कोयले की खान के उत्खनन से कवियत्री पूनम आदित्य जैसा हीरा

मनोज मौर्य 

इंदौर। अनूपपुर जिले के छोटे से कस्बे जमुना काॅलरी में जन्मी पुनम आदित्य के पिता कोल इंडिया में काम करते थे, इसलिए आपका सारा बचपन कोयले के आसपास बिता। पिता के रिटायर्मेन्ट के बाद जन्म स्थान छूट गया। आपका लेखन 10-11 की उम्र से अब तक जारी है। जब भी कोई उलझन होती है या मन को ठेस पहूंचती है, पूनम लिखने लग जाती है। या यूँ कहे कि हृदय के उद्गार लिखने से मन को शांति मिलता है। ये आत्म सुख ही तो है जिसके लिए हम इतनी जद्दोजहत करते रहते है। आपके पिता बचपन में मीरा, कबीर के दोहे और रामायण की चौपाई सुनाया करते थे। उनके साथ पूनम भी यह दोहराती थी। 

लड़कपन में दिनकर जी की लिखी कुछ पंक्तीयाँ पढ़ी। किसी बुक में उनका जीवन परिचय पढ़ा मानो कोई खजाना मिल गया हो। उस कविता के प्रारंभिक शब्द थे- मर्त्य मानव की विजय का तूर्य हूँ मैं..उर्वशी, अपने समय का सूर्य हूँ मैं..अंध तम के भाल पर पावक जलाता हूं..बादलों के सीस पर स्यंदन चलाता हूं..पर, न जानें, बात क्या है..इन्द्र का आयुध पुरुष जो झेल सकता है..सिंह से बांहें मिलाकर खेल सकता है..फूल के आगे वही असहाय हो जाता..शक्ति के रहते हुए निरुपाय हो जाता..विद्ध हो जाता सहज बंकिम नयन के बाण से..जीत लेती रूपसी नारी उसे मुस्कान से... इन पंक्तियों से ऐसा मोह का बन्धन बना की नारी के प्रति लेखनी का आर्कषण बढ़ता ही गया। आपकी रचनाओ की मुख्य भूमिका नारी ने ले ली। यह मोहभंग आज भी नहीं हुआ। 

नारी के प्रति समर्पण कम नहीं हुआ। आपने नारी विषय पर कई  कविताएँ लिखी। जैसे-  1.मैं नारी हूँ मैं चिन्तन से परे; सुशोभित चिन्तनीय नारी हूँ मैं यौवना मधु कलश सी शोभित सुकुमारी हूँ मैं मृदु भावी, कोमल आंगना कली न्यारी हूँ मैं तम हरिणी, तीमिर निवारणकारी हूँ  2.न्यारी नारी अंग अंग का ये रंग देख अनंग दंग हो गया तेरे ही रूप और स्वरूप के समक्ष समुद्र क्षुद्र हो गया देख ज्योती नेत्रो की मोती भी लज्जित हो गया प्रत्येक अंग में मृदंग देख अनंग दंग हो गया अंग-अंग का ये रंग देख अनंग दंग हो गया लोकप्रिय समाचार-पत्रों में आपकी कविताओं का प्रकाशन सतत जारी है। 

15 वर्ष की आयु में ही कविता संग्रह की किताब में आपकी कविताएं प्रकाशित हो चूकि है। आकाशवाणी इंदौर में कविताएँ प्रसारित हुई है एवं रेडियो सीटी बैंगलोर में फादर्स डे पर पिता के पर लिखी गई कविता फिचर की जा चुकी है। आपके स्वयं के यू-ट्यूब चैनल पर कविताएँ और गीत की सफल श्रृंखला "तुम्हारी माहा" जो हर रोज ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच रही है, बहुत ही पसंद की जा रही है। कई सारी साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आप सम्मानित हो चूकी है। 

राष्ट्रीय कवि श्री सत्यनारायण सत्तन जी का विशेष स्नेह एवं उनके सानिध्य में काव्य पाठ करने का सौभाग्य आपको प्राप्त है। इंदौर की लगभग सभी साहित्यिक संस्थाओं "नई कलम", "काव्य सागर" अखण्ड सन्डे, आदि में नियमित रूप से काव्य पाठ हेतु आपको आमंत्रित किया जाता है।

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