे पूर्व विधायक त्रिभुवन राम जी व उनका निजी स्टाफ बचने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें एक माता-पिता के इकलौते दिवंगत पुत्र की इस तरह अचानक मृत्यु के बाद इतना भी सरोकार नहीं रहा कि जिनका अकेला बेटा उनके पास पास रहकर कार्य कर रहा था तो कम से कम वह पूर्व विधायक व उनके कर्मी एक बार दिवंगत के घर जाकर उनके माता-पिता व परिजनों को सांत्वना ही दे आते, जिनका अब तक रो-रोकर बुरा हाल है।

   

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