दिव्यांग के हौसले व प्रतिभा देख अफसर दंग۔۔

यदि हौसला व दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो दिव्यांगता भी सफलता हासिल करने में बाधक नहीं,दिव्यांग के हौसले व प्रतिभा देख अफसर दंग







प्रमुख संवाददाता 

अंबेडकरनगर। यदि हौसला व दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो दिव्यांगता भी सफलता हासिल करने में बाधक नहीं बन सकती। पांच वर्ष की आयु में हुए एक हादसे में दोनों हाथ की कलाई कट जाने के बाद अकबरपुर कोतवाली अंतर्गत लोरपुर ताजन निवासी शहरयार हैदर ने उसे अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। मौजूदा समय में न सिर्फ कटे हाथों से वह खाना बनाता व खाता है, बल्कि सामान्य ऑपरेटरों की तरह तेज गति से टाइपिंग भी करता है। अब उसने जनसेवा केंद्र के लिए अकबरपुर तहसील में आवेदन भी किया है। मानवीय संवेदना दिखाते हुए तहसीलदार ने संबंधित लेखपाल से जरूरी आख्या मांगी है, जिससे उसे योजना का लाभ दिलाया जा सके,लोरपुर ताजन निवासी शहरयार हैदर (35) शुक्रवार को अकबरपुर तहसील पहुंचकर तहसीलदार जेपी यादव से मिला और जनसेवा केंद्र के लिए उसे आइडी दिए जाने के लिए आवेदन किया। तहसीलदार ने उसकी तरफ देखा, तो सन्न रह गए। हैदर के दोनों हाथ कलाई से कटे हुए थे। आश्चर्य जताते हुए पूछा कि जब तुम्हारे दोनों हाथ कटे हैं, तो कैसे काम करोगे। इस पर हैदर ने कहा कि वह इन कटे हाथों से न सिर्फ खाना बनाता है, बल्कि आसानी से खाता भी है। मोबाइल चलाने के साथ ही तेज गति से हिंदी इंग्लिश टाइपिंग भी कर सकता है,तहसीलदार को यकीन नहीं हुआ। उन्होंने उसका टेस्ट लिया। उसे एक कंप्यूटर पर बिठाया, तो हैदर ने तेज गति से हिंदी इंग्लिश दोनों टाइपिंग की। यह देख एक तरफ जहां तहसीलदार हैरत में पड़ गए, वहीं उनकी आंखें भी नम हो गईं। वे उसे लेकर एसडीएम के पास गए और पूरी बात बताई। युवक को जनसेवा केंद्र का लाभ मिल सके, इसके लिए तत्काल संबंधित लेखपाल को निर्देशित किया कि उसके संबंधित में अतिशीघ्र आख्या प्रस्तुत करें, जिससे उसे योजना का लाभ दिलाया जा सके,इस बीच हैदर ने बताया कि जब वह पांच वर्ष का था, तो उसी दौरान एक हादसे में उसके दोनों हाथ कलाई से कट गए। उसने कटे हाथों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। इंटरमीडिएट तक पढ़ाई की। इन्हीं कटे हाथों से वह लिख भी सकता है और टाइपिंग भी कर सकता है। खाना बनाने में पत्नी की मदद करता है और अपने ही हाथों से खाता भी है। मोबाइल भी आसानी के साथ चलाता है,सोशल मीडिया पर वह पूरी तरह सक्रिय रहता है। उसके दो बच्चे हैं। एक पांच वर्ष का बेटा है, जबकि 7 दिन की बेटी है। बताया कि मौजूदा समय में अकबरपुर पुराने तहसील तिराहा के निकट एक सेंटर पर वह टाइपिंग कर रहा है। इसी से वह घर का खर्च चला रहा है। जनसेवा केंद्र के लिए आवेदन किया है। इससे उसकी आर्थिक स्थिति और भी बेहतर हो जाएगी।

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