फिर खुले बच्चो के लिये शिक्षा के द्वार,सजी स्कूलों की दिवारे,बजे ढोल लगाङे۔۔

बृजेश अवस्थी

लगभग 1 वर्ष बीत गया कब गया पता ही ना चला,जहाँ एक तरफ यह भयानक करोना  बिमारी, दूसरी तरफ देश को आर्थिक व शैक्षिक दोनों तरह की क्षति से गुजरना पड़ा, एक तरफ जहां देश की प्रगति का चक्का रुका।दूसरी तरफ बच्चों की शिक्षा का चक्का भी रुक गया। एक तरफ देश को फिर से प्रगति के पथ पर लाने की जिम्मेदारी थी,दूसरी तरफ बच्चों की शिक्षा को भी पहले की तरह सुचारु रूप से चलाने की जिम्मेदारी सरकार पर थी।जिम्मेदारी को सरकार ने समझा और प्राथमिक शिक्षा जो हर बच्चे का अधिकार है।



उसको फिर से 1 मार्च 2021 से सुचारू रूप से शुरू किया सरकार ने बच्चों को दोबारा से स्कूल में लाने के लिए व लुभाने के लिए शिक्षकों व प्रधानाध्यापकों को जिम्मेदारियां दी जिसे शिक्षकों ने बखूबी निभाया हमने जब ग्राम लेबल पर जाकर देखा स्कूल बहुत ही सुंदर सजे हुए, ढोल नगाड़ा की धुन पर बच्चों का माल्यार्पण कर शिक्षकों शिक्षक बच्चों को स्कूल आ रहे थे। तो हमने देखा कि सोहरामऊ स्थित इंग्लिश मीडियम स्कूल की प्रधानाध्यापिका स्नेहिल पांडेय जो कि राष्ट्रपति शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित है उनके विद्यालय में बहुत ही अच्छी सजावट हुई थी। कोरोना से बचने के पूरे गाइडलाइन का पालन किया जा रहा था। फिर हमारी टीम सफीपुर ब्लाॅक स्थित बहुद्दीनपुर प्राथमिक विद्यालय मे पहुंची जहां प्रधानाध्यापक धर्मेंद्र सिंह ने भी जिनका विद्यालय सामान्य प्राथमिक हिंदी विद्यालय है उनकी कक्षाओं की सजावट मन मोह लेने वाली थी वहां पर उपस्थित शिक्षकों ने बच्चों को लुभाने के लिए दीवारों पर बहुत ही मनमोहक कलाकृतियां बनाई हुई थी। जब हमने प्रधानाध्यापक से बात की तो उन्होंने बताया कि सहायक अध्यापकों ने लॉकडाउन के बाद खुले विद्यालय परिसर में दीवारों पर कलाकृतियां जोकि बच्चों की शिक्षा से जुड़ी हुई हैं बनाई है जिन साहायक अध्यापिकाओ जिन्होंने विद्यालय में कलाकृतियां बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया उनमें राणा प्रवीन, सीमा सिंह, स्वाती अवस्थी है।

फिर हमारी टीम खलीलनगर पहुँची वहाँ पर प्राथमिक विद्यालय मे सहायक अध्यापिकाओ व अध्यापकों ने भी विधालय परिसर को सजाया हुआ था।

ममता द्विवेदी,भावना शुक्ला व राहुल वर्मा ने भी अपने विधालय परिसर की दीवारों को बच्चो के लिये सजाया हुआ था।

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