मौजूदा प्रत्याशी कर रहे चुनावी वादों की बरसात

राम कुशल मौर्य

अंबेडकर नगर। जुटे प्रधानी के दावेदार जिसके घर में जितने वोट, उसकी उतनी सेवा इसी को कहते हैं राजनीति... उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट और बढ़ गई है। तारीखों का ऐलान अभी नहीं हुआ है, मौजूदा प्रधान और इस बार अपनी किस्मत आजमा रहे प्रत्याशियों की गांवों में हलचल तेज हो गयी है। साल 2021 में होने वाले ग्राम पंचायत के चुनावों को लेकर सरगर्मियां तेज हैं। 1 कोरोना के चलते प्रधान, बीडीसी, पंच और जिला पंचायत के चुनाव की तारीखों का अभी ऐलान नहीं किया गया है लेकिन दावेदारों ने अभी से ताकत लगा रखी है। कस्बों के चौराहों पर होर्डिंग नजर आती हैं तो गांव के नुक्कड़ों और चौपालों में बैठकें सजने लगी है। दावेदार मतदाताओं के सुख-दु:ख में भागीदार होकर उनकी सेवा में जुटे हैं। 

दूसरी बार प्रधानी का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे एक अकबरपुर विकासखंड क्षेत्र के गांव सुवारपुर गांव के नौजवान  ने नाम न छापने की शर्त मे कहा- "प्रधानी का चुनाव सांसदी (लोकसभा) से ज्यादा मु्श्किल है। बड़ा रुपैया खर्च करना पड़ता है बिना मुर्गा दारू के चलने वाला नहीं फिर विकास की भी उम्मीद करते हैं। जब प्रधान उम्मीदवार से पूछा जाता है तो  कितना खर्च हुआ इस पर कुछ नहीं बोलते, बस इतना कहते हैं, "बस गांव वालों की सेवा में लगे हैं।" ऐसे में मौजूदा प्रधान जिन्हें फिर से चुनाव लड़ना है वो अपने विकास कार्यों और किन्हीं कार्यों से रुके पड़े कार्यों को जल्द से जल्द पूरा करवाने में जुटे हैं तो बाकी चुनाव में उतरने को तैयार दावेदार न सिर्फ वोटरों को खुश करने कोशिश में है बल्कि वो मौजूदा प्रधानों के कमियों को उजागर करने में लगे हैं! अकबरपुर ब्लॉक के गाँव सुवारपुर के बाहर चाय की दुकान पर चुनावों को लेकर चर्चा करते ग्रामीण। 

चाय-समोसे की छोटी सी दुकान पर इस बार के प्रत्याशी रामचरण राजभर के साथ ग्रामीणों की यह चर्चा और जोर पकड़ने लगती है।हल्के-फुल्के अंदाज में लोग कहते हैं, "आजकल प्रधान प्रत्याशियों की मोटरसाइकिल की टंकी बिल्कुल फुल रहती है। बिल्कुल दमाद कि सारा सेवा हो रही है, जनता हमें प्रधान बनाएगी तो जनता की सेवा के लिए जो कुछ होई, हम करेंगे।

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